दावेदारों की लंबी फेहरिस्त, कौन बनेगा टिमटिमाते तारों के बीच चंद्रमा
सैकड़ों परिवारों का सहारा बने प्रदीप, जलाएंगे विजय का दीप ?
" शहडोल जिला कांग्रेस कमेटी का अगला अध्यक्ष कौन होगा इस बात को लेकर कयासों का दौर जारी है। हालांकि दावेदारों की फेहरिस्त तो लंबी है लेकिन जो नाम सामने आ रहे हैं उनमें कुछ ना कुछ कमियां भी नजर आ रही है। दावेदारों में सबसे मजबूत और जिम्मेदारी से परिपूर्ण नाम की अगर चर्चा की जाए तो कोयला नगरी धनपुरी में सड़क के नाम पर बर्बादी की कगार पर खड़े कर दिए गए सैकड़ो परिवारों का मसीहा बनकर सामने आए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप सिंह का नाम पहले नंबर पर लिया जा सकता है जिन्होंने पीड़ित परिवारों से कोई शुल्क या आर्थिक सहयोग लिए बिना ही स्वयं आगे बढ़कर कानूनी लड़ाई लड़ी और सैकड़ो मकान को टूटने से बचाने का विधि सम्मत प्रयास कर लोगों का अटूट स्नेह और विश्वास र्जित किया है। यूं तो जिले के हर नेता की अपनी खूबी और कमी है लेकिन फूल छाप कांग्रेसियों की भीड़ में प्रदीप सिंह एक निर्विवाद, जिम्मेदार और संगठन के प्रति समर्पित वह नाम है जिसके बारे में लोगों को उम्मीद है कि उन्हें ही कांग्रेस संगठन की जिम्मेदारी जिले में सौंपी जाएगी और यदि ऐसा हुआ तो वह जिले में कांग्रेस के विजय का दीप अवश्य जलाएंगे। "
शहडोल। अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा संगठन को जीवंत और नई ऊर्जा से परिपूर्ण बनाने के लिए चलाए गए सृजन अभियान के तहत पर्यवेक्षकों का आगमन शहडोल जिले में भी हुआ और उन्होंने जिला कांग्रेस अध्यक्ष सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी सौंपे जाने के संबंध में मैदानी स्तर पर कार्यकर्त्ताओं से राय कुमारी की। इसके पश्चात वह अपना प्रतिवेदन केंद्रीय नेताओं के समक्ष प्रस्तुत करेंगे जहां से कांग्रेस के नए जिला अध्यक्ष के नाम पर मोहर लगेगी।
कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने प्रदेश में संगठन सृजन कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत पर्यवेक्षकों का द्वितीय चरण का तीन दिवसीय दौरा भी संपन्न हो चुका है। कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए एआईसीसी से नियुक्त पर्यवेक्षक विवेक बंसल तीन दिवसीय दौरे पर शहडोल आ चुके हैं। जिले में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए चुनाव के दौरान पार्टी के साथ गद्दारी करने वालों के ऊपर कार्यवाही करना भी अति आवश्यक है। पर्यवेक्षकों को यह जमीनी सवाल भी संगठन के वर्तमान जिला अध्यक्ष से पूछना चाहिए कि जब नगर पालिका धनपुरी के चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के पार्षद ज्यादा होने के बाद भी कैसे भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी चुनाव जीत गया था। जिस समय नगर पालिका धनपुरी के अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था उस समय पूरे शहर में यह चर्चा खुलेआम होती थी कि कांग्रेस पार्टी के पार्षद बिक गए इसलिए कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद का उम्मीदवार शोभाराम पटेल चुनाव हार गया। चुनाव के बाद भी कांग्रेस पार्टी के पार्षद पार्टी को छोड़कर भाजपा में जाते रहे लेकिन उन्हें रोकने के लिए वर्तमान संगठन ने कुछ नहीं किया। संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी को ऐसे लोगों को चिन्हित करना होगा जो है तो कांग्रेस पार्टी में लेकिन उनका दिल भाजपा के लिए धड़कता है। वर्तमान समय में संगठन को मजबूत करने के लिए जो प्रयास चल रहे हैं उनमें जब तक संगठन से गद्दारी करने वालों से सवाल नहीं पूछे जाएंगे उन पर कार्यवाही नहीं होगी तब तक संगठन कैसे मजबूत होगा। नगर पालिका धनपुरी के चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के जीते हुए पार्षदों ने पार्टी की पीठ पर छूरा भोंका था वह छूरा आज भी गड़ा है।
खुलेआम पार्टी से गद्दारी करने वालों को मालूम था कि पार्टी हमारा कुछ नहीं कर पाएगी इसलिए लाखों रुपया लेकर पार्टी के प्रत्याशी शोभाराम पटेल को चुनाव हरवा दिया गया जबकि नगर पालिका उपाध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को भारी मतों से जीत हासिल हुई और भाजपा का उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार एकतरफा हार गया और पूरे संभाग में कांग्रेस पार्टी की किरकिरी करा दी गई। पार्टी से गद्दारी करने वाले लोग जब तक पार्टी में रहेंगे तो भला संगठन कैसे मजबूत होगा। विपक्ष की भूमिका धनपुरी नगर पालिका में कांग्रेस भूल चुकी है । कांग्रेस के पार्षद आवाज उठाना भूल चुके हैं ऐसे में संगठन को मजबूत करने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे चुनाव के दौरान गद्दारी करने वालों को बड़ी जिम्मेदारी देने से बचना होगा।
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