साल भर जांच नहीं होगी जांच
साहेब की पर नहीं आएगी आंच
बच्चों और महिलाओं को कुपोषण जैसी शर्मनाक स्थिति से बचा कर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले अधिकारी के 'महिलाओं से ही अवैध वसूली के' चर्चे आम हो रहे हैं। वसूली के आनंद में आकंठ डूबे अग्रवाल साहब तकरीबन दशक भर से इसी जिले में अंगद की तरह पांव जमाए बैठे हैं और अपने आर्थिक, राजनीतिक पहुंच के दम पर मातहत महिला कर्मचारियों के शोषण को ही अंजाम देते नजर आ रहे हैं। वसूली को लेकर सरगम चर्चाओं में कितनी सच्चाई है और किन-किन बहानों के माध्यम से यह गोरख धंधा चलाया जा रहा है इसका खुलासा तो जांच के बाद ही संभव है, बहरहाल ऐसे अधिकारी के कारण प्रशासन और शासन की जम कर भद्द पिट रही है।
( अनिल द्विवेदी 7000295641)
शहडोल। महिला एवं बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से वसूली का गोरख धंधा जोर-जोर से जारी है। कहा तो यह जा रहा है कि साहेब का तबादला कहीं और हो गया है या हो रहा है, उसे रुकवाने के लिए ऊपर के अधिकारियों को सेवा शुल्क का भुगतान किया जाना है जिसके लिए पांच से दस हजार प्रति आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से अंशदान लिया जा रहा है। एक और चर्चा यह भी आम है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इस बात के लिए भी आस्वस्त किया जा रहा है कि इस अंशदान के एवज में पूरे साल भर उनके आंगनवाड़ी केन्द्रों की ओर कोई देखने का साहस भी नहीं करेगा। इसके दो खास फायदे भी बताए जाते हैं, एक तो चाटुकारों के चहेते साहब का तबादला रुक जाएगा, दूसरा अनावश्यक जांच पड़ताल से मुक्ति मिल जाएगी।
अंगद के पांव बने
बच्चों, महिलाओं, धात्री माताओं को कुपोषण से बचाने में प्राण प्रण से जुटे शहडोल जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों से परियोजना अधिकारी को ऐसा पोषण मिला कि वह शहडोल का मोह त्याग नहीं पाए और येन-केन-प्रकारेण 10 वर्षों से अधिक समय से शहडोल जिले में ही जमे हुए हैं। बताया जाता है कि विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों जन प्रतिनिधियों की जी हजूरी में पारंगत उक्त अधिकारी ने कथित तौर पर अफसरों, नेताओं की तो खूब सेवा की लेकिन इसके एवज में आंगनबाड़ी केन्द्रों की अल्प वेतन भोगी कार्यकर्ताओं ही नहीं सहायिकाओं तक को नहीं बख्शा और उनसे बेजा आर्थिक लाभ उठाने से भी परहेज नहीं किया।
अघोषित एजेंट सक्रिय
सूत्रों की मानें तो महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीनस्थ संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं से वसूली का कार्य अघोषित एजेंटों के माध्यम से कराया जा रहा है। इन अघोषित एजेंटों में कतिपय सुपरवाइजर और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के शामिलहोने की चर्चा है जिनके माध्यम से परियोजना एवं जिला अंतर्गत विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्र से धन संग्रह का कार्य किया जा रहा है।
नहीं खुलती जुबान
प्राप्त जानकारी के अनुसार परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास की आंगनवाड़ी केंद्र कार्यकर्ताओं के बीच इतनी दहशत है कि आए दिन परेशान किए जाने के बाद भी किसी कार्यकर्ता की जुबान तक नहीं खुल पाती है। जब-तब अधिकारी द्वारा परेशान किए जाने के बाद भी महिलाएं किसी से ना तो शिकायत कर पाती है और ना ही विरोध। किसी तरह बड़ी मुश्किल से अल्प वेतन में अपने परिवार का भरण पोषण करने वाली इन कामकाजी महिला कार्यकर्ताओं की सुध लेने वाला भी कोई नहीं है, जबकि साहबकी कारगुजारियों का आलम यह है कि वह जब चाहे तब किसी भी कार्यकर्ता को एब्सेंट कर दें, वेतन काट लें या अन्य कोई दंड दे दें, उनके किसी भी फैसले की अपील संभव नहीं है।
नहीं उठाया फोन
शहर की आवो हवा में तैरती जन चर्चाओं, आरोपों और/या अफवाहों की सच्चाई का पता लगाने और अधिकारी का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा ऐसे हालात में आरोपों की जांच की आवश्यकता को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।
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