आस्था के ऐतिहासिक केंद्र पर एएसआई ने जड़ा ताला, सुलग रहा शहर प्रतिबंधित क्षेत्र मे तने हैं दर्जनों मकान, मंदिर के सामने मदिरा की दुकान
" संपूर्ण भारत वर्ष के बारह ज्योतिर्लिंग सहित जितने भी प्राचीन मंदिर, मठ, देवालय मौजूद हैं उनमें प्रतिष्ठापित देव प्रतिमाओं की विधिवत पूजा अर्चना होती है। एक ओर जहां ज्ञानवापी, मथुरा-काशी, कुतुबमीनार और ताजमहल जैसी ऐतिहासिक संरचनाओं के प्राचीन मंदिर होने का दावा करते हुए उनमें पूजा-अर्चना का अधिकार पाने न्यायालयों में याचिकाएं लग रही हैं तो वहीं दूसरी ओर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने महाभारत कालीन विराट नगर के इतिहास को प्रामाणिकता प्रदान करने वाले शहडोल संभाग मुख्यालय के गौरवमयी इतिहास के साक्षी विराट मंदिर में ताला लगाकर भगवान विराटेश्वर नाथ को लोहे के सींखचों के पीछे कैद कर रखा है। एएसआई कर्मचारियों के इस दुस्साहस से आम आस्थावान शहरी न सिर्फ हतप्रभ है बल्कि विरोध की चिंगारी बड़ी तेजी के साथ सुलग रही है। यदि समय रहते प्रशासनिक हस्तक्षेप न हुआ और मंदिर मे पूर्ववत पूजा- अर्चना बहाल न हुई तो हालात विस्फोटक हो सकते हैं।"
(अनिल द्विवेदी 7000295641)
शहडोल। संभाग मुख्यालय स्थित कल्चुरी कालीन विराट मंदिर जिसे किंवदंतियों ने महाभारत कालीन, पांडवों के अज्ञात वास का प्रतीक माना और जो सदियों से जन आस्था के केन्द्र के रूप में विद्यमान है, उसे विवाद का नया केन्द्र बनाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सर्वेयर या देखरेख के लिए तैनात कर्मचारियों ने विराटेश्वर नाथ मंदिर के गर्भग्रह के द्वार पर लोहे की सींखचों वाला गेट लगाकर उसमें ताला जड़ दिया गया, ताकि कोई भी श्रद्धालु भक्त मंदिर के भीतर प्रवेश कर भगवान विराटेश्वर नाथ की पूजा अर्चना न कर सके। शिवलिंग के रूप में गर्भग्रह में प्रतिष्ठापित भगवान विराटेश्वर नाथ को सींखचों के पीछे कैद किए जाने की खबर शहर में जंगल के आग की भांति फैल रही है और उसी क्रम में लोगों के बीच आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है जो कभी भी विस्फोटक हो सकता है।
सदियों से आस्था का केन्द्र
विराटेश्वर मंदिर सदियों से स्थानीय नागरिकों की आस्था का केंद्र रहा है। किसी भी धार्मिक अवसर पर अथवा स्थानीय रह वासियों के वैवाहिक , पारिवारिक आयोजनों के समय पीढ़ी दर पीढ़ी लोग विराट मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते रहे हैं। दूर-दूर से लोग आकर अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराते रहे हैं। कभी भी उनकी पूजा अर्चना में किसी ने कोई अवरोध उत्पन्न नहीं किया। हाल के कुछ दिनों से विराट मंदिर के केयर टेकर या सर्वेयर जो भी हों उन्होंने पूजा अर्चना पर रोक लगानी शुरू की और अब तो सारी हदों को पार करते हुए लोहे का गेट लगाकर उसमें ताला जड़ दिया तथा भगवान को कैद कर लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है।
वर्षों से उपेक्षित रहा मंदिर
ऐतिहासिक विराट मंदिर कुछ वर्षों पूर्व तक पता नहीं कितने सालों से उपेक्षित पड़ा रहा, अवांछित तत्वों और उनकी गतिविधियों का अड्डा बना रहा। पुरातत्व विभाग के कर्ताधर्ताओं की तब उक्त मंदिर पर नजर नहीं पड़ी। गंदगी और उपेक्षा का डांस झेल रहे प्राचीन ऐतिहासिक विराट मंदिर एवं तत्कालीन शहडोल जिले में यत्र-तत्र फैली और उपेक्षित पुरा संपदाओं के संरक्षण संवर्धन की ओर शासन प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए सन् 1990 के दशक में जिला विराट नागरिक मंच नामक संस्था द्वारा विराट महोत्सव के आयोजन की शुरुआत की गई। मंदिर में रुद्राभिषेक भंडारा एवं अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और इसी के साथ पुरातत्व विभाग की आंखें खुल गईं। विराट नागरिक मंच को पूजा एवं अन्य कोई भी आयोजन करने से रोक दिया गया उसके बाद ही विराट पार्क का निर्माण कराया गया और पुरातत्व विभाग ने मंदिर की ओर ध्यान देना शुरू किया गया यहां तक तो ठीक था लेकिन अब विराटेश्वर भगवान को कैद कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण लोगों को कौन सा संदेश देना चाह रहा है या लोगों की आस्था और धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है यह आम शहरी की समझ से परे है ?
नियम कायदे झोंके भाड़ में
विराट मंदिर परिसर में विराट महोत्सव के आयोजन के समय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा जिस नियम के तहत पूजा एवं अन्य कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने से मना किया गया था उसके मुताबिक ऐतिहासिक धरोहर की 100 मीटर की परिधि के भीतर किसी भी प्रकार का कोई निर्माण अथवा आयोजन नहीं किया जा सकता जब 300 मीटर की परिधि के भीतर किसी प्रकार के निर्माण को अनुमति नहीं दी जा सकती है अर्थात कोई निर्माण नहीं हो सकता बावजूद इसके मंदिर से मात्र 20 से 50 मीटर की दूरी पर कई मकान बने हुए हैं विराट मंदिर से 100 मीटर की परिधि के भीतर एवं गणेश मंदिर के सामने बाकायदा मदिरा की दुकान खुली हुई है अच्छा खासा बाजार विकसित हो रहा है इन पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी कर्मचारी ना तो कोई रोक लगा सके और नहीं किसी प्रकार की कोई कार्यवाही का साहस जुटा सके सिर्फ पूजा एवं धार्मिक आयोजन पर रोक लगाकर भगवान की मूर्ति को कैदी बनाकर अपनी एकाधिकारिता या दादागिरी का खुले आम प्रदर्शन किया जा रहा है सारे नियम कायदे भाड़ में झोंकते हुए मदिरा की दुकान का संचालन कराया जा रहा है। दर्जन भर से अधिक मकान प्रतिबंधित क्षेत्र में बने हुए हैं जो निश्चित तौर पर अवैध ही हैं लेकिन उन पर रोक लगाने या हटाने की हिम्मत किसी में नहीं है।
दिनों-दिन बढ़ रहा आक्रोश
ऐतिहासिक पुरातात्विक धरोहर एवं स्थानीय जन आस्था के केंद्र विराटेश्वर मंदिर में ताला जड़कर भगवान को कैद किए जाने की खबर अभी पूरे शहर में ठीक से नहीं फैल पाई है लेकिन जिन क्षेत्रों में यह खबर पहुंच चुकी है वहां लोगों का आक्रोश दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ रहा है। शीघ्र ही यह बात पूरे शहर को जिले को और संभाग को मालूम होगी लोगों का आक्रोश और उनकी धार्मिक आस्थाओं पर चोट को देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की हालात गंभीर भी हो सकते हैं। संभाग एवं जिले के मुखिया के कार्यालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित विराट मंदिर में ताला जड़े जाने की इस घटना को लेकर लोग आंदोलित होने लगे और तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। जिला प्रशासन को चाहिए की वस्तु स्थिति का पता लगाकर जन आस्था से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर तत्काल समुचित कार्यवाही करते हुए भविष्य में किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति उत्पन्न न होने दें।
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