😭 थोड़ी सी गलती पर परीक्षा से वंचित कर दी गई अंशिका
😭 जिले के मुखिया ने भी नहीं सुनी फरियाद
😭 कलेक्ट्रेट परिसर में घंटों बिलखते रहे पिता-पुत्री
परीक्षा हाल में नाबालिग छात्रा की जुबान क्या फिसली परीक्षक ने उसे परीक्षा से ही वंचित कर दिया। फरियाद लेकर पीड़िता कलेक्टर के दफ्तर पहुंची लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई और देखते ही देखते छात्रा का पूरा एक साल बर्बाद हो गया। क्या वास्तव में उसका अपराध इतना बड़ा था कि....?
शहडोल। माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल द्वारा आयोजित 12वीं बोर्ड की पूरक परीक्षा में शामिल होने आई 17 वर्षीय छात्रा अंशिका द्विवेदी को मामूली सी गलती पर परीक्षा हाल से निकाल दिया गया। इतना ही नहीं जब वह अपनी व्यथा सुनाने जिले के मुखिया के दरवाजे पर दस्तक देने पहुंची तो उन्होंने भी कोई मदद या सांत्वना देने के बजाय बुरी तरह से डांट फटकार कर अपने कार्यालय से बाहर भगा दिया। पीड़िता को न्याय अथवा परीक्षा में शामिल होने का अवसर देने के बजाय अपमान का घूंट पीने के लिए दिवस कर दिया गया।
क्या है मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के बोदरी ग्राम निवासी अनिल कुमार द्विवेदी की पुत्री अंशिका द्विवेदी 12वीं बोर्ड की परीक्षा में तीन विषयों में अनुत्तीर्ण हो गई। रुक जाना नहीं योजना के तहत उसे पूरक परीक्षा में सम्मिलित होकर साल भर की मेहनत बढ़ाने का अवसर शासन द्वारा लागू योजना के तहत मिला लेकिन परीक्षा केंद्र में मौजूद परीक्षक की कथित तानाशाही ने पीड़ित छात्रा का एक साल तो बर्बाद किया ही उसे अपमानित कर परीक्षा केंद्र के बाहर कर दिया गया।
भौकाल ले डूबा साल
शहडोल कलेक्ट्रेट परिसर में अपने पिता के साथ रोती बिलखती पीड़ित छात्रा ने बताया की 4 जून को आयोजित परीक्षा के दौरान जब उसने उत्तर पुस्तिका में अपना रोल नंबर एवं अन्य जानकारी भर लिया तभी परीक्षक महोदय आए और पूछा कि कौन से विषय की परीक्षा है, हड़बड़ाहट में गलती से पीड़िता ने राजनीति शास्त्र कह दिया जबकि वास्तव में परीक्षा अर्थशास्त्र की थी। मात्र इतनी सी गलती पर परीक्षक महोदय आग बबूला हो उठे और यह कहते हुए परीक्षा हाल से बाहर निकाल दिया कि - क्या शिक्षक तुम्हें बताएंगे कि किस विषय की परीक्षा है? पीड़िता ने बताया कि वह उस समय रोती बिलखती अनुनय विनय करती रही लेकिन परीक्षक का दिल नहीं पसीना और अंतत उसे परीक्षा से वंचित कर घर लौटने को मजबूर कर दिया गया।
नहीं सुनी गई फरियाद
परीक्षा केंद्र में परीक्षक द्वारा की गई कथित ज्यादती से पीड़ित छात्रा को उसके पिता साथ लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर से शिकायत करते हुए अपनी व्यथा सुनाने का प्रयास किया लेकिन कथित तौर पर कलेक्टर शहडोल ने उनकी बात नहीं सुनी। पीड़िता के पिता का आरोप था कि कलेक्टर शहडोल ने उसका आवेदन फेंक दिया और डांट फटकार कर अपने कार्यालय से भगा दिया।
नहीं थम रहे थे आंसू
कलेक्टर शहडोल से मुलाकात और अपनी व्यथा सुना कर न्याय प्राप्त करने मेंकथित तौर पर असफल पीड़ित छात्रा और उसके पिता परिसर में ही काफी देर तक जोर-जोर से रोते बिलखते रहे, लोगों से मदद की गुहार भी लगाई, लेकिन सवाल यह उठता है कि जिले के मुखिया से कौन पंगा लेगा? कुल मिलाकर पीड़िता अपने पिता के साथ आंसू बहाते अपने घर को लौट गई इस मार्मिक दृश्य को देखकर कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूद लोगों के बीच यह चर्चा जरूर रही की परीक्षा केंद्र में भले ही कुछ भी हुआ हो जिले के मुखिया के द्वार पर उसे न्याय नहीं तो कम से कम सांत्वना तो मिलनी ही चाहिए थी।
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