अफसरों की मनमानी या मक्कारी, खतरे में पड़ी ठेकेदारी
फंड न होने पर भी लगाया टेंडर, अब ठेकेदार भुगत रहे बिना अपराध का दंड
" बिना समुचित तैयारी या व्यवस्था के किसी बड़े कार्य को शुरू करना या किसी को उक्त कार्य में झोंक दिया जाना संबंधित जिम्मेदारों लापरवाही, मनमानी या कथित मक्कारी का प्रमाण नहीं तो और क्या माना जाएगा। स्थानीय चालू भाषा में ऐसे कथित जिम्मेदारों पर ' जब नहीं था गूदा तो क्यों लंका में कूदा ' वाली सवालिया कहावत अक्षरशः लागू होती है और इसे चरितार्थ किया है जिले के लोक निर्माण विभाग में पदस्थ अधिकारियों ने। लोनिवि अधिकारियों ने ठेकेदारों को भुगतान रोक कर परेशान करने की आदत सी पाल रखी है जिससे छोटे ठेकेदारों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। "
शहडोल। जिला मुख्यालय में पदस्थ कार्यपालन यंत्री अपनी तानाशाही एवं पक्षपात पूर्ण कार्यवाही के लिए सुर्खियों में बने हुए हैं। लोनिवि शहडोल के द्वारा जारी की गई टेंडर प्रक्रिया में ठेकेदारों के द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यों को गुणवत्ता के साथ समय अवधि पर पूर्ण कर लिया गया परंतु कार्यपालन यंत्री कुजूर शासन और प्रशासन के दिशा निर्देशों को दरकिनार रखते हुए विगत दो वर्षों से फंड का अभाव बताकर ठेकेदारों का भुगतान नहीं कर रहे हैं। यूँ तो विभाग के कई ठेकेदार उक्त अधिकारी की प्रताड़ना के शिकार बन चुके हैं लेकिन एक मामला है ठेकेदार लुकमान अली का जिन्हें लगभग 50 लाख का भुगतान 2 वर्षों से नहीं किया जा रहा है।
आदत में शुमार
शिकायत में आरोपित किया गया है कि कमीशन के लालच में ठेकेदारों को प्रताड़ित करने के आदी बन चुके कार्यपालन यंत्री एवं उनके सहयोगियों द्वारा उन्हें ठेकेदारों का भुगतान किया जाता है जो उनकी अच्छे से सेवा सुश्रूषा और आर्थिक अपेक्षाओं को पूरा करते हैं शेष ठेकेदारों को यह कह रहे हैं कि फंड का अभाव है फंड आने पर भुगतान किया जाएगा जबकि वास्तविकता कुछ और ही है।
हर महीने आ रहा बजट
ठेकेदारों द्वारा निर्माण भवन भोपाल से ली गई जानकारी में यह पाया गया कि प्रतिमाह समय-समय पर फंड लोनिवि शहडोल को दिया जाता है परंतु पीडब्ल्यूडी शहडोल के कार्यपालन यंत्री अपने मन मुताबिक विभाग को चलाना चाहते हैं।
कमिश्नर से लो पेमेंट
लोनिवि कार्यपालन यंत्री की कथित तानाशाही और मनमानी की शिकायत संभागीय मुख्यालय होने के कारण कमिश्नर शहडोल एवं कलेक्टर शहडोल को भी की गई जिस पर कार्यपालिका यंत्री पीडब्ल्यूडी शहडोल ने ठेकेदारों को यह कहकर फटकार लगाई गई की आप लोग मेरी शिकायत कलेक्टर और कमिश्नर से किए हैं तो वहीं से पेमेंट ले लो मेरा 4 महीने रिटायरमेंट के लिए बचा है मुझे किसी का कोई डर नहीं मैं आप लोगों का भुगतान नहीं करूंगा।
किससे करें फरियाद
अब ऐसी स्थिति में ठेकेदार कहां जाए जबकि सीएम हेल्पलाइन भी लगाई गई हैं उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही प्रतीत होता है कि पीडब्ल्यूडी शहडोल के कार्यपालन यंत्रि शासन और प्रशासन से भी बढ़कर हैं देखना यह है कि डॉ मोहन यादव के कार्यकाल में ऐसे जिद्दी और नियम विरुद्ध कार्य करने वाले अधिकारी पर क्या कार्रवाई की जाएगी जबकि नियम यह है कि टेंडर लगाने से पहले TSऔर AS के होते ही संबंधित कार्य का पूर्ण फंड सुरक्षित कर लिया जाता है और जैसे ही कार्य पूर्ण होता है संबंधित ठेकेदार को भुगतान कर दिया जाना चाहिए यदि आपके पास फंड नहीं था तो अपने टेंडर क्यों लगाया इसकी जिम्मेदारी संबंधित विभाग के अधिकारी की होती है।
कब होगी कार्यवाही
यदि ठेकेदार की तरफ से कार्य में देरी या गुणवत्ता में कमी होने पर संबंधित विभाग कटौती करता है या कार्यलेट होने पर भी संबंधित ठेकेदार से कटौती की जाती है तो क्या संबंधित विभाग के द्वारा भुगतान में देरी होने पर भी संबंधित विभाग के अधिकारी पर कार्यवाही होगी या नहीं ?
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