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शुक्रवार, 15 मार्च 2024

चोरी के कोयले का कमाल, ईंटें ही नहीं कारोबारी भी लाल

 

सोहागपुर कोयलांचल मुख्यालय क्षेत्र  में छाया नन्हू का मायाजाल

पूरे जिले में धधक कर रहे हजारों अवैध ईंट भट्ठे, किसी का नहीं अंकुश

" न जीएसटी, इनकम टैक्स, सेल टैक्स, वैट टैक्स अथवा अन्य किसी प्रकार के टैक्स की टेंशन और न ही एनओसी, परमिशन अथवा इन्सपेक्शन की झंझट, न कोई बोलने वाला न कोई  रोकने वाला। न मूल्य निर्धारण या नियंत्रण और न ही गुणवत्ता परीक्षण या प्रमाणीकरण कुल मिलाकर इससे अच्छा कारोबार दूसरा हो ही नहीं सकता है। जी हां, हम ईंट भट्ठा संचालन की ही बात कर रहे हैं। सरकारी- गैरसरकारी जमीनों पर अवैध खनन, चोरी का कोयला, मुफ्त का ही पानी का इस्तेमाल कर ईंट भट्ठा संचालन करने वाले ईंटों से भी ज्यादा लाल  हो चुके हैं। सोहागपुर कोयलांचल मुख्यालय धनपुरी में तो सैकड़ों भट्ठे धधकते हैं और इनके जरिए नन्हू मोहम्मद जैसे लोग युवाओं को जहरीले धुएं की डोज देखकर लाखों करोड़ों में खेल रहे हैं। यह कारोबार सिर्फ कोयलांचल या धनपुरी में ही नहीं पूरे जिले में बड़ी तेजी के साथ फल फूल रहा है जिस पर जिला प्रशासन खनिज विभाग या किसी आदमी का कोई नियंत्रण नहीं है। यही वजह है कि मात्र दो महीना में ईद के रेट में ₹2000 की वृद्धि हो चुकी है।"

(अनिल द्विवेदी 7000295641)
धनपुरी। लाल ईंटों का अवैध कारोबार शहडोल संभागीय मुख्यालय के समीप वर्ती गांवों के साथ ही पूरे जिले में बड़े जोरों के साथ जारी है लेकिन मुख्य कारोबार कोयलांचल क्षेत्र में ही चल रहा है। एक सीजन में कई लाख ईंटें बनाकर बेचने के कारोबार में लगे कथित माफियाओं ने नियम कायदों की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं। चोरी के कोयले से धधकते भट्ठों में पकने वाली इन ईंटों ने भट्ठा संचालकों को तो लाल कर ही दिया है इनके संरक्षक कहे जाने वाले खनिज, वन, और पर्यावरण विभाग के मैदानी अमले के लोग भी काम लाल नहीं हो रहे हैं।
करोड़ों का खेल
एसईसीएल  सोहागपुर कोयलांचल मुख्यालय धनपुरी नगर व उसके आसपास के जंगलों में यदि नजर दौड़ाई जाए तो करोड़ों के खेल का खुलासा हो सकता है। जानकार सूत्रों के मुताबिक सोहागपुर कोयलांचल मुख्यालय धनपुरी के नन्हू नामक ईंट कारोबारी स्थानीय विभागीय अमले को विश्वास में लेकर पूरे जिले ही नहीं संभाग भर में ईटों की सप्लाई करता है। बताया जाता है कि धनपुरी के बाबूलाल खेल मैदान से सटी हुई भूमि पर खाई नुमा गड्ढे खोदकर उक्त कारोबारी द्वारा ईंटों का निर्माण कार्य कराया जाता है और चोरी के कोयले से भट्ठा लगाया जाता है जिससे एक और बाबूलाल मैदान दिनों दिन सिकुड़ता जा रहा है, वहीं दूसरी और भट्ठे से उठने वाले कोयले का जहरीला धुआं खेल मैदान में आने वाले खिलाड़ियों युवाओं के फेफड़ों में समा रहा है और उन्हें बीमारियों का शिकार बन रहा है।
खेल और मैदान का सत्यानाश 
नगरपालिका क्षेत्रांंतर्गत वार्ड नंबर 25 में स्थित बाबूलाल खेल मैदान पिछले 50 वर्षों से नगर के खेल प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। इस खेल मैदान में न जाने कितने जिला स्तरीय खेल, क्रिकेट मैच फुटबॉल मैच खेले गए और इस खेल मैदान ने न जाने कितनी ही खेल प्रतिभाओं को जन्म देकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करने के लायक बनाया है। इसके अतिरिक्त धनपुरी नगर में खेल मैदान के दाम पर ऐसा कोई खेल मैदान नहीं है जहां पर सुबह शाम नगरवासी और  उनके बच्चे  अपना हुनर दिखा सके।
बड़ी खाई हो रही तैयार
अवैध रूप से ईटों के निर्माण के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर मिट्टी की खुदाई किए जाने से बहुत बड़ी खाई बनकर तैयार हो रही है, जिसके कारण बाबूलाल खेल मैदान की मिट्टी धीरे-धीरे खिसक कर उसी खाई में समाती जा रही है। यह एक ऐसी खाई है जिसमें नगर के कुछ नामी-गिरामी ईट व्यवसायियों के साथ ही सैकड़ों की तादाद में बेलदार ईटों का निर्माण कर उसका कारोबार करते हैं और खुद लाखों की कमाई कर बाबूलाल मैदान का अस्तित्व मिटाने पर आमादा हैं। हालात यदि यही बने रहे तो निकट भविष्य में बाबूलाल खेल मैदान दुर्घटनाओं और हादसों की आशंका का केंद्र बनकर रह जाएगा जहां बच्चे जाएंगे तो खेलने, लेकिन कब किस हादसे का शिकार हो जाएंगे किसी को जानकारी नहीं है।
मुफ्त का कोयला, मिट्टी,रेत, और जमीन
गौरतलब है कि बाबूलाल मैदान और उससे लगी हुई एक बड़ी आराजी शासकीय स्वामित्व की भूमि है, और इसी शासकीय भूमि के 1 बड़े भाग यानी लगभग 10 एकड़ जमीन पर स्थानीय ईंट माफिया द्वारा ईटों के अवैध निर्माण का व्यवसाय किया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि बाबूलाल मैदान के पास ही क्यों ईटों का अवैध निर्माण हो रहा है? इसके जवाब में एक ही बात सामने आती है, वह यह कि कालरी से चोरी कर निकाला जाने वाला मुफ्त का कोयला, शासकीय स्वामित्व की मुफ्त की जमीन और मिट्टी तथा कालरी का ही पानी मिलने का इससे अच्छा स्थान और कहीं हो ही नहीं सकता है। खेल मैदान से लगी भूमि पर दर्जनों की संख्या में ईट माफियाओं के द्वारा ईट का व्यापार धड़ल्ले से वर्षों से कर चोरी का ट्रकों कोयला प्रतिदिन  खपाया जा रहा है।
जानते हैं, पर चुप रहने में ही भलाई
ईंटों के इस अवैध कारोबार में खनिज एवं वन विभाग और एसईसीएल सोहागपुर एरिया मैनेजमेंट के साथ ही नगरीय निकाय की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है इसकी वजह यह है कि अपराधी सिर्फ अपराध कार्य करने वाला नहीं होता बल्कि अपराध में सहयोग देने वाला भी अपराधी ही माना जाता है और  वह भी उसके समान दंड का भागीदार होता है। ईंट माफियाओं द्वारा डंके की चोट पर जंगल से खुदाई कर कोयला निकाला जाता और ईद भट्ठों में खपाया जाता है। इस बात की जानकारी वन विभाग के कर्मचारियों को भी है। वन विभाग के ही एक जिम्मेदार कर्मचारी ने चर्चा के दौरान इस बात का खुलासा करते हुए बताया की उन्हें मालूम है कि यह कोयला जंगल से खोद कर निकाला गया है लेकिन वह इसलिए कुछ नहीं कर सकते कि यदि उन्होंने कार्यवाही की तो यह तो बताना ही पड़ेगा कि कोयला आया कहां से? जब बात जंगल की आएगी तो उनकी नौकरी दांव पर लगा सकती है। इसलिए उनका यह मानना है कि चुप रहने में ही भलाई है एक पंथ दो कार्य एक साथ हो रहे हैं विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों को असलियत भी मालूम नहीं हो पाती और विभागीय मैदानी अमले की अतिरिक्त आय का साधन भी बना हुआ है।
पांच विभाग जिम्मेदार
बाबूलाल मैदान के पास कोयले के अवैध निर्माण और व्यवसाय के मामले में राजस्व विभाग के पटवारी से लेकर तहसीलदार तक खनिज विभाग के निरीक्षक और अधिकारी तक, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मैदानी अमले और अधिकारी के साथ ही एरिया मैनेजमेंट और उसकी सुरक्षा का दायित्व निभाने वाली सीआईएसएफ कंपनी के मैदानी अमले और अधिकारियों को भी सामान्य रूप से जिम्मेदार माना जा सकता है, क्योंकि हल्का पटवारी अथवा राजस्व निरीक्षक में कभी शासकीय भूमि का दुरुपयोग रुकने की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं की,  खनिज विभाग द्वारा बिना अनुमति निर्मित किए जा रहे ईटों और ईट भट्ठा के खिलाफ कार्यवाही की जहमत नहीं उठाई गई। पीसीबी द्वारा भी खेल मैदान और स्थानीय पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे इन अवैध ईंट भट्टों पर नकेल कसने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। सबसे अधिक जिम्मेदार तो सीआईएसएफ कंपनी को माना जा सकता है जो एसईसीएल से कालरी की परिसंपत्तियों की सुरक्षा के नाम पर भारी भरकम राशि वसूलती है लेकिन उसकी सुरक्षा के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। प्रतिदिन हजारों बोरियां कोयला निकलकर घर घर पहुंच रहा है ईट भट्टों में पहुंच रहा है जिसे रोकने की कभी जरूरत ही महसूस नहीं की गई यही स्थिति पुलिस विभाग की भी है सुबह से लेकर शाम तक लोग बोरियों में भरकर कोयला लेकर निकलते हैं घरों के सामने सिगड़ी जलाते पुलिस विभाग के किसी भी बंदे ने यह पूछने की कोशिश नहीं की कि जब कोयला प्रतिबंधित है तो कहां से लाकर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है।
हम कुछ  नहीं कर सकते
जानकार सूत्रों के माने तो ईद बर्थडे खनिज विभाग के क्षेत्राधिकार में आते हैं लेकिन खनिज अधिकारी देवेंद्र पटेल का यह कहना है कि वह ईट भक्तों के मामले में कुछ भी नहीं कर सकते जब उनसे ईंट भट्ठों में अवैध कोयले के उपयोग की बात की गई तब उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोयला उनके क्षेत्राधिकार में आता है इसके बारे में वह कुछ कर सकते हैं। देखेंगे कि क्या हो सकता है। कुल मिलाकर हर विभाग अपनी बचाने के चक्कर में है। माफियाओं का संरक्षण और उनसे मिलने वाली सुविधा को ही जिले में तैनात अधिकारी और अमला सर्वोच्च प्राथमिकता देते नजर आ रहे हैं जिस पर नियंत्रण आवश्यक है।
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