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गुरुवार, 7 दिसंबर 2023

सिस्टम में खराबी, सवालों के घेरे में मरावी

मीनाक्षी तालाब में 30% कमीशन की मांग

रिश्वत लेते ट्रैप हुआ पसौंढ़ सरपंच 

उपयंत्री और सीईओ भी सवालों के घेरे मे

चोर कभी स्वीकार नहीं करता कि उसने चोरी की है, और यदि रंगे हाथ पकड़ा जाए तो ऐसे बहुत से लोगों का नाम शामिल करने से नहीं चूकता जो उसमें शामिल हो भी सकते हैं या जिनका दूर-दूर तक वास्ता भी नहीं होता। ऐसा ही एक मामला लोकायुक्त रीवा की टीम द्वारा की गई छापा मार कार्यवाही में सामने आया है। रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए सरपंच ने सीईओ जनपद पंचायत जयसिंहनगर और इंजीनियर को रिश्वत वसूली के इस मामले में बराबर का सहभागी बनाने की कोशिश की है। इसमें कितनी सच्चाई है इसका खुलासा तो जांच के बाद ही हो पाएगा लेकिन सरपंच का यह कथन प्रभारी सीईओ, सहायक यंत्री अशोक मरावी और उप यंत्री भूपेंद्र सिंह मार्को को सवालों के घेरे में खड़ा करता है।
अनिल द्विवेदी (7000295641)
शहडोल। लोकायुक्त रीवा की टीम ने दबिश देकर एक रिश्वतखोर सरपंच पर कार्रवाई की है। जनपद पंचायत जयसिंहनगर के ग्राम पंचायत पसौंढ़ से निर्वाचित सरपंच कृष्ण कुमार सिंह को 5 हजार रुपए रिश्वत लेते रीवा लोकायुक्त की 12 सदस्यीय टीम ने रंगे हाथों पकड़ा है। खबर लिखे जाने तक टीम की कार्रवाई जारी रही।
अमोल ने की शिकायत
लोकायुक्त रीवा एसपी से ग्राम पंचायत के निवासी अमोल सिंह ने संबंधित मामले की शिकायत की थी, जिस पर इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। उसने अपने शिकायत में बताया था कि आरोपी सरपंच कृष्ण कुमार सिंह मीनाक्षी तालाब निर्माण कार्य का बिल पास करने के लिए पैसों की मांग कर रहा है। शिकायत की पुष्टि लोकायुक्त ने की। जिसके बाद सोची समझी रणनीति के तहत सरपंच को 5 हजार की रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया गया। गुरूवार सुबह लगभग 11:30 बजे इस कार्रवाई को अंजाम देते हुए टीम ने आरोपी सरपंच को ग्राम पंचायत भवन में ही पकड़ा। संबंधित मामले में खबर लिखे जाने तक आरोपी से पूछताछ जारी रही है। लोकायुक्त टीम के निरीक्षक जियाउल हक ने बताया कि, आरोपी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
तीस परसेंट का मामला
शिकायतकर्ता ने अपने दिए बयान में बताया कि, उसकी मां के नाम से मीनाक्षी तालाब स्वीकृत हुआ था। जिसका निर्माण कार्य करने के पश्चात मस्टर निकलवाने व बिल भुगतान कराया जाने की मांग, ग्राम पंचायत से लगातार की जा रही थी। बावजूद इसके, एक लंबा समय गुजर जाने के बाद भी संबंधित विषय में ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव ध्यान नहीं दे रहे थे। जिसके चलते मुझे काफी परेशानी हो रही थी। तब सरपंच से बात की तो उसने 30 प्रतिशत के हिसाब से रकम बतौर रिश्वत मांगी। जिसकी किश्त के रूप में यह रकम दी गई थी।
किसका, कितना हिस्सा
शिकायतकर्ता के अनुसार सरपंच ने 10 परसेंट जनपद में लगने की बात कहते हुए बताया था कि 5 परसेंट इंजीनियर और 5 परसेंट सीईओ साहब को हिस्सेदारी देनी पड़ती है। इतना ही नहीं बाकायदा खुले तौर पर 10 परसेंट ग्राम पंचायत में लगने की बात भी कही।  शिकायतकर्ता की बात यकीन किया जाए तो, इस प्रकार हितग्राही मूलक कार्यों में 20 परसेंट रकम बतौर रिश्वत, इस जनपद पंचायत में हितग्राहियों को देनी पड़ती है। तब जाकर उनके कार्यों का भुगतान संभव हो पाता है।
कैसे मानें निराधार
रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए सरपंच द्वारा उपन्यत्री एवं जनपद पंचायत के सीईओ के संबंध में जो भी बात कही गई या आरोप लगाए गए हैं उसे कैसे निराधार माना जा सकता है यह सवाल आमजन के बीच उठ रहा है। ग्राम पंचायत में व्याप्त अनियमितताओं और सरपंच सचिव रोजगार सहायक की मिली भगत से जारी भ्रष्टाचारों की शिकायतें आम रही हैं। आए दिन फर्जी भुगतान और अनाप-शनाप बिल लगाए जाने के साथ ही बिना काम के भी भुगतान कर दिए जाने की शिकायतें जनपद से लेकर जिला कार्यालय तक पहुंचती रही है , साथ ही उपन्यत्री सहायक यंत्री द्वारा मूल्यांकन और टीएस के मामले में सरपंचों या निर्माण एजेंसियों से वसूली किए जाने की शिकायतें होती रही है। इन आरोपों और शिकायतों के प्रकाश में सरपंच द्वारा कही गई बातें निराधार नहीं लगती हैं। उसमें कितनी सच्चाई है यह जानने के लिए और इस प्रकार की अनियमिताओं में किन-किन लोगों की सहभागिता है या होती है यह जानने के लिए मामले की निष्पक्ष जांच होना निहायत जरूरी है।
इनका कहना है...
उक्त सरपंच से मेरी पिछले कई महीनो से ना तो मुलाकात हुई और न हीं कोई बात हुई है उसके द्वारा लगाए गए आप पूर्णतया निराधार हैं मेरे या जनपद के द्वारा कभी ग्राम पंचायत के किसी भी जिम्मेदार व्यक्तियों से इस प्रकार रकम नहीं मांगी जाती है। अगर आरोपी सरपंच ने ऐसा कहा है, तो यह गलत है।
अशोक मरावी
प्रभारी सीईओ, जयसिंहनगर।

ऐसा कुछ भी नहीं है। आरोपी सरपंच का यह आरोप गलत है। मेरे द्वारा कभी भी अनावश्यक रूप से पैसों की मांग कभी नहीं की जाती है।
भूपेंद्र सिंह मार्को, उपयंत्री 

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