...तो ठेकेदार चोरी की रेत से कर रहा नाली निर्माण?
जिले की एक भी खदान का ठेका नहीं हुआ तो कहां से आ रही रेतरेत के अवैध खनन और परिवहन को लेकर पिछले कई दिनों से चीख पुकार मची हुई है। अवैध खनन को रोकने गए पटवारी की मौत के बाद यह दावे किए जाते रहे हैं कि रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर रोक लग गई है, इक्का दुक्का वाहन चले भी तो पुलिस द्वारा दबोच लिए गए। ऐसे हालात में सोहागपुर में चल रहे नगर पालिका के जयस्तंभ-गढ़ी रोड एवं नाली निर्माण कार्य के लिए रेत मिलना नगर वासियों के लिए आश्चर्य का सबब बना हुआ है और यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब जिले में एक भी खदान चालू नहीं है तो यह रेत आई कहां से? क्या ठेकेदार चोरी की रेत से सरकारी निर्माण कार्य कर रहा है या यदि रेत जिले के बाहर से लाया तो इस दरिया दिली की वजह क्या है कि जरूरत से अधिक महंगी रेत खरीद कर निर्माण कार्य किया जा रहा है?
(अनिल द्विवेदी 7000295641)
शहडोल। शासन प्रशासन के लिए कोई भी कार्य अथवा वस्तु की उपलब्धता कठिन नहीं है यदि वह चाहे तो कुछ भी संभव है। शायद रेत के मामले में भी यही सिद्धांत लागू हो रहा है, यही वजह है कि नगर पालिका शहडोल के ठेकेदार को उन हालात में भी रेत उपलब्ध हो रही है जब पूरे जिले में सैकड़ो हजारों की तादाद में सरकारी और गैर सरकारी निर्माण कार्य रेत की अनुपलब्धता के कारण बंद पड़े हुए हैं।
उठ रहे सवाल
शासकीय तौर पर रेत खदानों के नीलामी की कार्यवाही पूर्ण न होने के कारण रेत माफियाओं द्वारा पूरे जिले में विभिन्न रेत खदानों से अवैध उत्खनन एवं परिवहन शुरू कर दिया गया और महंगे दरों पर रेत बेची जाने लगी। इसी दौरान प्रशासन सख्त हुआ, देवलोंद थाना अंतर्गत गोपालपुर में रेत का अवैध खनन रोकने गए पटवारी की हत्या की वारदात भी हो गई इसके बाद से रेत को लेकर माहौल और भी गर्मा गया। जो रेत महंगे दरों पर लोगों को मिल जाती थी वह भी बंद हो गई। इस दौरान नगर पालिका के ठेकेदार को जय स्तंभ चौक से गढ़ी बाजार तक नाली एवं सड़क निर्माण कार्य के लिए रेत की आपूर्ति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जन सामान्य द्वारा खुलकर यह आरोप लगाए जाने लगे कि ठेकेदार द्वारा चोरी की रेत से निर्माण कार्य कराया जा रहा है क्योंकि जब खदानों की नीलामी नहीं हुई तो बिना चोरी के रेत कैसे आ सकती है।
आखिर क्या है राज
शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सोहागपुर के समीप गढ़ी रोड पर रेट के तीन चार ढेरों को देखकर लोग आश्चर्य चकित भी हैं और परेशान भी, लोगों का कहना है कि उन्हें छोटे-मोटे काम के लिए भी रेत नहीं मिल पा रही है फिर ठेकेदार को कहां से मिल गई, क्या जिला प्रशासन द्वारा ठेकेदार को विशेष अनुमति के तहत रेत उपलब्ध कराई गई है? यदि ऐसा नहीं है तो जाहिर है कि यह रेत चोरी की है। संभव है कि यह रेत पड़ोस के जिले से मंगाई गई हो लेकिन इसके साथ ही सवाल यह भी उठना है कि ठेकेदार इतनी दरियादिली क्यों दिखाएगा कि महंगे दर पर दूसरे जिले से रेत मंगा कर सरकारी निर्माण कार्य कराएगा? इस रेत की उपलब्धता के पीछे कौन सा राज छिपा हुआ है इस बात को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चाएं करते नजर आ रहे हैं।
शहडोल। शासन प्रशासन के लिए कोई भी कार्य अथवा वस्तु की उपलब्धता कठिन नहीं है यदि वह चाहे तो कुछ भी संभव है। शायद रेत के मामले में भी यही सिद्धांत लागू हो रहा है, यही वजह है कि नगर पालिका शहडोल के ठेकेदार को उन हालात में भी रेत उपलब्ध हो रही है जब पूरे जिले में सैकड़ो हजारों की तादाद में सरकारी और गैर सरकारी निर्माण कार्य रेत की अनुपलब्धता के कारण बंद पड़े हुए हैं।
उठ रहे सवाल
शासकीय तौर पर रेत खदानों के नीलामी की कार्यवाही पूर्ण न होने के कारण रेत माफियाओं द्वारा पूरे जिले में विभिन्न रेत खदानों से अवैध उत्खनन एवं परिवहन शुरू कर दिया गया और महंगे दरों पर रेत बेची जाने लगी। इसी दौरान प्रशासन सख्त हुआ, देवलोंद थाना अंतर्गत गोपालपुर में रेत का अवैध खनन रोकने गए पटवारी की हत्या की वारदात भी हो गई इसके बाद से रेत को लेकर माहौल और भी गर्मा गया। जो रेत महंगे दरों पर लोगों को मिल जाती थी वह भी बंद हो गई। इस दौरान नगर पालिका के ठेकेदार को जय स्तंभ चौक से गढ़ी बाजार तक नाली एवं सड़क निर्माण कार्य के लिए रेत की आपूर्ति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जन सामान्य द्वारा खुलकर यह आरोप लगाए जाने लगे कि ठेकेदार द्वारा चोरी की रेत से निर्माण कार्य कराया जा रहा है क्योंकि जब खदानों की नीलामी नहीं हुई तो बिना चोरी के रेत कैसे आ सकती है।
आखिर क्या है राज
शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सोहागपुर के समीप गढ़ी रोड पर रेट के तीन चार ढेरों को देखकर लोग आश्चर्य चकित भी हैं और परेशान भी, लोगों का कहना है कि उन्हें छोटे-मोटे काम के लिए भी रेत नहीं मिल पा रही है फिर ठेकेदार को कहां से मिल गई, क्या जिला प्रशासन द्वारा ठेकेदार को विशेष अनुमति के तहत रेत उपलब्ध कराई गई है? यदि ऐसा नहीं है तो जाहिर है कि यह रेत चोरी की है। संभव है कि यह रेत पड़ोस के जिले से मंगाई गई हो लेकिन इसके साथ ही सवाल यह भी उठना है कि ठेकेदार इतनी दरियादिली क्यों दिखाएगा कि महंगे दर पर दूसरे जिले से रेत मंगा कर सरकारी निर्माण कार्य कराएगा? इस रेत की उपलब्धता के पीछे कौन सा राज छिपा हुआ है इस बात को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चाएं करते नजर आ रहे हैं।
लोगों को कब मिलेगी रेत
गौर तलब है कि शहर के सोहागपुर सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों और जिले के अन्य भागों में बड़ी संख्या में निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं। रेत की अनुपलब्धता के कारण कोई कार्य नहीं हो पा रहा है। ऐसी हालत में ठेकेदार के पास रेत की उपलब्धता को देखकर जन सामान्य के बीच यह सवाल बार-बार उभर कर सामने आ रहा है कि आखिर जन सामान्य को कब रेत मिलेगी क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों के घर विशेष कर पीएम आवास योजना के तहत निर्मित किया जा रहे मकानों का कार्य एक लंबे अरसे से रेत के अभाव में बंद पड़ा हुआ है। निर्माण कार्य पूर्ण न होने के कारण हितग्राहियों को शासन से मिलने वाली राशि भी नहीं मिल पा रही है जिससे हितग्राहियों का परेशान होना स्वाभाविक है। स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन से मांग की है की रेत की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही पूर्ण की जाए ताकि रेत के कारण लोगों के निर्माण कार्य अधूरे ना पड़े रह जाएं।
गौर तलब है कि शहर के सोहागपुर सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों और जिले के अन्य भागों में बड़ी संख्या में निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं। रेत की अनुपलब्धता के कारण कोई कार्य नहीं हो पा रहा है। ऐसी हालत में ठेकेदार के पास रेत की उपलब्धता को देखकर जन सामान्य के बीच यह सवाल बार-बार उभर कर सामने आ रहा है कि आखिर जन सामान्य को कब रेत मिलेगी क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों के घर विशेष कर पीएम आवास योजना के तहत निर्मित किया जा रहे मकानों का कार्य एक लंबे अरसे से रेत के अभाव में बंद पड़ा हुआ है। निर्माण कार्य पूर्ण न होने के कारण हितग्राहियों को शासन से मिलने वाली राशि भी नहीं मिल पा रही है जिससे हितग्राहियों का परेशान होना स्वाभाविक है। स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन से मांग की है की रेत की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही पूर्ण की जाए ताकि रेत के कारण लोगों के निर्माण कार्य अधूरे ना पड़े रह जाएं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें