यह कैसा विकास, नदी का कर दिया सत्यानाश

 धार्मिक सौहार्द का केंद्र रही नरगड़ा नदी के अस्तित्व पर स

आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में चौमुखी विकास का दंभ भरने वाली नगर परिषद धनपुरी ने नगर का कितना विकास किया, लोगों की कितनी समस्याओं का समाधान हुआ, कैसे और किस हद तक लोगों का जीवन स्तर सुधरा, किन क्षेत्रों में कितना विकास हुआ इसकी बानगी यदि देखना है तो कभी नगर की जीवनदायिनी मानी जाने वाली नरगड़ा नदी के मौजूदा हालात पर नजर जरूर डालनी चाहिए जिसमें अब अमृत रूपी जल के बजाय नगर भर की गंदगी रूपी विष का प्रवाह हो रहा है। नरगड़ा नदी में बहाई जाने वाली गंदगी के कारण आम निस्तार तो बंद हुआ ही है पशु पक्षियों के जीवन को भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इस मामले में नगर परिषद तो अपनी असफलता के लिए जिम्मेदार है ही पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कर्मचारी भी चुप्पी साधे बैठे हैं जिसके कारण धनपुरी नगर वासियों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ना स्वाभाविक है। कोयला  नगरी एक तरफ नरगड़ा तो दूसरी ओर बघइयां नदी प्रवाहित हैं जो अब नाला बन चुके हैं जिन के जीर्णोद्धार की दिशा में कभी कोई सार्थक प्रयास नगर परिषद द्वारा नहीं किया गया जिसके कारण वह जीवन दायिनी से जानलेवा बनती जा रही हैं।

धनपुरी(ब्लिट्ज टुडे)। नगर की जिस नदी के किनारे कभी कजलियां का मेला भरता था, जहाँ गणेश दुर्गा की प्रतिमाएं और कजलियां ताजिया विसर्जित किए जाते थे, वह नदी आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है। धार्मिक और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक नरगड़ा नदी आज नाले में इसलिए परिवर्तित हो गई है क्योंकि शहर के विकास ने गंदी नालियों के मुंह इस नदी में खोल दिए। आश्चर्य का विषय है कि नदियों में जहां पूजन सामग्री विसर्जित करने पर प्रतिबंध लगाया जाता है वही नगर की इस जीवन रेखा नरगड़ा नदी में शहर भर की गंदगी मिलाई जा रही है, जिससे यह नदी आज एक गंदे नाले के रूप में दिखाई पड़ने लगी है। गंदगी से भरी इस नदी में अब ना तो दुर्गा गणेश प्रतिमाएं विसर्जित की जाती हैं और ना ही ताजिया और कजलियां विसर्जित करने लायक यह नदी बची है  इस नदी की गंदगी ने लोगों की धार्मिक आस्था को भी इसके प्रति कम कर दिया है। यह चिंता का विषय है जिस पर विकास की हुंकार लगाने वाले लोगों को विचार करना चाहिए।


प्राप्त जानकारी के अनुसार धनपुरी नगरपालिका कार्यालय के समीप बहने वाली नरगड़ा नदी में पिछले एक लंबे अरसे से शहर के विभिन्न वार्डों मोहल्लो से निकलने वाला निस्तारी गंदा पानी बहाया जा रहा है जिसके कारण नगर के आम लोगों का विस्तार ही बंद हो गया। एक समय था जब पूरे नगर के अधिकांश लोग किसी नदी में नहाते-धोते और निस्तार करते थे अब आलम यह है कि लोगों का निस्तार तो बंद हो ही गया गंदगी बहाए जाने के कारण मवेशी भी अब इस नाला बन चुके नदी का पानी नहीं पी सकते यदि भूलवश पी लिए तो तमाम तरह की बीमारियों का शिकार बन जाते हैं।

धनपुरी नगर परिषद आमजन का प्रतिनिधित्व करने वाले नगर पालिका पदाधिकारी व पार्षद समय-समय पर नगर के चौमुखी विकास का दंभ भरते रहे हैं, जब तब विकास की गति को बढ़ाने का आश्वासन भी देते रहे हैं लेकिन विकास की बुनियाद नरगड़ा नदी को ही भुला बैठे जिसके कारण विकास के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं।


विभिन्न शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों मैं बेहतर प्रदर्शन कर पुरस्कृत होने वाले नगर पालिका अधिकारी रवि करण त्रिपाठी भी नगर की जीवनदायिनी नरगड़ा नदी के उद्धार के मामले में फिसड्डी साबित हुए। नगर वासियों द्वारा कई बार नगर के निस्तारित पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था के साथ ही गंदे पानी के शोधन की व्यवस्था किए जाने की मांग की गई लेकिन नगर परिषद के पदाधिकारियों और अधिकारियों ने आमजन की इस मांगों को हमेशा अनसुना कर दिया जिसके कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।

नगर वासियों ने जिला प्रशासन एवं नगर परिषद के पदाधिकारियों अधिकारी कर्मचारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए नरगड़ा नदी के जीर्णोद्धार एवं उसमें निस्तारित गंदा पानी के छोड़े जाने पर पाबंदी लगाए जाने की मांग की है ताकि एक बार फिर धनपुरी नगर की जीवनदायिनी नरगड़ा नदी अपने मूल स्वरूप में वापस आ सके और लोगों के लिए उपयोगी साबित हो सके।

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