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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025

कबाड़ सिंडिकेट ने कानून को कर दिया रस्टीकेट?

 💥 कबाड़ सिंडिकेट का दबदबा

💥 अपराध नियंत्रण के दावों की निकली हवा

 💥 समूचे शहडोल संभाग में कबाड़ियों का कब्जा, 

💥 हफ्ते महीने में सिमटे कानून के पहरेदार


 

" आदिवासी बहुल शहडोल संभाग में कानून व्यवस्था को धता बताकर अवैध कारोबार को अंजाम देने वाले कबाड़ सिंडिकेट ने अन्य सभी संगठित अपराध गिरोहों को काफी पीछे छोड़ दिया है। यूं तो शराब, रेत, कोयला एवं पशुधन के अवैध कारोबारों को संचालित करने वाले सिंडिकेट भी संभाग में काफी हद तक सक्रिय हैं लेकिन जिस हद तक कबाड़ सिंडिकेट की सेटिंग ऊपर तक है वह किसी अन्य का नहीं, शायद यही वजह है कि अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने का दायित्व निभाने वाले वर्दीधारियों ने भी अपने हाथ सिकोड़ रखे हैं और शहडोल जिला ही नहीं पूरे संभाग को कबाड़ सिंडिकेट के हवाले कर दिया गया है।"

शहडोल। संभाग के तकरीबन हद नगर और कस्बे में कबाड़ की अवैध दुकानें बेरोक-टोक संचालित हैं, जहां घरों, दफ्तरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, उद्योगों से निकलने वाली अनुपयोगी वस्तुओं की खरीद-फरोख्त की जाती है। इसके अलावा रेलवे, कोयला खदानों एवं अन्य बड़े छोटे उद्योगों के मशीनी कल पुर्जों को भी चोरी छिपे खरीदा बेचा जाता है। पहले इन कबाड़ दुकानों पर पुलिस और प्रशासन की नजर रहती थी और अवैध गतिविधियों को नियंत्रित भी किया जाता रहा है लेकिन अब हालत काफी हद तक बदल चुके हैं। छोटी -छोटी दुकानों से लेकर बड़े गोदाम तक में एकत्र कबाड़ का कारोबार अंतर्राज्यीय रूप ले चुका है और इसमें बड़ी-बड़ी हस्तियां शामिल हो चुकी हैं। इन हस्तियों ने बाकायदा सिंडिकेट तैयार कर शासन प्रशासन और कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

कोई रोक टोक नहीं 

कबाड़ व्यवसाय के लिए शासन ने कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाए हैं पर इसके लिए लाइसेंस होना जरूरी है। नियम के मुताबिक कबाड़ के व्यवसाय के लिए लाइसेंस जरूरी है। इस धंधे में कोई रोकटोक नहीं होने के कारण शहर से लेकर बॉर्डर तक कहीं भी कोई भी व्यक्ति आकर कबाड़ की दुकान चलाना शुरू कर दे रहा है। पहले एक-दो एजेंट रखकर कबाड़ इकट्ठा करवाकर खरीदते हैं। बाद में इनके एजेंट बढ़ जाते हैं। फिर यह धंधा बड़े पैमाने पर शुरू हो जाता है। खास बात तो यह है कि पूरे जिलेऔर संभाग में इस तरह के कितने कबाड़ी हैं, यह भी किसी के पास रिकाॅर्ड में नहीं है। ये कबाड़ी कम दिनों में लाखों रुपये का धंधा कर रहे हैं।


क्या है कबाड़ 

घर से निकला हुआ कबाड़ जैसे कि लोहा, टीना, एल्युमिनियम, कूलर और पंखे का खराब मोटर, खराब टीवी, बड़ी-बड़ी गाड़ियों का मजबूत लोहा, तेल का टीना, कूलर, पंखा, खराब फ्रिज, फर्नीचर, अलमारी, तांबा, इलेक्ट्रॉनिक चीजें, खराब लैपटॉप, खराब कंप्यूटर, खराब मोबाइल, खराब साइकिल, खराब बाइक, टायर आदि लाए जाते हैं। कोयलांचल क्षेत्र होने के कारण शहडोल संभाग के तीनों जिलों में संचालित कोयला खदानों में लगी मशीनों के कल पुरुषों को कबाड़ के नाम पर चोरी कर बेचे जाने और रेलवे लाइन के किनारे पड़े लोहे को उठाकर बेचे का गोरख धंधा भी इन कबाड़ियों द्वारा बखूबी संचालित किया जा रहा है।

कौन सा कबाड़ी कहां सक्रिय 

 हालांकि पूरे शहडोल संभाग में कितने बड़े छोटे कबड्डी सक्रिय में और अवैध कारोबार में लिप्त है इसकी आधिकारिक जानकारी तो शायद किसी के पास नहीं लेकिन चर्चित नाम के बारे में सूत्रों से मिले जानकारी पर यदि यकीन किया जाए तो उमरिया जिले के करकेली में अनिल, पाली, मंठार में फिरोज-मोहसीन, नौरोजाबाद मेंब बलू-लल्लू, शहडोल जिले के बुढ़ार, धनपुरी, अमलाई, रसमोहनी, गोहपारू, जैतपुर, सिंहपुर में अनीश-मोहसीन श हडोल शहर में गुड्डू-रहीम-मुन्ना, ब्योहारी में राजा कबाड़ी अनूपपुर जिले के कोतमा, बिजुरी, राजनगर, रामनगर, जैतहरी, पुष्पराजगढ़ और अनूपपुर में सादिक हुसैन उर्फ़ जानू का का कबाड़ कारोबार एक लंबे समय से संचालित है जो कबाड़ जैसी अनुपयोगी चीजों से लाखों करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं।

बरस रहा रुपया 

 जानकार सूत्रों की माने तो कबाड़ के इस अवैध कारोबार में रुपया बरस रहा है। कई गुना रेट पर दूसरे शहरों और राज्यों में कबाड़ भेजा जाता और इससे होने वाली अवैध  कमाई में से कथित तौर पर कतिपय कुर्सीधारियों को शेयर भी पहुंचाया जाता है अवैध कमाई के शेयर होल्डर कितने और कौन लोग हैं इस बात का खुलासा तो होना ही चाहिए। 

कबाड़ बिकने का रेट 

 इस अवैध कारोबार किस संबंध में जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले से सूत्र द्वारा मिली जानकारी के अनुसार रेड्डी किस श्रेणी में आने वाले कबाड़ के खरीद स्वरूप पर स्थानीय कव्वाली अच्छी खासी कमाई भी करते हैं जहां तक कबाड़ के रेट का समान है रायपुर में 32 रुपये, जबलपुर में 34 रुपये की दर से कबाड़ की बिक्री की जाती है जबकि शहडोल संभाग में गली-गली मोहल्ले मोहल्ले घूम कर कबाड़ संग्रह करने वालों से कबाड़ खरीदने का रेट 20 से 23 रुपये ही है।

बड़ा कारोबार 

 शहडोल संभाग में सक्रिय कबाड़ सिंडिकेट के कारोबार पर यदि गौर किया जाए तो यह एक बहुत बड़ा कारोबार बन चुका है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इसी फरवरी के महीने में अब तक बटूरा, पाली, नौरोजाबाद से लोडिंग होकर शहडोल संभाग से लगभग 1500 टन माल 12 से 18 चक्का की गाड़ी में रायपुर और जबलपुर जा चुका हैं। 


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