ऐसा कोई स्टेडियम या मैदान नहीं जहां खेल प्रशिक्षण ले सकें बच्चे
गोल्ड कप फुटबॉल या मुर्गे लड़ा रही नगर पालिका : शमीम
संभाग मुख्यालय से लगे सोहागपुर कोयलांचल की खेल प्रतिभाएं, मैदान जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ती नजर आ रही है। खेलों के विकास पर अपनी प्रतिबद्धता जताने के लिए नगर पालिका द्वारा गोल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट के आयोजन के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर लोगों का मनोरंजन तो किया जा रहा है लेकिन सवाल यह उठता है कि जब नगर में खेल मैदान ही नहीं है, खेल सुविधाओं का टोटा है, तो खेल और खिलाड़ियों का विकास कैसे संभव है। तत्कालीन संभागायुक्त शहडोल राजीव शर्मा द्वारा फुटबॉल क्लबों के गठन के साथ ही खेल गतिविधियों को प्रश्रय दिए जाने से कोयलांचल वासियों विशेषकर विभिन्न खेलों में रुचि रखने वाले बच्चों में उम्मीद की एक नई किरण जगी तो थी लेकिन उनके जाने के साथ ही लोगों की तमाम उम्मीदों पर पानी फिर गया। जिले में फुटबॉल क्रांति लाने के तमाम प्रयासों के साथ ही जहां फुटबॉल जीवित था वहां भी खेल और इसकी सुविधाएं दम तोड़ती नजर आ रही है।
धनपुरी। विद्वान-बुजुर्ग कहते हैं कि खेलों से शारीरिक ही नहीं मानसिक विकास भी होता है अच्छे स्वास्थ्य के लिए खेलना जरूरी है लेकिन क्या गिल्ली डंडा, बंटी या लुका-छिपी खेलने से शारीरिक और मानसिक विकास होगा। खेलने और खेल का प्रशिक्षण लेने के लिए खेल मैदान का होना जरूरी है जिसकी कमी से कोयलांचल नगरी धनपुरी वासी एक लंबे समय से जूझ रहे हैं। यूं तो नगर में लगभग आधा दर्जन मैदान ऐसे हैं जहां न सिर्फ बच्चों को खेल का प्रशिक्षण दिया जा सकता है बल्कि वह अपनी खेल प्रतिभाओं को बखूबी निखार सकते हैं लेकिन अतिक्रमण की बाढ़ गंदगी और बदहाली ने इन खेल मैदानों का मानो अस्तित्व ही समाप्त कर दिया है।
बदहाल मैदान
धनपुरी नगर में मां ज्वालामुखी मैदान ,बाबूलाल ग्राउंड , ब्रिटिश ग्राउंड विलेज नंबर 1, मैगजीन सिद्ध बाबा ग्राउंड, की जमीन धीरे-धीरे अतिक्रमण की चपेट में आ गई और अब आलम यह है कि खेलना तो दूर यहां कुछ भी कर पाना संभव नहीं है।
घुट रही प्रतिभाएं
खेल मैदान नहीं होने से खेल प्रतिभाएं दबकर रह गई हैं। नगर व क्षेत्र में भी ऐसा कोई खुला स्थान नहीं है जहां सुबह शाम युवा प्रेक्टिस कर सके। क्षेत्र के सैकड़ों युवा सुबह-शाम सड़कों पर दौड़ लगाते मिलते हैं। वहीं अगर फुटवाल , क्रिकेट खेलने का मन हो तो किसी स्कूल के मैदान की ओर रुख करते है। कई लोग दशहरा मैदान पर खेलने जाते है। युवाओं का कहना है कि हमारे क्षेत्र में ऐसा कोई खेल मैदान स्टेडियम नहीं है, जहां वे अच्छी तरह से प्रशिक्षण या ट्रेनिंग ले सकें। क्षेत्र में अच्छा स्टेडियम व अच्छे कोच न होने से यहां के खिलाड़ी यहीं के होकर रह गए हैं। इन खिलाड़ियों का देश के लिए कुछ करने का जज्बा दबकर रह गया है।
मिला तो सिर्फ झुनझुना
क्षेत्र में हर वर्ष दो से तीन क्रिकेट टूर्नामेंट खेल प्रेमी व खिलाड़ी मिलकर कराते हैं। हर आयोजन के शुभारंभ एवं समापन अवसर पर अतिथि के रूप में आमंत्रित जनप्रतिनिधियों अधिकारियों से खेल मैदान के साथ ही अन्य सुविधाओं एवं प्रशिक्षकों की मांग की जाती है लेकिन हर बार धनपुरी नगर वासियों को आश्वासन का झुनझुना थमा कर अतिथिगण प्रस्थान कर जाते हैं। खिलाड़ियों की मांग पर कई बार इन बड़े नेताओं ने घोषणा तो की लेकिन घोषणा पर अमल नहीं किया गया। युवाओं का दावा है कि धनपुरी क्षेत्र में स्टेडियम बन जाए तो कई अच्छे खिलाड़ी निकल सकते हैं। स्टेडियम की मांग कई मर्तबा की जा चुकी है पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
बिना प्लानिंग के करोड़ों खर्च
नगर पालिका द्वारा नगर सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपए व्यय किऐ गए लेकिन खेलकूद के लिए एक भी मैदान का विकास या शासकीय स्टेडियम निर्माण नहीं कराया गया और ना ही कोई प्लानिंग की जा रही है वर्षों पूर्व जो भी खेल मैदान थे वह भी अतिक्रमण के जरिए धीरे धीरे सिकुड़ते जा रहे हैैं | नगर के ऐसे कई प्रतिभावान खिलाड़ियों ने संभागीय, राज्य एवं राष्ट्रीय मैच खेलकर संभाग व नगर का नाम रोशन किया है इतना होने के बाद भी खेल ग्राउंड ना होने के चलते कई अन्य खिलाड़ियों की प्रतिभा यहीं दब कर रह गई है|
गोल्ड से गोल्डन का सफर: शमीम
धनपुरी पत्रकार परिषद के अध्यक्ष मो. शमीम खान ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पुराने जमाने में राजा महाराजा और संपन्न वर्ग के लोग जन सामान्य का ज्ञान महत्वपूर्ण मुद्दों और समस्याओं से भटकाने के लिए मुर्गों की लड़ाई कभी बैलों की लड़ाई का आयोजन कर उनमें जन सामान्य के ही पैसों का दांव लगवा कर अच्छी खासी कमाई कर लिया करते थे। इससे दो फायदा होता था लोगों का समस्याओं से ध्यान भी भटक जाता था और आयोजकों की अच्छी कमाई भी हो जाती है। वही फार्मूला धनपुरी नगर पालिका द्वारा गोल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट के आयोजन के माध्यम से अपनाया गया है। हालांकि टूर्नामेंट में विभिन्न अलग-अलग राज्यों की टीमों के सहभागिता देखी जा रही है लेकिन वह टीमें राज्य स्तरीय नहीं बल्कि उन राज्यों के किन्हीं छोटे-मोटे स्थानों अथवा संस्थान विशेष की टीमें ही हैं। छोटी मोटी टीमों को उनके राज्यों के नाम के साथ जोड़कर अखिल भारतीय कोल्ड कप टूर्नामेंट का नाम तो दे दिया गया लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। नगर पालिका से जुड़े सूत्रों की मानें तो गोल्ड कप टूर्नामेंट के नाम पर गोल्डन कमाई का इंतजाम किया गया है। वास्तव में गोल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट के नाम पर देखी जा रही राशि से धनपुरी नगर में खेल मैदाने और स्टेडियम का निर्माण किया जाना चाहिए था जिससे कि खेल प्रतिभाओं को निखारने में मदद मिल पाती लेकिन ऐसा न करके नगर पालिका ने मुर्गा बल लगाने की की प्रतियोगिता आयोजित करने जैसा कार्य किया है।
बच्चे खेलें तो कहां
धनपुरी नगर के पूर्व खिलाड़ियों गोविंद अग्रवाल, गोरेलाल, जयदीप पाल, मोहन कश्यप आदि का कहना है कि बच्चे बचपन में खेलेंगे नहीं तो खिलाड़ी कैसे बनेंगे। खेलों से बच्चों के शरीर का विकास होता है। इससे शरीर बीमारियों से दूर रहता है। महिलाएं तो सारा दिन घर में ही बंद रहती हैं। अगर इलाके में कोई खेल का मैदान बन जाए तो महिलाएं भी सुबह शाम वहां योग और सैर आदि कर खुद को निरोग बना सकें। इलाके में खेल का मैदान बनना चाहिए।
मैदान अतिक्रमण की चपेट में
युवा खेल प्रेमियों कहना है कि नगर व जिला प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए। सरकार खेलों के महत्व को समझ रही है, लेकिन मैदानों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं हैं| नगर में आधा दर्जन ऐसे मैदान जहां खेलना संभव नहीं है। मां ज्वालामुखी मैदान, बाबूलाल ग्राउंड, ब्रिटिश ग्राउंड विलियस नंबर 1, मैगजीन सिद्ध बाबा ग्राउंड, सुभाष माइंस पूर्व में चल चुकी खदान, अगर उक्त स्थलों में प्रयास किया जाए तो नगर के युवा खेल प्रेमियों खिलाड़ियों को एक खेल मैदान की सुविधा मिल सकती है जो वर्षों से मांग की जा रही है| बरसों से मैदान धीरे-धीरे अतिक्रमण के चपेट में आते जा रहे हैं बाबूलाल ग्राउंड धीरे धीरे ग्राउंड की जमीन कम होती जा रही है क्योंकि ईंट भट्टे वाले जमीन पर बेजा कब्जा कर हजम करते जा रहे हैं और नगर प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की चुप्पी अतिक्रमण कारियों के हौसले बुलंद कर रही है।
सांसों में जहर
धनपुरी नगर का बाबूलाल ग्राउंड एक अच्छा मैदान हो सकता है जहां अभी भी बच्चे खेलते हैं। समस्या यह है कि अतिक्रमण कारियों ने मैदान के बगल में ही ईंट भट्ठे लगा रखे हैं जहां से दिन रात कोयले का जहरीला धुआँ उठता रहता है। खिलाड़ी खेलने जाते हैं लेकिन जब उनकी सांसे तेज होती हैं तो फेफड़ों में कोयले का जहरीला धुआं समा रहा है खेलों से होने वाले लाभ के बजाय उन्हें विषपान करने के लिए मजबूर किया जाना कहां तक न्याय संगत है।
स्थानीय नागरिकों ने खेल गतिविधियों एवं सुविधाओं को बढ़ावा देने वाले संभागायुक्त शहडोल तथा जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए धनपुरी नगर पत्रकार परिषद के अध्यक्ष मोहम्मद शमीम खान ने नगर में खेल सुविधाओं के विस्तार के साथ मैदानों की सुरक्षा के निर्देश नगर प्रशासन को दिए जाने की मांग की है।
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