दो बार ऑपरेशन के बाद भी युवक की हालत गंभीर
अमृता अस्पताल ने बिगाड़ा केस, जबलपुर के डाक्टरों ने भी खड़े किए हाथ
अनिल द्विवेदी (7000295641)
शहडोल। इन दिनों धनलोलुपता इस कदर बढ़ चली है कि लोग पैसे कमाने के वास्ते किसी की जान से खिलवाड़ करने में भी पीछे नहीं रहते। यह स्थिति उस समय और भी गंभीर हो जाती है जब जिंदगी देने वाले अस्पताल ही मरीज को मौत के मुंह में पहुंचाने लगते हैं। ऐसा ही एक मामला अमृता अस्पताल में सामने आया है। उत्कृष्टता के हर मानक को पूरा करने का दावा करने वाले इस अस्पताल में गत दिनों एक गरीब युवक की यूरोसर्जरी के अस्पताल से छुट्टी कर दी गई जिसके बाद युवक की हालत और बिगड़ गई। दिन ब दिन गंभीर होती हालत को देखते हुए उसके परिजन पुनः अमृता अस्पताल लेकर गए जहां उस युवक की दोबारा सर्जरी की गई। दोनों ऑपरेशन के नाम पर अस्पताल में मोटी रकम जमा कराई गई। गरीब युवक के परिजन किसी तरह रकम जुटाकर अपने बेटे की सेहत में सुधार होने की आस लगाए बैठे रहे। लेकिन उनकी उम्मीदों पर उस वक्त पानी फिर गया जब उनके पुत्र की हालत दोबारा ऑपरेशन के बाद भी नहीं सुधरी।
अंततः युवक को जबलपुर ले जाया गया जहां उसकी फिर यानी तीसरी बार ऑपरेशन की नौबत आ बनी। जबलपुर के डाक्टरों का कहना था कि प्रारंभिक ऑपरेशन में ही केस काफी बिगड़ गया है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि अमृता अस्पताल में या तो किसी यूरोसर्जन के बगैर ही ऑपरेशन कर दिया गया या फिर वहां उपचार में गंभीरता नहीं दिखाई गई।
बहरहाल, जबलपुर के डाक्टरों ने बिगड़े केस को सुधारने का भरसक प्रयत्न किया लेकिन उन्हे भी सफलता नहीं मिल सकी। अब तो जबलपुर के डाक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। परिणामस्वरूप युवक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।
(विस्तृत विवरण के लिए प्रतीक्षा करें )
इनका कहना है-
हास्पिटल में दो यूरो सर्जन संलग्न हैं, एक भोपाल, एक सतना से सप्ताह में एक बार आते हैं और ऑपरेशन करते हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी डाॅ. जैन करते हैं। कौन सा केस बिगड़ा है उनको आप भेज दीजिए। डाॅ. साहब से बात करके ठीक करवा देंगे।
राहुल सोनी, प्रबंधक
अमृता अस्पताल पिपरिया, शहडोल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें