कैसे सफल होगा राजस्व महा अभियान, नक्शा तो सुधारो श्रीमान
जिले के कई गांवों के नक्शे त्रुटिपूर्ण, नित नए भूमि विवादों का जन्मसीमांकन, नक्शा तरमीम में कठिनाई, भूस्वामी हो रहे परेशान
" भूखंड कहीं आकार बदल रहे हैं तो कहीं उछल- कूद मचा रहे हैं। खसरा-खतौनी में भूमि का रकबा कुछ है, तो नक्शे में कुछ और। भू स्वामियों के स्वामित्व की भूमि की सीमा तब कहीं और थी, अब कहीं दूसरी जगह नजर आ रही है।और तो और एक ही भूखंड कुछ सालों में सैकड़ों मीटर दूर पहुंच जाता है, कैसे- पता नहीं। यह किसी हारर फिल्म का सीन नहीं बल्कि राजस्व विभाग के मैदानी अमले द्वारा गांव के नक्शे में किए गए खिलवाड़ या उस प्रचंड भूल का नतीजा है जो दशकों से भूमि स्वामी काश्तकारों को आए दिन भुगतना पड़ रहा है। ऐसे हालात में राजस्व महा अभियान की सफलता पर सवालिया निशान लगना तो स्वाभाविक है। "
" भूखंड कहीं आकार बदल रहे हैं तो कहीं उछल- कूद मचा रहे हैं। खसरा-खतौनी में भूमि का रकबा कुछ है, तो नक्शे में कुछ और। भू स्वामियों के स्वामित्व की भूमि की सीमा तब कहीं और थी, अब कहीं दूसरी जगह नजर आ रही है।और तो और एक ही भूखंड कुछ सालों में सैकड़ों मीटर दूर पहुंच जाता है, कैसे- पता नहीं। यह किसी हारर फिल्म का सीन नहीं बल्कि राजस्व विभाग के मैदानी अमले द्वारा गांव के नक्शे में किए गए खिलवाड़ या उस प्रचंड भूल का नतीजा है जो दशकों से भूमि स्वामी काश्तकारों को आए दिन भुगतना पड़ रहा है। ऐसे हालात में राजस्व महा अभियान की सफलता पर सवालिया निशान लगना तो स्वाभाविक है। "
अनिल द्विवेदी (7000295641)
शहडोल। शासन के निर्देश पर पूरे जिले में राजस्व महा अभियान का संचालन किया जा रहा है।अभियान के तहत सीमांकन नक्शा तरमीम, अविवादित बंटवारा सहित भूमि के विभिन्न विवादों के समाधान का प्रयास किया जा रहा है। शासकीय विज्ञप्तियों पर गौर किया जाए तो यह अभियान काफी हद तक सफल माना जा रहा है लेकिन मैंदानी हकीकत कुछ और ही कहानी कह रही है। जिले के ऐसे कई गांव हैं जहां तत्कालीन पटवारी और राजस्व निरीक्षकों द्वारा की गई मनमानी के परिणाम स्वरूप नक्शे बुरी तरह से विकृत हो चुके हैं। इन विकृत नक्शों के आधार पर न तो सीमांकन का कार्य सही ढंग से हो पा रहा है और न हीं नक्शा तरमीम हो पाता, आलम यह है कि आए दिन नए-नए विवाद उपज रहे हैं। नक्शे में गड़बड़ी का सबसे बड़ा और ताजा उदाहरण जिला मुख्यालय से लगा राजस्व ग्राम एवं पटवारी हल्का बरुका है जहां का नक्शा दशकों से विवादित चला आ रहा है। इसमें सुधार की पहल राजस्व विभाग द्वारा कभी नहीं की गई परिणामस्वरूप भूस्वामी काश्तकारों को आए दिन परेशान होना पड़ रहा है।
नक्शे की अहमियत
राजस्व विभाग में ग्राम नक्शों की अहम भूमिका है, नक्शे के बिना न तो किसी जमीन की पैमाइश हो सकती और न हीं उसका बटांकन किया जाना संभव है,बावजूद इसके राजस्व विभाग का मैदानी अमला इन सभी कार्यों को बखूबी अंजाम दे रहा है परिणाम स्वरुप आए दिन भूमि स्वामी काश्तकारों के बीच विवाद की स्थितियां निर्मित होती रही हैं। राजस्व से संबंधित विवादों के निराकरण के लिए राजस्व महा अभियान चलाया जा रहा है लेकिन यह अभियान भी पूर्व के तमाम अभियानों की भांति कागजों तक ही सिमट कर रह जाएगा क्यों कि जब शासकीय राजस्व अभिलेख ही दुरुस्त नहीं होंगे तो विभागीय अधिकारी-कर्मचारी किस आधार पर समस्याओं का समाधान करेंगे यह एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।
रकबों में भिन्नता
बंदोबस्त के बाद से गांव के नक्शों के संधारण में तत्कालीन राजस्व निरीक्षकों एवं पटवारियों द्वारा की गई कथित लापरवाही अथवा मनमानी के कारण कई गांव के नक्शे विवादास्पद होकर रह गए हैं बतौर उदाहरण जिला मुख्यालय के समीपी ग्राम बरूका के नक्शे को लिया जा सकता है। ग्राम बरुका में अधिकांश भूखंड के नक्शे और खसरे के रकबो में काफी भिन्नता देखी जा सकती है। नक्शे में छेड़छाड़ के कारण कई भूखंडों का रकबा कहीं घट गया है तो कहीं बढ़ गया है। आलम यह है कि पटवारी अथवा राजस्व निरीक्षक जब जमीन की पैमाइश के लिए गांव में पहुंचते हैं तो सैटेलाइट नक्शे का उपयोग कर सीमांकन का प्रयास जरूर करते हैं लेकिन उससे किसानों की समस्याओं का हल नहीं हो पा रहा है। इस प्रकार की गड़बड़ियां सड़क किनारे के भूखंडों में अधिक देखने को मिलती हैं।
कौन खा गया जमीन
ग्राम बरुका के पीड़ित भूमि स्वामी काश्तकारों ने चर्चा के दौरान बताया कि नक्शे में गड़बड़ी की शिकायत पिछले कई वर्षों से मिल रही है। हाल ही में जो मामला सामने आया उस पर यदि गौर किया जाए तो रीवा रोड के बगल में सीएम राइज स्कूल छतवई की चारदीवारी जहां से ग्राम बरुका की सीमा है, के पीछे रीवा रोड स्थित भूखंडों खसरा नंबर 121 से 130 तक के खसरा और नक्शे के वास्तविक रकबों का मिलान किया जाए तो स्थिति स्वत: स्पष्ट हो जाएगी। जानकारी में बताया गया कि खसरानंबर 125 का रकबा, खसरा-खतौनी में 1:52एकड़ दर्ज है जबकि नक्शा में 1:29 एकड़ भूमि ही है। खसरा क्रमांक 124 का खसरा-खतौनी में रकबा एक एकड़ बताता है लेकिन नक्शे का रकबा 1: 20 एकड़ है। खसरा क्रमांक126 का रकबा लगभग एक एकड़ है लेकिन नक्शे मेंइसका रकबा 1: 20 एकड़ दिख रहा है। इसी प्रकार से अन्य भूखंडों के खसरा नंबरों में भी कमोबेश यही स्थिति देखने को मिल रही है, जिसके कारण भूमि स्वामियों का परेशान होना स्वाभाविक है। उन्हें इस सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा है कि उनके स्वामित्व की आराजी को जमीन निकल गई या आसमान? जबकि जिन भू स्वामियों का रकबा नक्शा में बढ़ा है और वह उस पर काबिज हैं उन्हें यह लगता है कि भगवान ने छप्पर फाड़ कर उन्हें सब कुछ दे दिया है। नशे में हुई प्रचंड भूल का खामियाजा बरूका ग्राम के अधिकांश भूमि स्वामी भुगतने को विवस हैं।
एक ढूंढो कई मिलेंगे
ग्राम नक्शे में गड़बड़ी की शिकायत जिले के कई गांवों में है।अभी ग्राम बरूका का मामला सामने आया है, यदि सघन जांच की जाए और नक्शों में हेर फेर के मामले का पता लगाया जाए तो ऐसे कई मामले सामने आ सकते हैं। नक्शों में सुधारका कार्य यदि नहीं होता है तो कितने भी अभियान चलाए जाएं, शासन-प्रशासन कितना भी प्रयास कर ले राजस्व से संबंधित विवादों का समाधान संभव नहीं है।
स्वयं संज्ञान लेकर कार्यवाही की मांग
गौरतलब है कि ग्राम बरुका के नक्शे को लेकर कई बार तहसील कार्यालय में शिकायतें भी हो चुकी हैं। सुधार के आवेदन भी कास्तकारों द्वारा दिए जाते रहे हैं लेकिन इस नक्शे में सुधार अब तक नहीं हो सका। जिसके कारण कुछ भूखंड तो ऐसे भी हैं जो सन 1990 तक और उससे पहले रीवा रोड में थे अब छलांग लगाकर पटासी रोड में पहुंच गए। सन1990 तक जिस भूखंड की लंबाई दो जरीब थी वह अब डेढ़ जरीब ही रह गई। किसने नक्शे में खिलवाड़ किया, जमीनों को कौन खुर्द-बुर्द करता रहा इसका पता लगाकर दोषी व्यक्तियों को दंडित करने के साथ ही, स्वयं संज्ञान में लेकर नक्शा दुरुस्त कराए जाने की मांग ग्रामीणों ने कलेक्टर व कमिश्नर से की है।
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