श्रमवीरों की जिंदगी के साथ चल रहा खिलवाड़
एरिया प्रबंधन बना अंजान, उपक्षेत्रीय व खान प्रबंधक की मनमानी
एसईसीएल को आए दिन लग रही करोड़ों की चपतमुफ्त की हाजिरी पकाने वाले श्रमिक नेताओं ने साधा मौन
" सोहागपुर कोयलांचल या एसईसीएल ही नहीं बल्कि पूरे देश की सर्वोत्कृष्ट कोयला खदानों में से एक बंगवार भूमिगत खदान इन दिनों स्टापिंग घोटाले को लेकर सुर्खियों में है। इसी स्टापिंग घोटालेके परिणाम स्वरूप बंगवार भूमिगत खदान में करोड़ों रुपए मूल्य के तीन बड़े शक्तिशाली वाटर पंप पानी में डूब गए।यह तो मैनेजमेंट और श्रमवीरों या जिले का सौभाग्य है कि पानी भरने के समय खदान के भीतर श्रमवीर मौजूद नहीं थे, वरना पता नहीं कितने लोगों की जल समाधि हो चुकी होती। आश्चर्यजनक सच यह है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी एरिया प्रबंधन के कानों में जूं नहीं रेंगा, उपक्षेत्रीय प्रबंधन ने आंख पर पट्टी बांध ली तथा श्रमिक हितों के लिए संगठन तैयार कर अपनी जान तक लड़ा देने का दम भरने और मुफ्त की हाजिरी पकाने वाले श्रमिक नेताओं ने मामले से पल्ला ही झाड़ लिया। कुछ नेताओं ने तो यह कहने में भी शर्म महसूस नहीं किया कि उन्हें तो इस मामले की जानकारी ही नहीं है। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी घटना जिसमें करोड़ों का नुकसान और अनगिनत मजदूरों की जान का खतरा हो, अनभिज्ञता या लापरवाही का विषय कैसे हो सकता है।"
अनिल द्विवेदी 7000295641
शहडोल। एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र की कोयला खदानों में जब भी कोई बड़ी घटना होती है उसको दबानेऔर लोगों को गुमराह करने का हर संभव प्रयास प्रबंधन द्वार किया जाता रहा है। इसकी जानकारी न तो जिला व पुलिस प्रशासन को दी जाती और न ही जन सामान्य तक बात पहुंचने दी जाती है। जब मामला नियंत्रण से बाहर हो जाता है तब अंतत: जिला व पुलिस प्रशासन को हस्तक्षेप कर मामले को हल करना पड़ता और लोगों को जवाब देना पड़ता है क्योंकि कुछ भी हो जिला प्रशासन की ही जवाबदेही तय होती है। ऐसा ही एक मामला पिछले सप्ताह 24 जनवरी को सोहागपुर क्षेत्र के बंगवार भूमिगत खदान में देखने को मिला जहां स्टॉपिंग में गड़बड़ी के करण खदान में अचानक बड़ी तेजी के साथ पानी भरा और करोडो रुपए मूल्य के तीन शक्तिशाली वाटर पंप पानी में डूबकर रह गए। इस संबंध में उपक्षेत्रीय प्रबंधन या क्षेत्रीय प्रबंधन द्वार किसी को कोई जानकारी नहीं दी गई यहां तक कि मजदूरों के हितों का दम भरने वाले विभिन्न संगठनों के श्रमिक नेताओं को भी इतनी बड़ी घटना से दूर रखा गया। इन सब करतूतों के पीछे प्रबंधन से जुड़े लोगों की क्या मंशा है इस सवाल का जवाब फिल्हाल किसी के पास नहीं है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एसईसीएल की खदानों में हवा और पानी की रोकथाम अथवा आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लॉकिंग या स्टॉपिंग का कार्य किया जाता है। इस कार्य में एसईसीएल के सिविल विभाग एवं खदान के मैनेजर या उपक्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती जा रही है जिसके कारण आए दिन दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। न सिर्फ दुर्घटना की आशंका बल्कि खदानों में कार्य करने वाले श्रम वीरों की जिंदगी और मौत का सवाल भी बना रहता है, बावजूद इसके मैनेजमेंट द्वारा स्टापिंग के कार्य में भीषण लापरवाही बढ़ती जा रही है जिसका खामियाजा विगत दिनों बंगवार भूमिगत माइंस में देखने को मिला है।
क्या है स्टापिंग
एसईसीएल से जुड़े सूत्रों के मुताबिक विभिन्न कोयला खदानों में कई फेस पर उत्खनन का कार्य किया जाता है। जिस फेस में कार्य हो चुका होता है उसको कंक्रीट की दीवाल बनाकर बंद कर दिया जाता है ताकि बाहर से आने वाली हवा और पानी को रोका जा सके या उसकी आवश्यकतानुसार आपूर्ति की जा सके। यही कंक्रीट की दीवाल स्टॉपिंग या लाकिंग कही जाती है। इसके निर्माण के नाम पर बड़े पैमाने पर पूरे सोहागपुर कोयलांचल में घोटाला चल रहा है। उपक्षेत्रीय अथवा खान प्रबंधक सहित संबंधित अधिकारी कर्मचारियों द्वारा इस प्रकार स्टाफिंग के कार्य में घोटलेबाजी कर लाखों करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे किये जा रहे हैं जिसका खामिमयाजा मजदूरों और एसईसीएल प्रबंधन को को भुगतना पड़ता है और स्वार्थी अधिकारी कर्मचारियों द्वारा श्रमवीरों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का प्रयास किया जाता है। स्वार्थ और अवैध कमाई की लालसा लोगों विशेष कर श्रमवीरों को मौत के मुंह में धकेलने का काम कर रही है।कंक्रीट के दीवार की बजायतीन सीट लगाकर उसेकोयले के चूड़े मेंदबाकर खड़ा कर दिया जाता हैजोकल की कभी-कभी सफल हो जाती है लेकिन बहुतायत में इसका खामियाजा भुगतना पड़ता हैहवा तो एक बार रुक भी जाती है लेकिन पानी के प्रचंड भाव को रोक पाना इसके लिएसंभव नहीं है पानी को रोकने के लिए कंक्रीट की दीवाल या स्टाफिंग अनिवार्य है जो खाना प्रबंधन द्वारा नहीं बनाई जाती और उसका पैसा हड़प लिया जातास्टाफिंग निर्माण कार्य में इस प्रकार की धांधलीएसईसीएल के नुकसान का एक बड़ा कारण बनती है।
बंगवार की घटना
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बंगवार भूमिगत खदान में गत 24 जनवरी को सेक्टर 42 में बड़ी तेजी के साथ पानी का आना शुरू हुआ और देखते ही देखते सेक्टर 42 पानी में डूब गया। अचानक पानी आने की इस घटना में एसईसीएल के तीन शक्तिशाली मोटर पंप पानी में डूब गए। इन पंपों के बारे में बताया जाता है कि10 से 15 इंच व्यास का पानी खदान के बाहर फेंकने वाले इन पंपों की कीमत लाखों रुपए मे है। तीन पंप डूबने का मतलब जानकार सूत्रों के मुताबिक करोड़ों रुपए है। इस क्षति की भरपाई कौन करेगा और इसके लिए कौन जिम्मेदार माना जाएगा, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। जहां तक एरिया और सब एरिया प्रबंधन की जवाब देही का सवाल है दोनों ही स्तर के अधिकारियों ने कथित तौर पर अपना अपना चेहरा ढक लिया है और यह मान लिया है कि जैसे उन्हें कुछ नहीं दिख रहा उसी तरह वह स्वयं भी किसी को दिखाई नहीं देंगे और मामला किसी को पता नहीं चलेग।
बेसकीमती पंपों की बलि
खदान में जल भराव की घटना में डूबे पंपों के बारे में हालांकि मैनेजमेंट के लोगों द्वारा तो कुछ भी नहीं बताया जा रहा है लेकिन मैनेजमेंट से जुड़े सूत्रों की मानें तो पानी में डूबे इन शक्तिशाली बड़े पंपों की कीमत एक करोड रुपए से भी अधिक की मानी जा रही है। बताया जाता है कि एक-एक पंप की कीमत 60 से 70 लाख रुपए से ऊपर की होगी यदि सूत्रों की बातों पर यकीन किया जाए तो एसईसीएल की करोड़ों रुपए की संपत्ति मैनेजमेंट से जुड़े अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही के कारण डूब गई जिसकी भरपाई होने की कोई संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है।
मजदूर होते तो क्या होता
यह एक संयोग ही था कि जल भराव के समय खदान में कोई भी श्रमवीर अथवा अधिकारी या कर्मचारी मौजूद नहीं थे, अन्यथा पता नहीं कितने लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता। सवाल यह उठता है कि मैनेजमेंट की लापरवाही के कारण हुई इस घटना में यदि किसी मजदूर की जान चली जाती या कई जाने जातीं तो इसका जिम्मेदार आखिर किसे माना जाता? क्या स्टापिंग घोटाले को अंजाम दे रहे अधिकारी कर्मचारी और मैनेजमेंट के लोग इसके लिए जिम्मेदार नहीं होते। शक्तिशाली पंपों का डूबना आर्थिक क्षति है जिसे किसी प्रकार पूरा भी किया जा सकता है लेकिन यदि मानवीय क्षति होती तो इसका जिम्मेदार किसे माना जाता, क्या ऐसे लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए, लोगों के बीच इस बात को लेकर जुबानी जंग का दौर जारी हैऔर लोगों का यह मानना है कि इस मामले की विजिलेंस से जांच कराई जाकर दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
वाह रे मजदूरों के मसीहा...
देश भर के तमाम औद्योगिक, उत्पादन, व्यवसायिक और अन्य क्षेत्रों में जहां मजदूरों की संख्या अधिक हो वहां श्रम संगठनों ने अपनी इकाइयां गठित की हुई हैं। इन इकाइयों का संचालन करने वाले स्थानीय श्रमिक नेता बेखौफ होकर मजदूरों के हितों का दम भरते और उनके मसीहा बने हुए हैं, लेकिन एसईसीएल सोहागपुर कोयलांचल में जितने भी श्रम संगठन मौजूद हैं उनके नेताओं की तो बात ही निराली है। कलारी कर्मचारियों और उनके परिजनों का कहना है कि हर नेता मैनेजमेंट से अपनी साथ-गांठ मजबूत करने और मुफ्त की हाजिरी लगाकर मौज मस्ती करने, अधिकाधिक व्यक्तिगत लाभार्जन को ही अपना परम कर्तव्य मान बैठे हैं। वह मजदूरों के हितों, उनके साथ हो रही ज्यादतियों या उनकी समस्याओं से कोई सरोकार न रख करसिर्फ अपना मतलब साधने में लगे हुए हैं। स्टॉपिंग घोटाले के कारण बंगवार माइंस में पंपों के डूबने की घटना के बाद कतिपय श्रमिक नेताओं से हुई चर्चा के बाद तो यही साबित होता है।
धनबाद से टीम बुलाकर कराएंगे जांच; रावेन्द्र
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन काउंसिल एटक के सोहागपुर क्षेत्र के अध्यक्ष रावेन्द्र शुक्ला ने चर्चा के दौरन कहा कि कोयला खदानों में स्टॉपिंग के कार्य का निरीक्षण और मूल्यांकन इंजीनियर द्वारा किया जाता है। हालांकि ठेकेदारों द्वारा गड़बड़ी किए जाने की शिकायतें मिलती रही हैऔर हमने इसकी शिकायत ऊपर लेवल तक भी की थी, जिसकी जांच भी हुई है। गत 24 जनवरी को बंगवार माइंस में हुई घटना का जहां तक सवाल है, चूंकि उस समय मैं दूसरे फेस में था इसलिए जानकारी समय पर नहीं हो पाई लेकिन मामला यह है कि अचानक पानी की आवक तेज होने से व्यास बढ़ गया और बड़ी तेजी के साथ पानी आने लगा जिसमें तीन मोटर पंप डूब गए हैं। तेजी से पानी आने की जानकारी श्रमिकों को लग गई और वह काम बंद कर बाहर निकल गए अन्यथा बहुत बड़ी अनहोनी हो सकती थी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस मामले में मैनेजमेंट की लापरवाही को भी नहीं निकाला जा सकता है। हमइस मामले में धनबाद तक शिकायत भेजेंगे और वहां से टीम बुलाकर मामले की जांच करवाएंगे। किसी भी श्रमिक साथी की जिंदगी या उसके हितों के साथ खिलवाड़ की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी। पूरा यूनियन श्रमवीरों के साथ है। मैं अभी चूंकि बाहर हूं, लौटकर स्वयं निरीक्षण करूंगा और निरीक्षण करने के बाद धनबाद मुख्यालय में शिकायत भेज कर बिजिलेंस टीम के द्वारा मामले की जांच करवाने का पूरा प्रयास करूंगा।
मुझे नहीं है जानकारी; कमलेश
सोहागपुर कोयलांचल इंटक यूनियन के अध्यक्ष कमलेश शर्मा ने स्टॉपिंग घोटाला और बंगवार माइंस में पंप डूबने की घटना के बारे में पूर्णतः अभिज्ञता जताई और कहा कि बंगवार माइंस में हुई घटना के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं हैआपके माध्यम से मुझे यह जानकारी मिल रही है। मैं पता लगाऊंगा कि मुझे इस बारे में क्यों अवगत नहीं कराया गया। कोयला खदानों में इस तरह की घटनाएं होना आम बात है। जब प्रकृति के विरुद्ध नियम कायदों को दरकिनार कर लापरवाही पूर्ण ढंग से कार्य होंगे तो खामियाजा तो भुगतना ही पड़ेगा। मैं दिखवाता हूं और जो भी आवश्यक होगा कार्यवाही की जाएगी।
अपने माइंस की बात है: विनोद राय
सीटू यूनियन के सोहागपुर एरिया के पदाधिकारी विनोद राय ने बड़ी बेबाकी के साथ यह स्वीकार किया कि चूंकि मामला उनके अपने ही खदान का था इसलिए उन्होंने ज्यादा इंटरेस्ट नहीं लिया। मैनेजमेंट के लोगों ने कहा कि अपने खदान की बात है आप क्यों विरोध लेते हैं, लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि स्टापिंग के कार्य में गड़बड़ी तो होती है। 24 तारीख की जो घटना हुई हालांकि वह उस समय वहां पर नहीं थे क्योंकि सरफेस में उनकी पोस्टिंग है लेकिन जानकारी हुई थी और इस घटना में बहुत से लोगों की जान भी जा सकती थी। उन्होंने यह स्वीकार भी किया कि मैनेजमेंट और ठेकेदारों के बीच पक रही खिचड़ी मजदूरों के लिए नुकसानदायक तो है ही एसईसीएल को भी क्षति पहुंचा रही है।
नहीं हो सका संपर्क:-
बबंगवार भूमिगत खदान में गत 24 जनवरी को हुई इस घटना के बारे में जानकारी लेने के लिए उपक्षेत्रीय प्रबंधक बंगवार वी. श्रीनिवास, पूर्व क्षेत्रीय प्रबंधक विनय कुमार सिन्हा और खान प्रबंधक वी आर कुर्रे से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया जिसके कारण मैनेजमेंट का पक्ष ज्ञात नहीं हो सका है।
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