प्रशांत की कारगुजारियों का आखिर कब होगा अंत
" शहडोल संभाग में यह कहावत काफी चलन में है कि 'गरीब की मेहरारू सब की भौजाई।' मतलब यह कि गरीब या कमजोर व्यक्ति की पत्नी से चाहे जो, जितना, जिस हद तक मजाक कर ले कोई रोकने टोकने वाला नहीं है। यह कहावत जिले के गोहपारू जनपद पंचायत पर अक्षरश: लागू हो रही है। गोहपारु जनपद पंचायत ऐसे गरीब की मेहरारू बनकर रह गई है कि यहां चाहे जिस किसी को जब कभी भी सीईओ की कुर्सी पर बैठा दिया जाए गरीब ग्रामीण जनता या पंचायत राज संस्थाओं का संचालन करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि तक कभी कोई विरोध नहीं कर पाते हैं। यही वजह है कि बुढार जनपद पंचायत में एसडीओ और उपयंत्री के रूप में निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कीर्तिमान स्थापित करने वाले प्रशांत लगरखा को मुख्य कार्यपालन अधिकारी बना दिया गया जो अब अपने ही पुराने रिकॉर्ड को ध्वस्त करने के प्रयास में जी जान से जुटे हुए हैं।"अनिल द्विवेदी (7000295641)
शहडोल। जिले का गोहपारू जनपद पंचायत कार्यालय इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है। सुर्खियां बटोरने की वजह कोई बहुत उल्लेखनीय कार्य या बड़ी उपलब्धि नहीं बल्कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी की वह कुर्सी है जिसमें रिकॉर्ड होल्डर इंजीनियर प्रशांत लगरखा को बैठाया गया है। उक्त चर्चित इंजीनियर बुढ़ार जनपद में रहते हुए अपनी कथित करतूतों का डंका बजवा चुके हैं, और अब वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा रिकार्ड होल्डर इंजीनियर को गोहपारू का सर्वेसर्वा बना दिया गया है। उक्त जनपद में सहायक यंत्री और मुख्य कार्यपालन यंत्री की खाली कुर्सियों का प्रभार थामें इस इंजीनियर को छुट्टा छोड़ दिया गया और वह, मौके मिलते ही चौके पर चौका जड़े जा रहे हैं। लगरखा की कार्यप्रणाली और मौजूदा मनमानी को देखते हुए गोहपारू जनपद कार्यालय और क्षेत्र में यह सवाल हर खास-ओ-आम की जुबान पर है कि प्रशांत की मनमानी पूर्ण कारगुजारियों का अंत आखिर कब होगा।
बद किस्मत गोहपारू
जिले के गोहपारू जनपद पंचायतका यह दुर्भाग्य ही रहा है कि वहां कोई भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी अधिक समय तक नहीं टिक सका। जो भी सीईओ वहां शासन व जिला प्रशासन द्वारा भेजे गए वह कुछ दिनों के बाद ही अन्य जनपदों की और कुछ कर गए। यहां की व्यवस्था चंद पुरानेऔर अनुभवी कहे जाने वाले पसीओ व अन्य कर्मचारियों के कंधों पर ही टिकी रही, जो मनमानी पूर्वक कार्य करते हुए क्षेत्र की जनता, सरपंच सचिव एवं अन्य को लूटने खसोटते रहे हैं। दुर्भाग्य नें जनपद का साथ नहीं छोड़ा और गोहपारू में जनपद कार्यालय की व्यवस्था अस्थाई एवं डगमग ही चलती रही जिसका फायदा जुगाड़ टेक्नोलॉजी में माहिर इंजीनियर प्रशांत ने उठाया। बुढार जनपद पंचायत में रहते हुए भ्रष्टाचार और अनियमिताओं के कीर्तिमान गढ़ने के बाद लगरखा ने वरिष्ठ अधिकारियों को अपने प्रभाव में लिया और गोहपारू जनपद पंचायत के सहायक यंत्री और फिर मुख्य कार्यपालन यंत्री की कुर्सी पर कब्जा हासिल करनें में सफल हो गए।
रच रहे नए कीर्तिमान
गोहपारू जनपद पंचायत के सीईओ का प्रभार उपयंत्री को मिलने के बाद पूरे जनपद क्षेत्र के निर्माण कार्यों में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का जो दौर शुरू हुआ वह अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसकी मुख्य वजह यह है कि तकनीकी स्वीकृति से लेकर मूल्यांकन और निरीक्षण तक के सारे अधिकार एक ही व्यक्ति के पास केंद्रित हो चुके हैं। वही चोर-वही साहूकार, वही-आरोपी वही जांच अधिकारी, आखिर कौन और कैसे अनियमितताओं और भ्रष्टाचारों पर अंकुश लगा सकता है। जिस निर्भीकता के साथ जनपद गोहपारू में भ्रष्टाचार का खेल जारी है वह निकट भविष्य में किसी बहुत बड़े आर्थिक घोटाले का रूप धारण कर सकता है, और तब शासन और प्रशासन के पास पश्चाताप के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाएगा। मौजूदा समय में सरपंच सचिव रोजगार सहायक और पंचायत में ठेकेदारी में संलग्न स्थानीय, क्षेत्रीय रसूखदारों की सांठगांठ पूरे जनपद क्षेत्र में सिर चढ़कर बोल रही है।
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