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शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

जंगल की शेरनी ने लगाई दहाड़, रेत सौदागरों का फेल हुआ जुगाड़

डीएफओ साउथ श्रद्धा पन्द्रे की सख्ती से रेत माफिया और परिवहन कर्ताओं की बंधी घिग्घी

" मुख्यालय सहित पूरे जिले में यह चर्चा आम है की रेत खदानों का ठेका हो गया है, रेत का उत्खनन भी जारी है लेकिन फिर भी सोन की सुनहरी रेत लोगों की पहुंच से बाहर ही नजर आ रही है। जंगल की शेरनी की एक दहाड़ ने रेत माफियाओं, चोरों और अवैध परिवहन कर्ताओं के सारे जुगाड़ फेल कर दिए हैं। जिस प्रकार शेर की दहाड़ के बाद जंगल के सारे जानवर छुप जाते हैं ठीक उसी प्रकार डीएफओ साउथ श्रद्धा पन्द्रे की सख्ती और सक्रियता ने रेत चोरों, माफियाओं और परिवहन कर्ताओं को यूं गायब कर दिया जैसे गधे सिर से सींग। वन वृत्त शहडोल दक्षिण की कमान संभाले इस शेरनी की दहाड़ और सख्त कार्य शैली ने रेत माफियाओं सहित रेट ठेकेदार और उनके कथित  आकाओं की सारी सेटिंग को तहस-नहस करके रख दिया है। दहशत का आलम यह है कि अवैध तो क्या वैध रेत लेकर भी परिवहन कर्ता सड़क पर वाहनों के संचालन से डरते नजर आ रहे हैं क्योंकि रेत भले ही एक नंबर की हो गाड़ी तो दो नंबर की हो ही सकती है। "



अनिल द्विवेदी 7000295641

शहडोल। दक्षिण वन मंडल शहडोल की डीएफओ सुश्री श्रद्धा पन्द्रे वन संपदा संरक्षण  के साथ  ही वन क्षेत्र से रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर नकेल कसने का बीड़ा उठा लिया है। प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव द्वारा रेत के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाए जाने के निर्देश के बाद से डीएफओ ने अपनी मुहिम में तेजी लाते हुए एक ही झटके में रेत का अवैध परिवहन कर रहे दर्जनों वाहनों को पुलिस थानोंऔर वन डिपो की चार दिवारी के अंदर कैद कर दिया। डीएफओ सुश्री श्रद्धा ने सिर्फ वाहनों को भर नहीं पड़ा बल्कि उसके बाद से वह लगातार दिन-रात सर्चिंग के कार्य में लगी हुई हैं। दिन हो या रात किसी भी समय रेत के वाहनों का निकलना अब नामुमकिन सा हो चला है। आम लोगों द्वारा रेत की डिमांड किए जाने पर इन दिनों रेत के कारोबारी हाथ जोड़ते नजर आ रहे हैं, और उसकी एकमात्र वजह डीएफओ और उनकी टीम की सख्त कार्य शैली को माना जा रहा है।
कोई  मार्ग  नहीं सुरक्षित
रेत के अवैध अवैध कारोबार से जुड़े लोगों और सूत्रों की माने तो मौजूदा समय में शहडोल जिले विशेष कर दक्षिणी क्षेत्र की कोई ऐसी सड़क या गाली नहीं है जिससे रेत वाहन का निकलना आसान माना जा रहा हो। डीएफओ साउथ के सख्ती की इतनी दहशत है कि लोग यह बताते नहीं थकते कि डीएफओ मैडम ने पूरे जिले में अपने सूत्र तैनात कर रखे हैं। जैसे ही कोई गाड़ी रेत लेकर निकली पता नहीं डीएफओ तक कैसे खबर पहुंच जाती है और वह मौके पर पहुंचकर रेत लोड वाहन ही नहीं चालक को भी दबोच कर कानून के हवाले करने से पीछे नहीं हटती है। रेत के सौदागरों का तो यह भी कहना है कि यदि जल्द ही सेटिंग नहीं हुई तो डीएफओ श्रद्धा के रहते रेत का कारोबार और शहरी ग्रामीण क्षेत्रों में रेत की आपूर्ति असंभवप्राय हो जाएगी।


एक हफ्ते में सन्नाटा
वनमण्डलाधिकारी दक्षिण शहडोल सुश्री श्रद्धा पन्द्रे आईएफएस के द्वारा गत 9 फरवरी की रात्रि वन क्षेत्रो से रेत का अवैध परिवहन किये जाने की सूचना मुखबिर द्वारा प्राप्त होने पर त्वरित कार्यवाही करते हुए रेत माफियाओं के मंसूबों पर पानी फेर दिया गया। डीएफओ श्रद्धा के निर्देश पर वन विभाग की टीम ने पूरी कार्यवाही करते हुए रेत का अवैध परिवहन करने वाले तीन डग्गी (मिनी ट्रक) और एक ट्रैक्टर मयट्राली कुल चार वाहनों कोजप्त करने में सफलता अर्जित की है।
बताया गया कि सूचना प्राप्त होते ही तत्काल वनमण्डलाधिकारी द्वारा उप वन मण्डलाधिकारी बादशाह रावत वन परिक्षेत्रााधिकारी शहडोल रामनरेश विश्वकर्मा को मौके मे रवाना होने हेतु निर्देशित किया गया। साथ ही गश्ती कर रहे दल में वनपरिक्षेत्राधिकारी बुढार एवं केशवाही को भी सूचना देकर मौके मे बुलाया गया। बीट निपनिया कक्ष क्र. आर 745 से ग्राम निपनिया मे बिना अनुज्ञा पत्र के अवैध रेत का परिवहन करते हुये 03 नग वाहन (डग्गी), वाहन क्र. एमपी 18 जीए 4590, एमपी 18 जीए 4807 एवं बिना नम्बर प्लेट के पकडा गया। उपरोक्त वाहनो को काष्ठागार नरसरहा डिपो मे लाकर खडा कराया गया। उक्त कार्यवाही के बाद से डीएफओ एवं उनके अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारियों की टीम लगातार नजर बनाए हुए हैं और यह कोशिश जारी है कि वन क्षेत्र से रेत का खाना न होने पे नहीं अवैध खनन कर उक्त रेट को बेचा जा सके विभाग द्वारा भर्ती जा रही इस सख्ती का कारगर असर रेत के अवैध कारोबार पर पड़ा है।
थानों का भी बिगड़ा गणित
जानकार सूत्रों के हवाले से मिलने वाली जानकारी पर यदि यकीन किया जाए तो जिले के विभिन्न थानों में तैनात कतिपय पुलिस कर्मचारियों की रेत कारोबारियों और परिवहन कर्ताओं से अच्छी सेटिंग थी। भले ही रेत की खदान चालू नहीं थी लेकिन इन पुलिसकर्मियों की कमाई का जरिया बना हुआ था। आबादी क्षेत्र में आने वाले हर वाहन के हिसाब से उनका सुविधा शुल्क पहुंच जाता था, लेकिन वन विभाग कि इस दखलंदाजी और सख्त मिजाजी ने थानों में तैनात इन माफिया संरक्षक पुलिस कर्मियों का पूरा गणित ही बिगाड़ कर रख दिया है। आलम यह है कि अब तो पुलिस वाले भी खुद के लिए अगर चाहें तो रेत की गाड़ी मंगाने से डरते नजर आते हैं, कहीं शेरनी की नजर में न आ जाएं। शाबाश! श्रद्धा पन्द्रे, जंगल राज की विशेषताओं से लबरेज इस जिले को ऐसे वास्तव में ऐसे अधिकारियों की ही दरकार है।
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