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रविवार, 16 जुलाई 2023

बाढ़, बारिश या भूकंप से कम नहीं 'गोफ का खौफ'


- बंगवार के 400 हेक्टर जंगल में जगह-जगह लंबी, गहरी दरारें
- ठेका देकर भूल जाता है प्रबंधन, ठेकेदारों की मनमानी जारी

- जंगली जानवर, मवेशी ही नहीं आमजन के जीवन के प्रति भी गंभीर खतरा

" बाढ़ बारिश या भूकंप जैसी किसी भी प्राकृतिक आपदा से कमतर नहीं है गोफ का  खौफ। फर्क सिर्फ इतना है कि प्राकृतिक आपदाओं का समय, स्थान, प्रकृति और उससे होने वाली क्षति निश्चित नहीं है जबकि कोयला निकालने के बाद खदानों की फीलिंग किए बिना छोड़ दिए जाने के फलस्वरूप तैयार होने वाले खदानों के गोफ के मामले में ऐसा नहीं है। यह एक प्रकार से मानव निर्मित आपदा का आधार है जो काफी हद तक स्थानीय निवासियों उनकी स्थायी अस्थायी परिसंपत्तियों और वाहनों मकानों के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता लेकिन गोफ के खौफ को खत्म किया जा सकता है। यह बात दीगर है कि कालरी प्रबंधन, प्रशासन और संबंधित विभाग इस आपदा से बचाव के प्रति गंभीर नहीं है। बड़ी-बड़ी इमारतों और वाहनों को जमीन में समाते देखने की पृष्ठभूमि सोहागपुर कोयलांचल में भी तैयार हो रही है और यदि कारगर उपाय नहीं किए गए तो शीघ्र ही धनपुरी मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्रों में भारी वाहनों या मकानों को जमीन दोज होते देखा जा सकेगा।"
[अनिल द्विवेदी]
धनपुरी। एसईसीएल सोहागपुर एरिया अंतर्गत बंगवार भूमिगत माइंस के द्वारा खनिज अधिनियम के तहत कोयला उत्खनन किया जा रहा है। कोयला उत्खनन के बाद उस स्थान को ऐसे ही खाली छोड़ दिया जाता है कोयला उत्खनन किए जाने के परिणाम स्वरूप गोफ(भूमि की सतह के नीचे खाली स्थान) होता है। गोफ को पाटने की जिम्मेदारी कालरी प्रबंधन की होती है जिसका पालन नहीं किया जाता परिणामस्वरूप आए दिन जंगल और जमीन में लंबी गहरी दरारे हो जाती हैं जिसके कारण कई बार जंगली जानवरों को मौत का शिकार भी होना पड़ा है तथा लोगों को जानमाल की क्षति का सामना करना पड़ा है। भविष्य में भी इस तरह की घटना होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
बंगवार के जंगल में दरारें
बताया जाता है कि बंगवार के लगभग 400 हेक्टर जमीन, जंगल में जगह जगह  दरारें आ गई है, जमीन 2- 3 फिट दब गई है। प्रबंधन द्वारा इन दरारों को मिट्टी से फीलिंग कराने की औपचारिकता का प्रदर्शन तो किया जाता है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। प्रबंधन द्वारा गोफ एरिया में दरारों की फीलिंग के लिए टेंडर जारी किया जाता है जिसे कतिपय स्थानीय ठेकेदार ही लेते हैं और फिलिंग का कार्य कथित तौर पर करते हैं। कागजों में गोफ एरिया के दरारों की फिलिंग हो जाती है लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता। आलम यह है कि ठेकेदार टेंडर भरते और थोड़ी बहुत मिट्टी पाटकर प्रबंधन को अच्छा खासा चूना लगा रहे हैं। प्रबंधन के लोग यही दंभ भरते हैं कि कहीं कोई गोफ दरार नहीं है सब फिलिंग की जा चुकी है लेकिन जब कोई हादसा होता है या कोई जंगली या पालतू जानवर ग्रुप में समा जाता है तभी ही अधिकारियों की घिग्घी बंध जाती है और मुंह से शब्द नहीं निकलते हैं।
सब एरिया मैनेजर का झूठ
लगभग 3 माह पूर्व बंगवार जंगल मे गोफ होने की जानकारी लगते ही कालरी प्रबंधन को सूचित किया गया कालरी प्रबंधन सूचना के बाद जंगल में वाहन प्रवेश के लिए डीएफओ से आदेश लिया गया। बंगवार भूमिगत माईंस  प्रबंधन से गोफ होने और जो जमीन फट गयी है उसमें मिट्टी फीलिंग की जानकारी चाही गई तो प्रबंधन विनय कुमार सिन्हा का कहना है कि कोई गोफ नहीं हुआ है आपको गलत  जानकारी है। उपक्षेत्रीय प्रबंधक भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए प्रेस को सही जानकारी देने से कतरा रहे हैं। उप क्षेत्रीय प्रबंधक विनय कुमार सिन्हा का यह बयान उनकी मंशा और भ्रष्टाचार लिप्सा का स्पष्ट संकेत देता है क्योंकि बंगवार  में पूर्व में ऐसे कई टेंडर हुए जिसका वर्क आर्डर तो हुआ लेकिन  मौके पर कार्य  देखने को नहीं मिला। आखिर माजरा क्या है इसमें कितनी सच्चाई है यह तो प्रबंधन ही बता पाएगा। एक तरफ गोप ना होने कोई दरारे नहीं आई है की बात कही जा रही है वहीं दूसरी तरफ ओबी मिट्टी का टेंडर दिया जाता है। बंगवार  प्रबंधन ने लगातार झूठ पर झूठ बोलने का बीड़ा उठा लिया है वह आंख में धूल झोंक रहे हैं यह सबको मालूम है। तीन-चार माह पूर्व बंगवार खदान में गोफ हुआ है फिर भी अपने मुंह से ना बताने की कसम खाई है।
ठेकेदारों से सांठगांठ
प्रबंधन  से जुड़े  सूत्रों ने बताया कि बंंगवार खदान में जो गोप हुआ है उसका दायरा लगभग 400 हेक्टर होना बताया जाता है जो बहुत बड़ा क्षेत्र कहा जा सकता है। गोफ स्थल के चारों ओर जगह जगह जमीनें फट गई है बडी-बड़ी दरारें आ गई है जिसको फीलिंग करने के लिए प्रबंधन द्वारा 2900 क्यूबिक मीटर मिट्टी फीलिंग के लिए टेंडर देकर मिट्टी की फीलिंग कराया गया। यह एक स्थान की बात है, ऐसे 10-12 स्थान है जहां गोफ दरारों की फीलिंग होना है लेकिन प्रबंधन इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है टेंडर जारी करने  की बजाए अधिकारी का कहना है कि हम अपना काम कर रहे हैं बाकी अधिकारी अगर ठेकेदारों से हाथ मिला कर अपनी तोंद मोटी करने में लगे हैं तो उसमें हम क्या कर सकते हैं।
ऊंट के मुंह  में जीरा
बताया जाता है कि प्रबंधन जानबूझकर ओबी का छोटा-छोटा टेंडर देकर इतिश्री करना चाहते हैं जबकि बताया जाता है कि एक जो अभी मिट्टी डाली गई है इस तरह की 13 सेक्टरों के लिए टेंडर होगा यानी लगभग 30 हजार क्यूबिक मीटर मिट्टी की जरूरत पढ़ सकती है तभी गोफ की दरारे पूरी तरह से ढक सकेंगी लेकिन प्रबंधन को लगता है कि कागजों में ही टेंडर की प्रक्रिया पूरा कर लेंगे। गोफ फिलिंग के नाम पर जारी किया गया टेंडर ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। अधिकाधिक कोयला उत्खनन कर अपनी पीठ थपथपा ने पर विश्वास रखने वाला सोहागपुर कोयलांचल प्रबंधन एवं उप क्षेत्रीय प्रबंधन सरेआम जन जीवन और पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहा है जिस पर यदि तत्काल रोक नहीं लगाया गया तो निकट भविष्य में कभी भी किसी बड़े हादसे का सामना करना पड़ सकता है।
सुरक्षात्मक लापरवाही
प्रबंधन की लापरवाही साफ देखी जा रही है गोफ क्षेत्र में प्रतिबंधित एरिया पंपलेट लगा दिया गया है सुरक्षा की दृष्टि से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है जिससे जंगल में जीव जंतु  आम व्यक्ति की रोकथाम हो। न तो कोई गार्ड की व्यवस्था ना कोई फेंसिंग की व्यवस्था अभी तक नहीं की गई है।न किसी तरह की अन्य व्यवस्था की गई सिर्फ ऊंट के मुंह में जीरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है थोड़ा मिट्टी डालकर प्रबंधन लोगों की जान के खिलवाड़ कर रही है जगह-जगह दरारे देखी जा सकती है सिर्फ उपक्षेत्रीय प्रबंधक को दरारे और गोफ नहीं दिखाई देती। बरसात होने पर गोफ क्षेत्र में समय रहते प्रबंधन दरारे ना भरी गई तो बड़े हादसे होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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