कुछ को सर्टिफिकेट ने, तो कुछ को सिंडीकेट ने निपटाया
- धनपुरी नगरपालिका चुनाव एक नजर
धनपुरी । नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा के साथ धनपुरी में शुरू हुआ उठापटक का दौर अब शांत हो चुका और तूफान पूर्व की खामोशी ने राजनीति की बिसात को घेर लिया है। नगर सत्ता की बागडोर थामने की इच्छा और ताकत रखने वाले कुछ चेहरों को डिजिटल सर्टिफिकेट ने निपटा दिया तो कुछ जिताऊ दमदार चेहरों को पार्टी के भीतर जड़ें जमा चुके सिंडिकेट ने निपटाया है। नामनिर्देशन दाखिला उनकी जगह और नाम वापसी की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है। ऊपरी तौर पर चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है लेकिन भीतर ही भीतर किसी बड़े तूफान की आशंका भी बलवती हो रही है यह तूफान न सिर्फ कांग्रेस बल्कि भाजपा के दिग्गजों की भी लुटिया डुबो दे तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। पार्षद पद के लिए टिकट आवंटन में जिस प्रकार की मुंहदेखी इस बार भाजपा में हुई है वह पार्टी के नींव कहे जाने वाले नेताओं तक को बहुत बुरा अनुभव देकर गई है और यही अनुभव आगामी चुनाव में पार्टी को कुछ बुरा अनुभव करा सकता है क्योंकि बागी पूरे दमखम के साथ जोर आजमाइश की तैयारी में जुट गए हैं। इन वादियों का यह कहना है कि हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था......?
नगरीय चुनाव मैं पार्षद पद की उम्मीदवारी के लिए लंबे समय तक चली उठापटक और कयासों का दौर समाप्त हो चुका है। नाम वापसी के बाद स्थित साफ हो गई, भाजपा ,कांग्रेस, निर्दलीय, व आप पार्टी के कुल 157 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चुनाव मैदान में डस्टर इन उम्मीदवारों में वह लोग भी शामिल है जिन्हें अपने दलीय संगठन से टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी लेकिन अंततः निराशा हाथ लगी। अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा पार्टी संगठन को देने के बाद भी ऐन वक्त पर टिकट कट जाने से नाराज इन उम्मीदवारों ने अब शायद अपने ही संगठन को सबक सिखाने का मन बना लिया और बतौर बागी उम्मीदवार अपने ही पार्टी संगठन के उम्मीदवार को चुनौती देते नजर आ रहे हैं।
भाजपाई खेमें में तीव्र आक्रोश
इस बार के चुनाव में चूंकि अध्यक्ष पद हेतु निर्वाचन पार्षदों के माध्यम से होना है इसलिए पार्षद पद के टिकट वितरण को लेकर भाजपा संगठन के लोगों में तीव्र आक्रोश देखने को मिल रहा है। इस चुनाव में कांग्रेस से अधिक अंतर्कलह भाजपा में देखने को मिल रहा है। भाजपा के कई चर्चित जिताऊ प्रत्याशी भाजपा से टिकट न मिलने के चलते अब निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने के मूड में देखे जा रहे हैं। धनपुरी नगर ही नहीं जिले में अपनी पहचान रखने वाले नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष हंसराज तनवर सभी 28 वार्डों में अपनी पहचान रखने वाले ऐसे प्रत्याशी है जो सब पर भारी है और ऐसा कहां जाता रहा है कि इस बार हंसराज की बारी है लेकिन भाजपा संगठन में सक्रिय कथित सिंडीकेट में इस दमदार जिताऊ प्रत्याशी का टिकट हवा में उड़ा दिया, जिससे भाजपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा थम नहीं रहा है।
नींव को भी नहीं बख्शा
भाजपा की असली पहचान धनपुरी कोयलांचल में भाजपा की नींव रखने वाले नगर ही नहीं जिले भर में अपनी पहचान रखने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता सुरेश चतुर्वेदी को भी सिंडिकेट दें बुरी तरह से निपटाया है। कथित सिंडीकेट के प्रपंच की शिकार भाजपा संगठन के नेताओं ने जिन चर्चित जिताऊ चेहरों को दरकिनार कर दिया गया उनमें वार्ड नंबर 2 से सशक्त दावेदार विनीता जायसवाल पूर्व नगर पालिका चेयरमैन, वार्ड नंबर 3 पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष हंसराज तनवर, वार्ड नंबर 7 से हंसराज तनवर ने अपनी बहू के लिए टिकट मांगा नहीं मिला, भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता दीपक राय ने पत्नी संध्या राय के लिए टिकट मांगा नहीं मिला, वार्ड नंबर 9 से भाजपा की धनपुरी में नींव रखने और पार्टी को पहचान देने वाले सुरेश चतुर्वेदी ने अपनी बहू कुमुद चतुर्वेदी के लिए टिकट मांगा नहीं मिला, वार्ड नंबर 21 भाजपा पूर्व मंडल अध्यक्ष लवकुश तिवारी को टिकट नहीं मिला। ऐसे प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में वार्डों से अपनी जोर आजमाइश कर रहे हैं यदि बागी प्रत्याशियों की किसमत खुली तो निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा के बागी हंसराज तनवर नगरपालिका के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं।
सर्टिफिकेट का गेम
धनपुरी नगर और जिले की राजनीति में विशेष महत्व रखने वाले दिग्गज नेता वह पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष मुबारक मास्टर भाजपा नेता दौलत मनवाणी सहित कई नेताओं की उम्मीदवारी पर डिजिटल सर्टिफिकेट का ग्रहण लग गया। सर्टिफिकेट के इस गेम में जहां कई सशक्त दावेदारों को दौड़ से बाहर कर दिया वही इसी सर्टिफिकेट में एक ऐसी महिला को उम्मीदवार बना दिया जो उस आरक्षित वर्ग से है ही नहीं। सूत्रों की माने तो मुबारक मास्टर एवं दौलत मलवा ने जैसे नेताओं का नाम निर्देशन पत्र इसलिए अवैध घोषित कर दिया गया कि उन्होंने एसडीएम द्वारा जारी डिजिटल जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है सवाल यह उठता है कि क्या एसडीएम के मुहर और हस्ताक्षर वाला मैनुअल सर्टिफिकेट की कोई कीमत नहीं है आखिर उसे भी तो एसडीएम द्वारा ही जारी किया गया है फिर वह माने क्यों नहीं है दूसरी बात यह भी सामने आई है कि एक महिला जो अग्रवाल परिवार की है लेकिन उसने पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति से शादी कर ली और पिछड़ा वर्ग का सर्टिफिकेट हासिल कर चुनाव लड़ रही है क्या यह वैध है। जिले में पदस्थ रहे एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी की माने तो जाति प्रमाण पत्र चाहे लड़की का हो या लड़के का पिता की जाति के आधार पर बनता है और वही लागू होता है यदि लड़की या महिला आरक्षित वर्ग से विवाह करती है तो उसके बच्चे तो आरक्षित वर्ग के माने जाएंगे लेकिन वह स्वयं उस वर्ग की नहीं मानी जाती है। यदि उक्त अधिकारी का कहना सच है तो क्या धनपुरी नगरपालिका की इस आरक्षित वार्ड के अनारक्षित दावेदार की उम्मीदवारी अवैध नहीं है।
तो दर्ज करते आपराधिक प्रकरण
जिले में नगरीय निकायों के साथ ही त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं के भी चुनाव हो रहे हैं जिला पंचायत सदस्य एवं जनपद पंचायत सदस्य के नाम निर्देशन पत्रों की जांच के दौरान यह मामला सामने आया था की कतिपय उम्मीदवारों द्वारा विद्युत विभाग की फर्जी एनओसी प्रस्तुत की गई है। फर्जी एनओसी की बात तो सामने आई लेकिन इन कूट रचित दस्तावेजों को प्रस्तुत करने वालों के विरुद्ध शासन प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसी प्रकार यदि डिजिटल सर्टिफिकेट के बजाय मैनुअल सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया गया और निर्वाचन अधिकारी उसे वैध नहीं मानते तो अवैध दस्तावेज प्रस्तुत करने वाले अभ्यर्थियों के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण क्यों नहीं दर्ज किया गया यह सवाल धनपुरी नगर में आज भी लोगों की जुबान पर है लेकिन जवाब शायद किसी के पास नहीं है।
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