बर्बादी का नया डोज, हजारों हरे वृक्ष जमींदोज
ओबी मिट्टी हटाने वाली कंपनी राधा चेन्नई इंजीनियरिंग वर्क्स कर रही विनाश
जिला प्रशासन के नाम का दुरुपयोग कर रही कंपनी
धनपुरी। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड सोहागपुर एरिया अमलाई ओसीएम मैं कोयला उत्खनन हेतु ऊपर की मिट्टी यानी ऊबी हटाने का कार्य ठेके पर कर रहे कंपनी चेन्नई राधा इंजीनियरिंग वर्क्स द्वारा विकास के नाम पर क्षेत्र को विनाश की सौगात दी जा रही है। हजारों बड़े छोटे हरे पेड़ों को मिट्टी के नीचे दबाकर उक्त ठेकेदार कंपनी द्वारा न सिर्फ वन एवं पर्यावरण विभाग के नियम कायदों को खुलेआम ठेंगा दिखा दिया गया बल्कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिले में कर्मठता और सजगता पर भी सवालिया निशान लगा दिया गया है। उक्त दोनों ही विभागों के तथाकथित जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा ही माना जाएगा कि एसईसीएल सोहागपुर कोयला क्षेत्र में कार्यरत तमाम ठेकेदार कंपनियों द्वारा लगातार विनाश के बीज बोए जा रहे हैं।
आते ही तांडव शुरू
जानकार सूत्रों के मुताबिक कुछ हफ्तों पहले ही अमलाई ओसीएम से ओबी मिट्टी हटाने का ठेका प्राप्त करने वाली राधा चेन्नई इंजीनियरिंग वर्क्स नामक कंपनी द्वारा कार्यारंभ करने के साथ ही खनिज संपदा के नाम पर वन संपदा के विनाश का तांडव शुरू कर दिया गया है। कोयला खदानों से निकलने वाली मिट्टी को खदान से दूर खाली जमीन पर रखने का प्रावधान एसईसीएल द्वारा किया गया है लेकिन डीजल के पैसे और मेहनत बचाने के चक्कर में उक्त ठेकेदार कंपनी द्वारा खदान से लगी उस भूमि पर ओबी मिट्टी संग्रहण का कार्य शुरू कर दिया गया जहां सैकड़ों, हजारों हरे वृक्ष स्थानीय पर्यावरण को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। स्थानीय लोगों और जानकार सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी पर विश्वास किया जाए तो उक्त ठेकेदार कंपनी में अब तक हजारों पेड़ों को जमींदोज कर के रख दिया है।
सरकारी विभागों की बेरुखी
अधिकाधिक कोयला उत्पादन कर राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और विकास में अहम भूमिका निभाने वाली एसईसीएल कंपनी को खाना ना अधिकार दिए जाने के पूर्व शासन द्वारा कुछ नियम एवं शर्तों का प्रावधान भी किया गया है और इन नियमों के पालन इस सुनिश्चितता हेतु संबंधित विभागों के अधिकारियों की नियुक्ति कर उन्हें जिम्मेदारियां भी सौंपी गई है लेकिन उक्त विभागीय अधिकारियों द्वारा बरती जाने वाली लापरवाही पूर्ण बेरुखी के चलते एसईसीएल कंपनी और उसके ठेकेदारों द्वारा शासकीय नियम कायदों के साथ जमकर खिलवाड़ किया जा रहा है। कोयला खदानों से कोयला उत्पादन के बाद उन खदानों को वापस भरे या पाटे जाने, खदानों के कारण निकली ओबी मिट्टी पर वृक्षारोपण किए जाने, भूमि संरक्षण एवं पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण की दिशा में उठाए जाने वाले आवश्यक कदमो को तिलांजलि दे चुके एसईसीएल सोहागपुर एरिया प्रबंधन और ठेकेदारों पर जिला प्रशासन एवं संबंधित विभागों का जैसे कोई नियंत्रण ही नहीं रह गया है, हर कहीं मनमानी देखी जा सकती है।
गरीब मजदूरों का शोषण
प्राप्त जानकारी के अनुसार चेन्नई राधा इंजीनियरिंग वर्क्स द्वारा अपने ठेके के कार्य को पूरा करने के लिए मजदूरों को काम पर रखा गया है। एसईसीएल द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार ठेका कंपनी अपने मजदूरों को निर्धारित न्यूनतम मजदूरी देने के लिए बाध्य है लेकिन अमलाई ओसीएम में यह नियम कायदा लागू नहीं होता है चेन्नई राधा इंजीनियरिंग वर्क्स द्वारा निर्धारित दर से काफी कम राशि का भुगतान किया जा रहा है इतना ही नहीं साप्ताहिक अवकाश सुरक्षा उपाय एवं अन्य बुनियादी सुविधाओं से भी इन कामगारों को वंचित रखा गया है। कंपनी में कार्य करने वाले दर्जनों मजदूरों जिनमें ड्राइवर मशीन ऑपरेटर शामिल हैं उन्होंने नाम उजागर न करने की शर्तों पर बताया कि कंपनी के कर्ताधर्ता द्वारा अपने मजदूरों के साथ कथित तौर पर गुलामों जैसा बर्ताव किया जाता है। कामगारों का कहना है कि इस उम्मीद के साथ कि शायद कंपनी और उसके कर्ता-धर्ता गण सुधर जाएं और भविष्य में उन्हें उनका वाजिब हक मिलने लगे वह खुलकर शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं।
मुखिया की आड़ में काट रहे झाड़
ऑल में झाड़ काटने वाली कहावत को भी चेन्नई राधा इंजीनियरिंग वर्क्स द्वारा बखूबी चरितार्थ किया जा रहा है। इस कंपनी में कार्य करने वाले मजदूर के साथ ही कार्य करने के इच्छुक बेरोजगार युवाओं द्वारा ठेका कंपनी के कर्ताधर्ता ओं से जब भी अपने हक अथवा रोजगार की मांग के संबंध में कभी कोई चर्चा की जाती है तो कंपनी के कार इंदौर द्वारा कलेक्टर या जिला प्रशासन का नाम लेकर उन्हें चुप कराने की कोशिश की जाती है चेन्नई राधा कंपनी के मजदूरों का कहना है कि जब उन्होंने निर्धारित दर पर भुगतान की मांग की तो तथाकथित मैनेजर द्वारा यह कहा जाता है कि जो भी मांगना है कलेक्टर के पास जाकर मांगो हमने वहां सारे दस्तावेज, नियम, कायदा और सब कुछ जमा करा दिया है। कुल मिलाकर आशय यह है कि अपने लाभ के लिए जिला प्रशासन को भी बदनाम करने से परहेज नहीं किया जा रहा है।
कौन भरेगा खामियाजा
ठेकेदार कंपनी चेन्नई राधा इंजीनियरिंग वर्क्स सहित अन्य ठेका कंपनियों द्वारा जिस प्रकार सुहागपुर कोयलांचल में विनाश का खेल खेला जा रहा है और एरिया प्रबंधन के लोग जिस प्रकार सहभागिता निभा रहे हैं उसे देखते हुए यह सवाल हर व्यक्ति के मन में उठ रहा है कि इससे विनाश लीला का खामियाजा आखिर कौन भरेगा? हजारों हरे भरे वृक्षों के कत्लेआम और उन्हें जमींदोज किए जाने पर मौन साधे बैठा वन विभाग, या कोयलांचल सहित पूरे जिले का पर्यावरण नेस्तनाबूद किए जाने के बावजूद आंख मूंदकर कुंभकरण निद्रा में लीन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी या कथित तौर पर सुविधा शुल्क का लाभ लेकर खुली छूट देने वाले अन्य प्रशासनिक विभागों के अधिकारी आखिर किस पर यह जिम्मेदारी थोपी जाएगी।



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