मेगा प्रोजेक्ट 'रामपुर-बटुरा' बचाएगा 'सोहागपुर का सुहाग'
- पहले कुछ भी रही हो लाचारी, अब प्रोजेक्ट शुरू कराएंगे नागाचारी
शहडोल/धनपुरी। एसईसीएल के सोहागपुर कोयलांचल में कई एरिया महाप्रबंधक आए और चले गए लेकिन पिछले दस वर्षों से लंबित रामपुर बटुरा मेगा प्रोजेक्ट का शुभारंभ नहीं करा सके। सन् 2017 तक उत्पादन शुरू कर देने की मंशा युक्त यह परियोजना विभिन्न कारणों के चलते अपने निर्धारित समय से चार वर्ष लेट हो चुकी है। हालांकि करोड़ों रुपये मुआवजा राशि का भुगतान हो चुका है बहुत सी औपचारिकताएं भी पूरी हो चुकी हैं लेकिन फिर भी कुछ शेष हैं। यदि यह प्रोजेक्ट शुरू हो जाता है तो न सिर्फ सोहागपुर कोयलांचल का सुहाग बच जाएगा बल्कि एक बार फिर यह एरिया एसईसीएल के सबसे सशक्त कोयलांचलों की फेहरिश्त में शामिल हो सकेगा। अभी तक प्रोजेक्ट शुरू न हो पाने के पीछे भले ही कुछ भी मजबूरी या लाचारी रही हो लेकिन पूर्व में यहां उपक्षेत्रीय प्रबंधक रह चुके नए एरिया महाप्रबंधक नागाचारी की सक्रियता को देखकर लगता है कि शीघ्र ही यह मेगा प्रोजेक्ट सोहागपुर कोयलांचल को जीवनदान देगा।विशाल भण्डार
जानकार सूत्रों का मानना है कि एसईसीएल के सोहागपुर कोयलांचल क्षेत्र में नए मेगा प्रोजेक्ट रामपुर बटुरा खुलने यहां पर 30 वर्षो तक 30 मिलियन टन उत्पादन के लिये कोयले का विशाल भण्डार मौजूद है। यह भी बताया जा रहा है कि लगभग 2 अरब रुपये मुआवजा वितरण किया जा चुका है बावजूद इसके अभी भी कुछ औपचारिकताएं बाकी है। पिछले 10 वर्षो से बटुरा प्रोजेक्ट का कार्य कछुआ चाल से चलने के करण कई महाप्रबंधक आए, समय विताए और चले गए। प्रोजेक्ट के शुभारंभ के मार्ग में आने वाली समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रही। जानकार श्रमिकों का कहना है कि बटुरा प्रोजेक्ट 2017 तक खुल जाना था, कालरी के अधिकांश अधिकारी रिटायरमेंट के कगार में पहुंच रहे हैं, जो ऑफिस में ही बैठ कर समय काटते देखे जाते रहे हैँ। नई खदान खुलने और कोयला उत्पादन बढ़ाने में कोई दिलचस्पी एरिया प्रबंधन के अधिकारियों में देखने को नहीं मिल रही थी।
सोहागपुर एरिया अरबों के घाटे मे
सोहागपुर एरिया पिछले कई वर्षों से लगातार घाटे में चल रही है। यदि एरियां प्रबंधन के लोग धींगामस्ती की बजाय थोड़ी सी जिम्मेदारी निभा लेते तो नई माइंस खुलने से जहां घाटा को कम किया जा सकता था वहीं खान के अधिकाधिक मैन पावर की व्यवस्था बनाई जा सकती थी, लेकिन समय काटते और मुक्त की हाजरी ले रहे अधिकारियों की लापरवाही के कारण देखते ही देखते एरिया की एक और पुरानी धनपुरी यू जी भूमिगत माइंस बंद हो गई है। कभी पूरे एसईसीएल में सबसे मुनाफे वाला एरिया लगातार घाअे के कारण कोल इंडिया के लिये घाटे का सौदा बनकर रह गया है।
मिलने लगे शुभ संकेत
एसईसीएल सोहागपुर एरिया में पुराने माइंस से एक के बाद एक कोयला निकलना बंद हो रही है, वहीं नई माइंस खुलने में प्रशासनिक फॉर्मेलिटी इतनी है जिसे पूरा करने में 8 से 10 वर्ष से अधिक कालरी के अधिकारियो को लगा दिऐ गये इस बीच लगभग 6 महाप्रबंधक आ कर चले गए लेकिन रामपुर बटुरा प्रोजेक्ट खोलने में नाकाम साबित हुए। नव पदस्थ महाप्रबंधक शंकर नागाचारी ने एक औपचारिक भेंट मे पत्रकार राजू अग्रवाल को बताया कि काश्तकारों के जमीन अधिग्रहण एवं मुआवजा वितरित करने की कार्यवाही तेजी से पूरी की जा रही है। बहुत जल्द इन कमियों को दूर करते हुए शीघ्र प्रोजेक्ट शुरू करने की बात कही । वास्तव में सोहागपुर एरिया में शंकर नागाचारी जैसे महाप्रबंधक की आवश्यकता थी, जो वर्षों से शुभारंभ की बाट जोह रहे बटुरा प्रोजेक्ट खोलने के लिये अनपेक्षित लेटलतीफी को बेदखल कर पूरी ईमानदारी के साथ इस कार्य में लग जाने से लोगों में नहीं माइंस खुलने का विश्वास हो गया है।
चहुंमुखी विकास के खुलेगे द्वार
बटुरा प्रोजेक्ट खुलने पर क्षेत्र के लोगों विशेषकर युवाओं को नौकरी मिलेगी तथा अन्य लोगों के लिये रोजगार के अवसर बढगे नगर का क्षेत्र चौमुखी विकास होगा। बटुरा में कोयले का प्रचुर भंडार बताया जाता है, प्रोजेक्ट में लगभग 30 वर्षों तक कोयले का प्रचुर भंडार है जिससे सोहागपुर एरिया कोयला उत्पादन में नए कीर्ति मान स्थापित करेगा। खेत की कमान संभालते ही काश्तकारों को तेजी से साथ मुआवजा वितरण किया गया पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से मेगा प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिलने की सफलता महाप्रबंधक के प्रयास से प्राप्त हुई 7
सुलझे हुए महाप्रबंधक
सोहागपुर एरिया मे शंकर नागाचारी 2012 मे अमलाई बंगवार के उपक्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर पदस्थ रहे और कुछ माह पूर्व महाप्रबंधक का प्रभार भी संभाल चुके हैं। सोहागपुर एरिया से भली भांति परिचित होने के चलते सीएमडी बिलासपुर ने उन्हें सोहागपुर एरिया की कमान सौंपी है ताकि मेगा प्रोजेक्ट बटुरा को पटरी पर लाने के लिये अति शीघ्र भूमि अधिग्रहण, मुआवजा वितरण एवं अन्य औपचारिकताओं को पूरा किया सके।
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