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शनिवार, 2 अक्टूबर 2021

विभागीय विभीषणों का मिला साथ, तो जंगल कर दिया साफ

 जुगाड़ नारायण ने लकड़हारे को बनाया कुबेरपुत्र

- तीन-तीन आरा मशीनों के पीछे आखिर क्या है राज 


शहडोल। यदि कोई लकड़हारा देखते ही देखते कुबेरपुत्र हो जाए तो लोगों का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक ही है। सत्यनारायण की कथा के लकड़हारे पात्र का कल्याण तो भगवान सत्यनारायण ने किया और धन-धान्य से परिपूर्ण कर मृत्योपरांत बैकुण्ठधाम में स्थान दे दिया, धनपुरी के उस लकड़हारे का कल्याण शायद नगद नारायण और जुगाड़ नारायण ने कर दिया जो कुछ सालों पहले तक सड़क किनारे बांस बल्ली बेचकर गुजारा करता था लेकिन अब तीन-तीन आरा मिलों का मालिक होने के साथ ही एसईसीएल व वनविभाग का नंबर वन कांन्ट्रैक्टर बन बैठा है। बिहारी बाबू की तिकड़मबाजी के आगे नतमस्तक वन विभाग के अमले ने एरिया के जंगलों का सफाया कराने में अहम भूमिका निभाई है।

सालों पहले दूसरे राज्य से धनपुरी आकर जो आदमी सड़क के किनारे बांस और बल्लियां बेचा करता था आज उसकी कोयलांचल क्षेत्र में 3-3 आरा मशीनें चल रही है। जलाऊ लकडियों का अंबार उसके यहां लगा हुआ है। साथ ही इमारती लकडिय़ा भी उसके यहां भरमार हैं। ऐसा कोई ठेका नहीं है जो उसे नहीं मिल रहा। यहां तक कि एसईसीएल की कॉलोनियों में दरवाजे लगाने का कॉन्ट्रैक्ट तो उसे न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि छत्तीसगढ़ में भी मिल जाता है।

मिला रखे हैं हाथ

जानकार सूत्रों की मानें तो ऐसा इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि इस लकड़ी माफिया ने न सिर्फ वन विभाग के अधिकारियों के साथ बल्कि कोयलांचल के कॉलरी अधिकारियों के साथ भी हाथ मिला रखा है। यह अधिकारी खुलकर लकड़ी माफिया का साथ दे रहे हैं जिसके कारण इस व्यक्ति ने अपना एक बड़ा साम्राज्य स्थापित कर लिया है।

वाहनों से पहुंचती हैं लकड़ी

सूत्रों का मानना है कि धनपुरी कोयलांचल क्षेत्र में जहां भी जंगल है उन सभी स्थानों पर इस व्यक्ति के आदमी लगे हुए हैं। आधी रात को ट्रैक्टरों और दूसरे वाहनों में भरकर लकडिय़ां धनपुरी रोड कि टाल तक पहुंचती है और उसके बाद आरा मशीन से कटकर यह लकडिय़ां दरवाजा खिड़की की चौखट बनकर बाहर निकल जाती है। कोयलांचल क्षेत्र के कई हरे भरे पेड़ काटकर इस टाल तक पहुंच चुके हैं और जलकर राख और कोयला हो चुके हैं। इसके बावजूद आज तक वन विभाग के अधिकारियों ने ना तो यहां कोई कार्यवाही की और ना ही पूछताछ की गई। 

कैसे चल रही हैं तीन आरामशीन

आश्चर्य तो इस बात का है कि किसी ने यह भी पूछने की जहमत नहीं उठाई कि आखिर 3-3 आरा मशीन कैसे चल रही है ।आज लोगों को एक आरा मशीन की परमिशन नहीं मिल रही लेकिन यहां तीन आरा मशीनें धड़ल्ले के साथ चलाई जा रही हैं। ऐसा कैसे संभव हो पा रहा है यह एक बड़ा सवाल है। लेकिन इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश वन विभाग के अधिकारी नहीं कर रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों से कई बार इस संबंध में शिकायत भी हो चुकी है लेकिन शिकायत कहां चली जाती है इसका भी कुछ पता नहीं है।

 हो जाता है हरे पेड़ों का सौदा 

बताया गया है कि धनपुरी क्षेत्र में तीन टाल चलाने वाला यह व्यक्ति हरे पेड़ों का खड़े-खड़े सौदा कर लेता है। बाद में पेड़ काट दिए जाते हैं और काटने के बाद इस टाल में पहुंचा दिए जाते हैं। टाल में पहुंचने के बाद इन पेड़ों की लकडिय़ों को पकडऩे की हिम्मत किसी की नहीं होती। परिणाम स्वरूप करोड़ों में खेल रहा यह व्यक्ति अपने कारोबार को निर्विघ्न तरीके से कर रहा है।

 बाहर की आरा मशीन 

बताया गया है कि 3 टालों का संचालन कर रहे हैं इस व्यक्ति की एक आरा मशीन बाहर से यहां स्थानांतरित की गई है। सवाल ये उठता है कि जब आरा मशीन पहले बाहार में चल रही थी और किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर थी तो उसका स्थानांतरण शहडोल जिले में कैसे हो गया। स्थानांतरण के अलावा इसका लाइसेंस कैसे मिल गया, यह भी एक बड़ा सवाल है। लेकिन इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश ना तो प्रशासन ने कभी की और ना ही वन विभाग ने कोई कोशिश की।

 कटती है अवैध लकडिय़ां 

लोगों का मानना है कि यहां लगी आरा मशीन से टाल संचालक न सिर्फ अपनी अवैध लकडिय़ां चीरता है बल्कि दूसरों की अवैध लकडिय़ां भी यहां खुशी-खुशी चिराई की जाती है। आरा मशीन से लकडिय़ां चिर जाने जाने के बाद उस पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होगी इसकी गारंटी भी यहां दी जाती है। इतना ही नहीं यहां यही सुनने को मिलता है कि जिले के किसी अधिकारी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह इस तरफ आंख उठा कर देख ले। जिस तरीके से पिछले लंबे समय से यहां लकडिय़ों का अवैध कारोबार चल रहा है उसे देखते हुए तो लगता भी है कि जिले के अधिकारियों में वाकई हिम्मत नहीं है।

बिना बिल के होती है बिक्री 

चर्चा तो यह भी है कि इस टाल से लकडिय़ों की बिक्री बिना बिल के की जा रही है। जलाऊ लकड़ी का तो बिल बिल्कुल नहीं दिया जाता, चाहे वह जलाने के लिए घर पर ले जाई जाए या फिर शवदाहन के लिए श्मशान जाए ले जाई जाए। बिना बिल के लकड़ी बेचने का मतलब साफ है कि अवैध लकड़ी बेचने का गोरखधंधा यहां चल रहा है। एक साथ बैठकर बिल काटे जाते हैं और मनमानी बिलिंग उसकी की जाती है। जिसका कोई लाभ शासन प्रशासन को नहीं मिल रहा।

 बिजली की हो रही चोरी 

सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी मिली है कि आरा मशीन चलाने के लिए बिजली चोरी की जा रही है। यहां ऐसे संसाधन जुटा लिए गए हैं जिससे मीटर में रीडिंग कम आती है और बिजली ज्यादा जलाई जाती है। विद्युत विभाग के कर्मचारी भी टाल संचालक से हाथ मिलाए हुए हैं जिसके कारण आज तक विभाग ने कोई कार्रवाई यह नहीं की। यदि लकड़ी डाल में छापा मारा जाए तो निश्चित तौर पर बिजली की चोरी पकड़ी जा सकती है।

पर्यावरण को पहुंचा रहे नुकसान

 शहडोल जिले में जब भी कोई बड़ा नेता आता है तो पौधारोपण करके जाता है। पौधारोपण इसलिए किए जा रहा है ताकि पर्यावरण को सुधारा जा सके, लेकिन इस टाल संचालक द्वारा जिले में जो अवैध कटाई कराई जा रही है उसे रोकने का कोई प्रयास आज तक नहीं किया गया। यदि वृक्षों की कटाई रुक जाए तो शायद वृक्षारोपण करने की आवश्यकता ही ना पड़े। पेड़ काटे जाने के कारण इस पूरे कोयलांचल क्षेत्र का पर्यावरण तहस-नहस हो गया है। हरे पेड़ों को काटने से पहले अनुमति भी नहीं ली जाती और और उसे टाल में लाकर काट कर बेच दिया जाता है।

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