भाड़ में गई जनसेवा, पहिला काम रेता ढोबा
रेत ठेकेदार कंपनी वंशिका की पहरेदार बनी खादी
अनिल द्विवेदी
शहडोल। शहडोल जिले की मिट्टी में जबरदस्त उर्वराशक्ति है, यहां राजनीति की पाठशाला भी ऐसे कुशल नेता तैयार करती है जो राजनीति की एबीसी सीखने के चंद समय बाद ही जेसीबी तक का सफर तय कर लेते हैं। यही वजह है कि जिले की राजनीति में जनसेवा कम और बाजारवाद अधिक दिखाई देता है। जिले में रेत के अवैध कारोबार मैं सत्ताधारी नेताओं की सहभागिता इस बात का द्योतक बन गई है कि जिले की राजनीति वंशिका की चौकीदारी तक ही सीमित होकर रह गई है।
जिले की रेत खदानें नेताओं की शह में चल रही हैं। जिले में सत्ताधारी दल के कुछ नेता ऐसे भी हैं जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रेत के कारोबार में शामिल हैं। सोन नदी से कई जगह अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है। प्रशासन भी भाजपा नेताओं की खदानों और डंपर पर कार्रवाई करने से बच रहा है। जिलान्तर्गत रेत खनन में राजनीतिक रसूखदार खेल कर रहे हैैं। कई नेता जहां एक तरफ धड़ल्ले से रेत उत्खनन करा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर खुद के कारनामे को छिपाने के लिए जनसेवा या समाजसेवा का तानाबाना भी बुन रहे हैं। बुढ़ार क्षेत्र मेंं सोन नदी के घाटों पर सफेदपोश अपना हित साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राजनीति की एबीसी सीख रहे एक नेता ने वहां पर रेत खनन के लिए अपनी जेसीबी लगा रखा है। यह सब रसूख के दम पर चल रहा है। हालांकि रेत के कथित कारोबार में संलिप्त नेता सार्वजनिक जीवन में खुद को साफ-स्वच्छ छवि वाले बता रहे हैं। जबकि हकीकत देखा जाए तो बुढ़ार क्षेत्र मेंं सत्ता का धौंस देकर रेत का कथित करोबार किया जा रहा है।
जिले में रेत खनन के लिए जिस कंपनी को ठेका दिया गया है, उसे भी इन नेताओं ने अपनी मु_ी में ले रखा है। वर्तमान समय में खनिज अमले को यह देखने की जरूरत है कि स्वीकृत रेत खदान के आसपास लीज क्षेत्र से हटकर कितने बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा चुका है। उक्त रायल्टी मंजूर खदान से काटी जा रही है। बता दें कि चंद पैसे के लालच में नेता भी रेत का अवैध कारोबार करने में पीछे नहीं हैं। उन्हें यह डर सता रहा है कि अब आने वाले समय में शायद ऐसा मौका मिले ना मिले। इस तर्ज पर नेता रेत कारोबार में संलिप्त हैं। दिनभर में रेत से भरे सैकड़ों वाहन यूपी भेजे जा रहे हंै। कम समय को ध्यान में रखते हुए कारोबार तेजी से चल रहा है।
ज्यादातर खदानों में सक्रिय नेता
इन दिनों रेत खदानों में ज्यादातर नेता सक्रिय हैं। बुढ़ार से लेकर गोहपारू, जयसिंहनगर, ब्यौहारी तक रेत की खदानों में देखा जाए तो नेतागण ही हाथ-पांव मार रहे हैं। इनके आगे अन्य कारोबारी खनन करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे, क्योंकि नेताओं की ओर से उन्हें कार्यवाही करा देने की धमकी दे दी जाती है।
अब बस कुछ दिनों की बात
हर साल 15 जून के बाद नदियों से रेत उत्खनन पर पाबंदी लगा दी जाती रही है लेकिन इस साल अभी तक रेत खनन का काम जारी है, जबकि नदियों में बरसात का पानी आने लगा है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि बस कुछ ही दिनों में रेत का खनन बंद करा दिया जाएगा। इस संभावना को लेकर ठेका कंपनी तथा नेताओं ने और तेजी के साथ काम शुरू कर दिया है।
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