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शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

मुफ़्त की बिजली, मुफ़्त का पानी, कालरी क्वार्टरों में बढ़ी मनमानी

 धंधेबाजों की बदौलत कर्मचारी क्वार्टरों में सजी दुकानें

- मुफ़्त के बिजली पानी और आवास का बेजा लाभ उठा रहे अतिक्रमण कारी और रिटायर्ड कर्मचारी परिवार


एसईसीएल सोहागपुर एरिया अंतर्गत 1 दर्जन से अधिक श्रमिक कॉलोनियों के लगभग 6 हजार 500 आवासीय क्वार्टर्स में किसका वास है, यह सवाल बहुत ही खास है, क्योंकि पर्सनल विभाग से कुल 3000 कर्मचारी आवास ही अधिकारी-कर्मचारियों एवं श्रम वीरों के नाम पर पास (आवंटित) हैं। मैनेजमेंट से जुड़े लोगों को विश्वास है कि शेष आवासों में उन्हीं लोगों और रिटायर्ड कर्मचारियों का अवैध कब्जा और निवास है जो कालरी अधिकारी-कर्मचारियों के चहेते या खासमखास हैं। श्रम संगठनों के पदाधिकारियों के साथ ही आमजन इस बात से निराश हैं कि एरिया के मुख्य महाप्रबंधक इन सब बातों से अनजान वातानुकूलित कार्यालय कक्ष के मोहपाश में गिरफ्तार हैं।

धनपुरी। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड सोहागपुर एरिया के तकरीबन एक दर्जन आवासीय कालोनियों के हजारों क्वार्टरों में पिछले कई वर्षों बल्कि दशकों से अनधिकृत व्यक्तियों का अवैध कब्जा बरकरार है। इन आवासीय क्वार्टर्स और कालोनियों में अवैध कब्जे की जानकारी न सिर्फ मैनेजमेंट के लोगों बल्कि शासन प्रशासन के ओहदेदारों को भी है लेकिन अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं हो सकी परिणाम स्वरूप बेजा कब्जे का दौर निरन्तर जारी है।

यह हैं हालात

सोहागपुर कोयलांचल अंतर्गत कोयला खदानों में कार्यरत हजारों कर्मचारियों, अधिकारियों और श्रम वीरों तथा उनके परिजनों के रहने के लिए तकरीबन एक दर्जन कालोनियां एसईसीएल द्वारा बनवाई गई जिनमें लगभग 6500 क्वार्टर बने हुए हैं इनमें से मात्र 3000 आवासीय क्वार्टर ही कर्मचारियों को पर्सनल विभाग द्वारा आवंटित किए गए क्योंकि अब सोहागपुर कोयला चल में कर्मचारियों की संख्या अधिक नहीं रह गई है। कुल 3700 कर्मचारी ही शेष हैं  जिनमें से 3000 कर्मचारियों को आवास दिया गया है। कालोनियों के शेष आवासों में पुराने रिटायर्ड कर्मचारियों एवं मैनेजमेंट से जुड़े लोगों के चहेते व्यक्तियों का अवैध कब्जा बरकरार है जिनमें वह रहने के साथ ही विभिन्न व्यवसाय को भी संचालित कर रहे हैं।

यह हैं श्रमिक कॉलोनियां 

शहडोल जिले के सुहागपुर कोयलांचल क्षेत्र अंतर्गत एसईसीएल द्वारा बनाई गई श्रमिक कालोनियों में संजय नगर कॉलोनी ,विवेक नगर कॉलोनी, रेस्क्यू कॉलोनी ,(खुटवा) रेलवे कॉलोनी ,हॉस्पिटल कॉलोनी, चीप हाउस कॉलोनी, बंगवार कॉलोनी, अरझुला कॉलोनी, रुंगटा कॉलोनी, धनपुरी नंबर 1 कॉलोनी, अमलाई कॉलोनी, धनपुरी नंबर 3 कॉलोनी, फिल्टर प्लांट कॉलोनी प्रमुख हैं। इन कॉलोनियों में ऐसे कई कर्मचारी हैं जिन्होंने कालरी से रिटायरमेंट होने के बाद भी क्वार्टर खाली नहीं किया है। कालरी के रूल के अनुसार रिटायरमेंट के बाद क्वार्टर खाली नहीं करने वाले कर्मचारियों की 20 लाख रुपए ग्रेविटी रोकी भी जाती है जिसके मजबूरी में क्वार्टर खाली करना पड़ता है लेकिन ऐसे कई दबंग कर्मचारी हैं जिन्होंने आज भी क्वार्टर खाली नहीं किया और कालरी का मुफ्त में बिजली पानी अन्य सुविधाएं ले रहे हैं| ऐसे कई होंगे जो कि 10-20 वर्षों से अवैध रूप से क्वार्टर में रह रहे हैं।

दुकान खोल कर कर रहे बिजनेस  

संजय नगर, विवेक नगर, बंगवार अरझुला कॉलोनी, 1 नंबर, 2 नंबर, 3 नंबर, कालोनियों में ऐसे कई दुकान खुले हैं जहां कालरी के बिजली की चोरी कर दुकान संचालित कर रहे हैं। कंपनी का लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है काली प्रबंधन साल में कभी कभार बिजली चोरी रोकने के लिए  कार्यवाही करती है लेकिन ठोस कार्यवाही ना होने के चलते बिजली चोरी पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है बताया जाता है कि कोल कंपनी को बिजली चोरी के जरिए करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ता है।

 श्रमिक संगठनों के पदाधिकारियों ने बताया कि कई बार आई आर के माध्यम से प्रबंधन को क्वार्टर एलॉटमेंट ना होने के चलते कर्मचारी को क्वार्टर नहीं मिल पाता जिससे दूरदराज आवास होने के चलते वह समय पर ड्यूटी नहीं कर पाते जिससे कंपनी का कोयला उत्पादन  भी प्रभावित होता है। बताया जाता है कि बुढार ग्रुप माइंस में कार्मिक प्रबंधक के पास कई क्वार्टर एलॉटमेंट के आवेदन कई माह से पड़े हुए हैं जिससे  कर्मचारियों को क्वार्टर नहीं मिल रहा है|

लेन-देन का चक्कर

आरोपित किया गया है कि चाय पान ठेला दुकानों से क्वार्टर अलाटमेंट का कारोबार किया जा रहा है। सुविधा शुल्क देने के बाद तय होता है कि क्वार्टर  किसको देना है।  सुविधा शुल्क न मिलने पर डिस्मेंटल के कगार में पहुंच चुके कालरी क्वार्टरों को कर्मचारियों को दे दिया जाता है और जो सुविधा शुल्क दे देते हैं उन्हें मनपसंद  क्वार्टर प्राप्त हो जाता है, कर्मचारियों के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार कालरी के कार्मिक प्रबंधक कर रहे हैं।

किराये पर आवास

कॉलोनियों में ऐसे कई क्वार्टर खाली पड़े हैं जिसमें दूसरे के नाम पर कोई दूसरा रह रहा है या अपने नाम  से एलाटमेंट करा कर दूसरे को किराए पर दे दिया जाता है जिसका सर्वे कालरी द्वारा कभी नहीं कराया जाता। एक क्वार्टर अलॉटमेंट के नाम पर अंदर ही अंदर दूसरे क्वार्टर को भी जोड़कर इस्तेमाल कर रहे हैं|

महाप्रबंधक भी अनजान

बताया जाता है कि एरिया महाप्रबंधक भी कोयला उत्पादन तक ही सीमित हैं। श्रमिकों की सुविधाओं से उन्हें कोई लेना देना नहीं है तभी तो जिन श्रमिकों को क्वार्टर की आवश्यकता है ऐसे श्रमिकों को क्वार्टर आवंटित नहीं किया जा रहा है और अवैध रूप से लोग क्वार्टरों में रह रहे हैं और बिजली पानी क्वार्टर का उपयोग कर रहे हैं कंपनी को भारी क्षति हो रही है जिस पर कालरी प्रबंधन किसी तरह का कारवाही नहीं की जाती।

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