फर्जी भर्ती कांड के आरोपी संयुक्त संचालक, दो सीएमओ सहित 5 अधिकारी कर्मचारी निलंबित
प्रभारी सीएमओ बने राजस्व उपनिरीक्षक रवि करण त्रिपाठी की करतूत उजागर
संभागीय मुख्यालय शहडोल स्थित नगरीय प्रशासन कार्यालय के संयुक्त संचालक मकबूल खान सहित मुख्य नगरपालिका अधिकारी धनपुरी रवि करण त्रिपाठी, मुख्य नगरपालिका अधिकारी दीपांकर शुक्ला बकहो के अलावा संयुक्त संचालक कार्यालय में पदस्थ सहायक यंत्री राकेश तिवारी व एक अन्य को नगरीय प्रशासन के आयुक्त द्वारा निलंबित कर दिया गया है, सभी पर आरोप है कि उनके द्वारा ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बकहो बनने के दौरान वहां पर की गई भर्तियों में लापरवाही बरती गई। कर्मचारियों की भर्ती और संविलियन में अनियमितताओं के जरिए शासन को अब तक 65 लाख रुपए से अधिक की आर्थिक क्षति पहुंचाए जाने के आरोप की पुष्टि भी हुई है, जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित तो कर दिया गया है, देखना यह है कि क्या उनसे क्षति पूर्ति राशि की वसूली भी की जाएगी या पुनः ले देकर उन्हें लीपापोती करने के लिए स्वच्छंद छोड़ दिया जाएगा।
शहडोल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत बकहो को नगर पंचायत का दर्जा दिए जाने की घोषणा के उपरांत राज्य शासन द्वारा जारी की गई अधिसूचना के तहत नगर पंचायत के गठन की प्रक्रिया आरंभ हुई और स्वीकृत विभिन्न वर्ग के पदों पर भर्ती की प्रक्रिया आरंभ की गई। बकहो नगर पंचायत के गठन के साथ ही समिति नगर पालिका धनपुरी के मुख्य नगरपालिका अधिकारी रवि करण त्रिपाठी को बको नगर पंचायत का प्रथम प्रभारी सीएमओ नियुक्त किया गया और श्री त्रिपाठी ने अपनी आदत और हुनर के मुताबिक खेल खेलना आरंभ कर दिया ग्राम पंचायत बकहो में पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के अलावा 39 अन्य स्वीकृत पदों पर भर्ती की प्रक्रिया आरंभ की गई जिसमें संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन शहडोल मकबूल खान भी शामिल रहे और उन्होंने अपने बेटे सहित चहेतों की भर्ती के लिए भर्ती प्रक्रिया का गोरख धंधा चालू कर अंधाधुंध कमाई करते हुए फर्जी भर्ती कांड को अमली जामा पहना दिया। जिसमें बकहो में बाद में पदस्थ सीएमओ और संयुक्त संचालक कार्यालय नगरी प्रशासन में पदस्थ इंजीनियर भी शामिल हुए और इन सब ने मिलकर शासन को 65 लाख का चूना लगा डाला।
आर एस आई बना सीएमओ
मूलत: राजस्व उपनिरीक्षक के पद पर नियुक्त रवि करण त्रिपाठी ने अपने सेवा काल का अधिकांश समय प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी के रूप में ही बिताया है। कांग्रेस के शासनकाल में भी वह प्रभारी सीएमओ रहे और भाजपा के शासनकाल में भी, सरकारें भले ही बदली हो रवि करण त्रिपाठी के तेवर कभी नहीं बदले। पिछले 12 सालों से धनपुरी नगरपालिका को खोखला कर रहे रवि करण ने कई बार नगर पालिका के चुनाव तक स्थगित करवा दिए अनाप-शनाप निर्माण कार्यों के जरिए अंधाधुंध कमाई और नगर पालिका के खर्च पर विविध कार्यक्रमों के आयोजन में स्वयं को सम्मानित करवाने की चाह में नगरी निकाय को अच्छा खासा चूना लगाया है। जानकार सूत्रों की माने तो रवि करण त्रिपाठी जिन जिन नगरीय निकायों में प्रभारी सीएमओ के पद पर रहे वहां उन्होंने भ्रष्टाचार के कई कीर्तिमान गढ़े हैं यदि जांच की जाए तो करोड़ों के घपले का खुलासा हो सकता है।
क्या निलंबन ही काफी
नगर पंचायतों में कर्मचारियों की भर्ती के मामले में बरती गई अनियमितताओं और नियम विरुद्ध कर्मचारियों की भर्ती को लेकर नगरी प्रशासन विभाग द्वारा संयुक्त संचालक सहित पांच लोगों को निलंबित दो कर दिया है जांच प्रक्रिया आगे भी जारी रह सकती है लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या दोषी व्यक्तियों को निलंबित कर देने मात्र से शासन को होने वाली क्षति और पात्र बेरोजगार युवाओं के साथ हुए अन्याय की भरपाई हो सकेगी क्या दोषी व्यक्ति अधिकारी कर्मचारियों से क्षति पूर्ति की राशि वसूली के साथ ही जानबूझकर किए गए अपराध के लिए उन्हें दंडित किया जाएगा। यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब फिलहाल आमजन के पास नहीं है लेकिन उम्मीद तो यही की जाती है कि चोरी छोटी हो या बड़ी चोर को सजा तो मिलनी ही चाहिए।
हंसराज ने थामा मोर्चा
नगर पंचायत बकहो में फर्जी नियुक्तियों के मामले को लेकर हालांकि शिकायतें तो बहुत से लोगों ने की है लेकिन धनपुरी नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष हंसराज तंवर ने इस मामले को गंभीरता से लिया और निरंतर शिकायतें करते रहे जब तक की जांच की प्रक्रिया आरंभ नहीं हो गए और उनके सफल प्रयास का ही परिणाम रहा कि नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा मामले को संज्ञान में लेते हुए विधिवत जांच की प्रक्रिया आरंभ की गई और दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही आरंभ की गई। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा की गई कार्यवाही पर संतोष जताते हुए धनपुरी नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष हंसराज तंवर ने मध्य प्रदेश शासन के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं विभागीय मंत्री के साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए मांग की है कि दोषी अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की प्रक्रिया के तहत दंडात्मक कार्यवाही भी की जाए ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी कर्मचारी ऐसा दुस्साहस न कर सके।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें