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शनिवार, 25 सितंबर 2021

गौ सेवकों को दी जाए गौशाला

 - धनपुरी सीएमओ ने कांजी हाउस देकर किया अनुकरणीय कार्य

- इधर सुविधाएं न होने का मलाल, उधर गौशालाओं का जाल

अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था जैसे संगठनों का हो चयन

- गौवंश रक्षा की शासकीय योजना को पलीता लगने से बचा सकती हैं ऐसी संस्थाएं

शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में काफी बड़े बजट के साथ गौशालाओं का निर्माण कर गौवंश के संरक्षण संवर्धन का कार्य कर रही है। ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जनपद स्तर पर बनाए जाने वाले इन गौशालाओं को यदि अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था एवं उस जैसे संगठनों को अनुदान रूप में दे दिया जाए तो बहुत हद तक शासन की मंशा पूरी हो सकती है।

धनपुरी/शहडोल। सड़क पर झुण्ड बनाकर बैठे, आवागमन बाधित करते या फसल को नुकसान पहुंचाते मूक मवेशियों को डण्डा लेकर खदेड़ते, उन्हें कांजी हाउस में बंद करते या ऐसे मवेशियों के कारण आपस में विवाद करते तो आपने बहुत से लोगों को देखा होगा, लेकिन कहीं किसी दुर्घटना में घायल, बीमार या अन्य किसी संकट के शिकार मवेशी की सेवा और उपचार कर उसे पुर्नजीवन देने वाले लोग विरले ही मिलते हैं। ऐसे पुण्य कार्य को अंजाम देने वाली एक ऐसी ही संस्था है अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था धनपुरी जो पिछले चार वर्षों मेंं करीब चार हजार गौवंश का उपचार कर उनके जीवन को संवार चुकी है और अपने इस अभियान में सततरत है। शासकीय सहायता एवं संसाधनों के अभाव से जूझ रही इस संस्था को नगरपालिका धनपुरी ने हाल ही में बघईया नाला के समीप स्थित कांजी हाउस की मरम्मत कराकर दिया है ताकि वह आये दिन दुर्घटनाओं में चोटिल होने वाले मवेशियों का उपचार कर उनके जीवन की रक्षा का गुरुतर दायित्व निभा सके।

शाबाश सीएमओ


नगर पालिका सीएमओ रवि करण त्रिपाठी द्वारा धनपुरी वार्ड नंबर 22 बघइया पुल के पास पूर्व में बने कांजी हाउस को अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था को  मरम्मत कराकर दिया गया है, जो किसी कदर क्षेत्र में दुर्घटना चोटी जानवरों को लाकर ट्रीटमेंट कर देखरेख किया जाता है।  अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था संरक्षक श्री राम दुवे धनपुरी नंबर 4 निवासी 20 दोस्तों के साथ 4 वर्षों से गौ सेवा में लगे हुए हैं।

स्थान का अभाव


 गौ सेवा के स्थानीय उत्साही युवाओंं ने बताया कि पूर्व में बनी कांजी हाउस को नगर पालिका के सीएमओ के सहयोग से हमें गौ सेवा करने का स्थान तो मिल गया लेकिन गायों की संख्या अधिक होने के चलते चोटिल जानवरों के देखरेख करने में परेशानी होती है कालरी के आसपास खाली पड़ी जमीन में अगर नगर पालिका सांसद विधायक की मदद से सहयोग मिल जाता तो जानवरों की रखरखाव की व्यवस्था ट्रीटमेंट करने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती।

दवाइयों का अभाव 


आए दिन दूरदराज क्षेत्र अमलाई ,धनपुरी बे राजेंद्रा कॉलोनी, 1 नंबर ,2 नंबर ,3 नंबर, बुढार, शहडोल ,आदि स्थानों से सड़कों में चोटिल छोट-बड़े जानवरों का उपचार करने में लगने वाली दवाइयां की व्यवस्था कहीं से नहीं हो पाती। संस्थान से ही जुड़े व्यक्ति 10-20 रुपये अपनी जेब से लगाकर 4--5 सौ रूपऐ एकत्र कर दवाइयां लाकर किसी कदर घायल अवस्था में जानवरों की सेवा करते हैं। कभी कभार नगर के मेडिकल स्टोर संचालकों के द्वारा कुछ मदद दवाइयों के रूप कर दी जाती हैे जो काफी नहीं हो पाती। दवाईयों के अभाव में जानवर समय पर ठीक नहीं हो पाते हैं। कई बार दुर्घटना के चलते जानवरों का पैर काटने की नौबत आ जाती है तो ऑपरेशन के समय धनपुरी नगर के विटनरी हॉस्पिटल के डॉ. दुबे जी को बुलाकर ऑपरेशन किया जाता है उनका सहयोग हमें समय-समय पर मिलता रहता है।

चारा भूसे की समस्या


गौशाला में प्रतिदिन 15-20 गाय (जानवर) बीमारी के हालात में रहती है जिसके लिए जानवरों के खाने पीने के लिए भूसा चारे की व्यवस्था की जाती है जो नगर के कुछ लोगों के द्वारा तो किया जाता है लेकिन पर्याप्त व्यवस्था न होने से हर माह भोजन की व्यवस्था जुटाने को लेकर परेशान देकर जाते हैं। नगर के समाज सेवी संस्थाओं द्वारा गौ सेवा के लिए थोड़ा सहयोग मिले  तो अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था की मदद हो सकती है।

वाहन का अभाव

संस्था के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं जो दूर दराज से दुर्घटना ग्रस्त जानवरों को गौशाला तक लाने के लिए उन्हें अपने जेब से या फिर कभी कभार नगरपालिका के सहयोग से पिकअप, बैन का सहयोग लेकर जानवरों को लाया जाता है। न मिलने पर मित्र मडली के द्वारा आपस में पैसा एकत्र कर 4-5 सौ रूपऐ वैन वाले को देकर जानवरों को लाने की व्यवस्था की जाती है।

विधायक की घोषणा

अटल कामधेनु गौ सेवा संस्था श्री राम दुबे ने बताया कि जैतपुर विधानसभा की विधायिका श्रीमती मनीषा सिंह ने बोला था कि हम जल्द से जल्द गौशाला के लिऐ सेठ का निर्माण ,पिकअप बैन की व्यवस्था,दवाईयो  व्यवस्था कराने के लिए कहा गया था लेकिन जो 3 माह बीत जाने के बाद भी कोई सुध लेने वाला नहीं आया।

जबर्दस्त लापरवाही

सड़कों पर बैठने वाले बेसहारा मवेशियों के कारण लगातार दुर्घटनाएं हो रही है। इसके बाद भी पशुपालकों की लापरवाही में कोई कमी नहीं आई और न ही उनके खिलाफ कोई सख्त कदम अब तक उठाया गया है। न सिर्फ शहर में बल्कि जिले में पशु पालकों द्वारा अपने मवेशियों को बेसहारा छोड़ छोड़ दिया जाता है जिससे वह सड़क पर जाकर बैठ जाते हैं और दुर्घटना का कारण बन जाते हैं। नगर व जिला प्रशासन ाके चाहिये कि वह ऐसे पशुपालकों को चिन्हित कर उन्हें चेतावनी देने के साथ ही सख्त कार्यवाही करे।

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