♦️जुए में हत्या, रेत में हत्या अब किसकी बारी, सुर्खियों में आबकारी
♦️जगह-जगह पैकारी, प्रिंट रेट से ज्यादा लेकर रंगदारी से दिनों दिन बिगड़ रहे हालात"नवंबर का महीना शहडोल जिला और उसकी कानून व्यवस्था के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा है। अपराधऔर अपराधियों की बाढ़ ने जहां एक ओर जिले के अमन चैन को तार-तार कर दिया वहीं दूसरी ओर पुलिस और प्रशासन को भी कहीं ना कहीं शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। दीपावली की रात जुए के फड़ में दो लोगों की हत्या और उसके13 दिन बाद रेत के खदान में पटवारी की दर्दनाक हत्या नेणजिला वासियों को झकझोर कर रख दिया है। क्या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा? यह सवाल आम आदमी की जुबान पर है क्योंकि जहां लोग मात्र 5 रुपए के लिए किसी की हत्या पर आमादा हों, वहां दारू के लिए क्यों नहीं हो सकते। शहडोल जिले में आबकारी विभाग के रहमों करम पर शराब ठेकेदार की मनमानीचरमोत्कर्ष पर है यही आलम यदि कायम रहा तो इस आआशंका को नहीं नकारा जा सकता है कि जिस प्रकार पुलिस विभाग को जुआ फड़ की और खनिज विभाग को रेत खदान की वारदात ने शर्मिंदा किया उसी प्रकार आबकारी विभाग के साथ भी हो सकता है।"
अनिल द्विवेदी 7000295641
शहडोल। जिले में देसी विदेशी मदिरा का अवैध कारोबार बड़ी तेजी के साथ चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां एक ओर महुआ की कच्ची शराब का ज्यादा प्रचलन है तो वहीं दूसरी ओर शहरी और कस्बाई क्षेत्रों में देसी और विदेशी मदिरा बड़े शौक से खरीदी बेची जा रही हैऔर लोग इसका भरपूर सेवन कर शराब ठेकेदार की आर्थिक उन्नति में सहभागी बन रहे हैं। अपनी आर्थिक उन्नति में सहयोग देने वाले सुरा प्रेमियों का ठेकेदार द्वारा भी बखूबी ख्याल रखा जाता हैऔर भले ही महंगी दरों पर ही सही उन्हें जहां वह चाहें मदिरा की आपूर्ति कर लोगों में कथित तौर पर खुशियां बांटने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। शराब ठेकेदार की इस दरिया दिली से पैकारियों का लाभ उठाने वाले भले ही कुछ हद तक खुश हो जाते हों शहर में लाइसेंसी दुकान से शराब खरीदने वाले लोगों को यह महंगी शराब नागवार गुजरती रही है। सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण छिप कर पीने वालों द्वारा खुलकर विरोध भले ही न किया जा पा रहा हो लेकिन दुकानों में आए दिन विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है जो कभी भी किसी हादसे का सबब बन सकती है।
कभी नहीं पकड़ते अंग्रेजी शराब
शहडोल जिले का आबकारी अमला अपने कर्तव्य पालन में बिल्कुल भी पीछे नहीं है, ऐसा इसलिए माना जा सकता है कि, आए दिन विभाग द्वारा विज्ञप्तियां जारी कर लोगों को अपनी कर्तव्य परायणता और सक्रियता से अवगत कराया जाता रहा है। यह बात दीगर है की विभागीय अमले द्वारा अपवाद को छोड़ दिया जाए तो कभी भी जिले मेंअवैध अंग्रेजी शराब नहीं पकड़ी गई। जब भी विदेशी मदिरा जप्ती की कार्यवाही हुई वह पुलिस के द्वारा ही की गई है। आबकारी विभाग को सिर्फ ग्रामीण आदिवासियों द्वाराअपने उपयोग के लिए अथवा पास पड़ोस के लोगों को पिलाने के लिए बनाई गई कच्ची शराब ही नजर क्यों आती है, इस सवाल का जवाब आज तक कोई नहीं दे सका है।
पैकारियों का जाल
विभाग के किसी भी जांबाज अधिकारी कर्मचारी द्वारा जिले में कहीं भी अंग्रेजी यानी विदेशी मदिरा जप्त करने अथवा कारोबारी को गिरफ्तार कर पुलिस के हवाले करने की कार्यवाही का साहस नहीं दिखाया गया। यही वजह है कि पूरे जिले में अवैध पैकारियों का जाल फैला हुआ है। जगह-जगह यहां तक की चाय पान के ठेलो, गुमटियों व किराना दुकानों में भी बड़ी सहजता के साथ देसी विदेशी मदिरा उपलब्ध है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि विभाग के संरक्षण में लाइसेंसी ठेकेदार द्वारा पूरे शहर व समीपी ग्रामीण क्षेत्रों में अपने कारोबार का ऐसा जाल बिछाया गया है और ऐसी मिठास बांटी गई है कि विभागीय अमला ही नहीं अधिकारी तक चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
नकली माल भी महंगा
लाइसेंसी मदिरा भी व्यापक पैमाने पर मिलावट की चपेट में है। पूर्व पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी के कार्यकाल के दौरान उनके निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकेश वैश्य के नेतृत्व में पलिस टीम द्वारा छापामारी की गई जिसमें नकली पैकिंग का सामान बरामद किया गया था, इसके पूर्व कई बार बाहर से लाकर बेची जाने वालीे मिलावटी शराब पकड़ी जा चुकी है। यह कारोबार जिले में अब भी खूब फलफूल रहा है। इसकी मुख्य वजह आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली बनी हुई है।
लाइसेंसी दुकानों पर मिलावटी शराब
लाइसेंसी दुकानों पर मिलावटी शराब की बिक्री भी धड़ल्ले से जारी है, परंतु दुकानों की जांच की जहमत नहीं उठाई जाती। बुढार रोड की मदिरा दुकान में नकली शराब को असली बनाने का सामान पकडे जाने के बाद मजबूरी में आबकारी विभाग ने कुछ दुकानों की जांच की थी, जिनमें दो दुकानों पर मिलावटी शराब की बोतल पकड़ी भी गई थीं। लेकिन उसके बाद एक भी दुकान पर छापामारी नहीं की गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
नकली के साथ ओवररेटिंग की भी मार
शराब के शौकीनों पर मिलावट के साथ-साथ ओवररेटिंग की भी दोहरी मार पड़ रही है। खासतौर पर ज्यादा बिकने वाले ब्रांड रॉयल चैलेंज, ब्लेंडर प्राइड, रॉयल स्टेग की बोतल पर अधिक रुपये वसूल किए जा रहे हैं। इसी तरह क्वार्टर पर भी अधिक रुपये वसूले जा रहे हैं। वहीं, बीयर की प्रति बोतल /केन पर बीस रुपये तक की ओवररेटिंग हो रही है।
सबको पता है, सबको खबर
चाहे असली दुकानों पर नकली, मिलावटी और सीमावर्ती प्रांतों की शराब बिकने का मामला हो, चाहे सड़क के किनारे लहंगा और गुलाबो नाम से बिकने का, ऐसा नहीं नीचे से लेकर ऊपर तक के पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों तक को पता नहीं, या दिखता नहीं। लेकिन बदस्तूर यह गोरखधंधा जारी है। इन धंधेबाजों और शौकीनों के बीच के विवाद यदि बढ़े तो हालात क्या होंगे इसका अनुमान लगाना मौजूदा दौर में कठिन नहीं है।
शहडोल। जिले में देसी विदेशी मदिरा का अवैध कारोबार बड़ी तेजी के साथ चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां एक ओर महुआ की कच्ची शराब का ज्यादा प्रचलन है तो वहीं दूसरी ओर शहरी और कस्बाई क्षेत्रों में देसी और विदेशी मदिरा बड़े शौक से खरीदी बेची जा रही हैऔर लोग इसका भरपूर सेवन कर शराब ठेकेदार की आर्थिक उन्नति में सहभागी बन रहे हैं। अपनी आर्थिक उन्नति में सहयोग देने वाले सुरा प्रेमियों का ठेकेदार द्वारा भी बखूबी ख्याल रखा जाता हैऔर भले ही महंगी दरों पर ही सही उन्हें जहां वह चाहें मदिरा की आपूर्ति कर लोगों में कथित तौर पर खुशियां बांटने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। शराब ठेकेदार की इस दरिया दिली से पैकारियों का लाभ उठाने वाले भले ही कुछ हद तक खुश हो जाते हों शहर में लाइसेंसी दुकान से शराब खरीदने वाले लोगों को यह महंगी शराब नागवार गुजरती रही है। सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण छिप कर पीने वालों द्वारा खुलकर विरोध भले ही न किया जा पा रहा हो लेकिन दुकानों में आए दिन विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है जो कभी भी किसी हादसे का सबब बन सकती है।
कभी नहीं पकड़ते अंग्रेजी शराब
शहडोल जिले का आबकारी अमला अपने कर्तव्य पालन में बिल्कुल भी पीछे नहीं है, ऐसा इसलिए माना जा सकता है कि, आए दिन विभाग द्वारा विज्ञप्तियां जारी कर लोगों को अपनी कर्तव्य परायणता और सक्रियता से अवगत कराया जाता रहा है। यह बात दीगर है की विभागीय अमले द्वारा अपवाद को छोड़ दिया जाए तो कभी भी जिले मेंअवैध अंग्रेजी शराब नहीं पकड़ी गई। जब भी विदेशी मदिरा जप्ती की कार्यवाही हुई वह पुलिस के द्वारा ही की गई है। आबकारी विभाग को सिर्फ ग्रामीण आदिवासियों द्वाराअपने उपयोग के लिए अथवा पास पड़ोस के लोगों को पिलाने के लिए बनाई गई कच्ची शराब ही नजर क्यों आती है, इस सवाल का जवाब आज तक कोई नहीं दे सका है।
पैकारियों का जाल
विभाग के किसी भी जांबाज अधिकारी कर्मचारी द्वारा जिले में कहीं भी अंग्रेजी यानी विदेशी मदिरा जप्त करने अथवा कारोबारी को गिरफ्तार कर पुलिस के हवाले करने की कार्यवाही का साहस नहीं दिखाया गया। यही वजह है कि पूरे जिले में अवैध पैकारियों का जाल फैला हुआ है। जगह-जगह यहां तक की चाय पान के ठेलो, गुमटियों व किराना दुकानों में भी बड़ी सहजता के साथ देसी विदेशी मदिरा उपलब्ध है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि विभाग के संरक्षण में लाइसेंसी ठेकेदार द्वारा पूरे शहर व समीपी ग्रामीण क्षेत्रों में अपने कारोबार का ऐसा जाल बिछाया गया है और ऐसी मिठास बांटी गई है कि विभागीय अमला ही नहीं अधिकारी तक चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
नकली माल भी महंगा
लाइसेंसी मदिरा भी व्यापक पैमाने पर मिलावट की चपेट में है। पूर्व पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी के कार्यकाल के दौरान उनके निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकेश वैश्य के नेतृत्व में पलिस टीम द्वारा छापामारी की गई जिसमें नकली पैकिंग का सामान बरामद किया गया था, इसके पूर्व कई बार बाहर से लाकर बेची जाने वालीे मिलावटी शराब पकड़ी जा चुकी है। यह कारोबार जिले में अब भी खूब फलफूल रहा है। इसकी मुख्य वजह आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली बनी हुई है।
लाइसेंसी दुकानों पर मिलावटी शराब
लाइसेंसी दुकानों पर मिलावटी शराब की बिक्री भी धड़ल्ले से जारी है, परंतु दुकानों की जांच की जहमत नहीं उठाई जाती। बुढार रोड की मदिरा दुकान में नकली शराब को असली बनाने का सामान पकडे जाने के बाद मजबूरी में आबकारी विभाग ने कुछ दुकानों की जांच की थी, जिनमें दो दुकानों पर मिलावटी शराब की बोतल पकड़ी भी गई थीं। लेकिन उसके बाद एक भी दुकान पर छापामारी नहीं की गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
नकली के साथ ओवररेटिंग की भी मार
शराब के शौकीनों पर मिलावट के साथ-साथ ओवररेटिंग की भी दोहरी मार पड़ रही है। खासतौर पर ज्यादा बिकने वाले ब्रांड रॉयल चैलेंज, ब्लेंडर प्राइड, रॉयल स्टेग की बोतल पर अधिक रुपये वसूल किए जा रहे हैं। इसी तरह क्वार्टर पर भी अधिक रुपये वसूले जा रहे हैं। वहीं, बीयर की प्रति बोतल /केन पर बीस रुपये तक की ओवररेटिंग हो रही है।
सबको पता है, सबको खबर
चाहे असली दुकानों पर नकली, मिलावटी और सीमावर्ती प्रांतों की शराब बिकने का मामला हो, चाहे सड़क के किनारे लहंगा और गुलाबो नाम से बिकने का, ऐसा नहीं नीचे से लेकर ऊपर तक के पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों तक को पता नहीं, या दिखता नहीं। लेकिन बदस्तूर यह गोरखधंधा जारी है। इन धंधेबाजों और शौकीनों के बीच के विवाद यदि बढ़े तो हालात क्या होंगे इसका अनुमान लगाना मौजूदा दौर में कठिन नहीं है।
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