शहडोल। मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा निर्धन आदिवासी परिवारों के कल्याण हेतु अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं लागू की गई है इन्हीं में से एक है संबल योजना। संबल योजना में विभिन्न प्रकार की रियायतों के साथ ही दुर्घटना अथवा आपदा की स्थिति में पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है जिसका लाभ हितग्राहियों की बजाए अधिकारी कर्मचारियों और बिचौलिए उठा रहे हैं हितग्राहियों को महज 10-5 फ़ीसदी राशि ही मिल पाती है, जिसका नमूना जयसिंहनगर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत बराछ में देखा जा सकता है।
जयसिंह नगर जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत बराछ इन दिनों उपसरपंच का पद संभाल रहे एक ऐसे व्यवसायी की हाथों की कठपुतली बन चुकी है जिसका ईमान धर्म सब पैसों तक ही सीमित है। न सिर्फ ग्राम पंचायत बराछ बल्कि आसपास के दर्जनों पंचायतों में सामग्री आपूर्ति के साथ ही कियोस्क सेंटर के जरिए न सिर्फ गरीब आदिवासी हितग्राहियों बल्कि शासन प्रशासन को भी अच्छा खासा आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले इस तथाकथित जनप्रतिनिधि ने अकेले ग्राम पंचायत बराछ के दर्जनों दुर्घटना आपदा पीड़ित परिवारों को मिलने वाली सहायता राशि को खुर्द बुर्द करने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी है।
गौर तलब है कि संबल योजना के तहत सहायता राशि की स्वीकृति जनपद पंचायत के माध्यम से होती है जनपद के सीईओ द्वारा स्वीकृति प्रदान करने के उपरांत उक्त राशि संबंधित हितग्राही के खाते में अंतरित हो जाती है जिसे निकालने वाले कियोस्क संचालकों द्वारा नाम मात्र की राशि हितग्राही को थमा कर शेष राशि जनपद के अधिकारी कर्मचारियों के साथ मिलकर बंदरबांट कर ली जाती है। ऐसा ही एक मामला लोली बाई का है जिसके पति की दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद संबल योजना के तहत मिलने वाली बीमा राशि 2 लाख रुपए जनपद पंचायत द्वारा स्वीकृत की गई। हितग्राही के खाते में राशि आने के बाद ग्राम पंचायत के उपसरपंच और कियोस्क संचालक श्रीधर गर्ग ने उक्त महिला हितग्राही को बुलाकर उससे अंगूठा लगवाया और 10 हजार रुपए थमा कर चलता कर दिया। फिंगरप्रिंट और आधार कार्ड के जरिए उक्त कियोस्क संचालक ने संबंधित हितग्राही के खाते से 2 लाख रुपए की राशि आहरित कर ली और महिला को धीरे धीरे करके 30-40 हजार रुपए दिए शेष राशि हड़प ली गई। बाद में जब इस मामले की जानकारी गांव के लोगों को हुई और मामला तूल पकड़ने लगा तब उक्त उपसरपंच ने पीड़िता को एक लाख रुपए राशि लौटाई शेष राशि एक लाख रुपए का भुगतान अभी भी नहीं किया गया है ऐसा ग्रामीणों का मानना है।
पति की मौत के बाद शासन की ओर से मिलने वाली सहायता राशि से वंचित उक्त पीड़ित महिला द्वारा जनपद कार्यालय में शिकायत भी की गई लेकिन उसकी व्यथा कोई भी सुनने को तैयार नहीं है जिससे इस आशंका को आधार मिलता है कि जनपद सीईओ, एपीओ एवं अन्य अधिकारी कर्मचारियों के साथ उक्त उपसरपंच बनाम कियोस्क संचालक की अच्छी सेटिंग है यही वजह है कि उसके खिलाफ किसी प्रकार की कार्यवाही करने में अधिकारी कर्मचारियों के हाथ कांपते हैं। यह भी आशंका जताई जाती है कि कियोस्क संचालक या उपसरपंच तो एक मोहरा मात्र है असली कमाई जनपद में बैठे अधिकारी कर्मचारियों द्वारा ही की जा रही है। ग्राम पंचायत बराछ में लोली बाई की कथित लूट इकलौता मामला नहीं है बल्कि ऐसे दर्जनों हितग्राही हैं जिन्हें विभिन्न शासकीय योजनाओं के तहत शासन द्वारा स्वीकृत की गई राशि का एक बड़ा हिस्सा कियोस्क संचालक उपसरपंच एवं अधिकारी कर्मचारियों ने आपस में बांट ली और हितग्राहियों को ठेंगा दिखा दिया।
ग्राम पंचायत बराछ को अपनी उंगली के इशारे पर नचाने वाले उक्त कथित उपसरपंच बनाम कियोस्क संचालक के बड़े-बड़े कारनामे पंचायत एवं जनपद क्षेत्र में सुर्खियां बटोर रहे हैं यदि निष्पक्ष जांच एवं कार्यवाही की जाए तो न सिर्फ पंचायत व क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीण हितग्राहियों का भला हो सकता है बल्कि शासन कि वह राशि जो कर चोरी के रूप में तथा अन्य तरीके से हड़पी गई है, बाहर निकाली जा सकती है।
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