शहडोल। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही के चलते आदिम जाति सेवा सहकारी समिति लैंप्स छतवई की अनाज खरीदी की पात्रता तो संकट में है ही, क्षेत्रीय किसानों के कृषि उपज के संग्रहण मे भी व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। इस संबंध में कई बार विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों व जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया जा चुका है बावजूद इसके विभागीय लापरवाही और अपनी गलती न सुधारने की प्रवृत्ति के चलते समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
क्या है मामला
आदिम जाति सेवा सहकारी समिति छतवई लैंप छतवई को पिछले कई वर्षों से समर्थन मूल्य पर धान एवं गेहूं की खरीदी का केंद्र बनाया जाता रहा है। किसानों के हित में खाद बीज केसीसी सहित अन्य कार्य संपादित करने वाली आदिम जाति सेवा सहकारी समिति छतवई द्वारा वर्ष 2018 में 16476 क्विंटल धान की खरीदी की गई और लगभग 15356.80 कुंटल ऑनलाइन जमा भी करा दिया गया इसी बीच अचानक पोर्टल बंद हो गया जिसके कारण तकरीबन 1119.20 क्विंटल धान ऑनलाइन जमा नहीं हो सकी। पोर्टल बंद होने के कारण धान जमा होने में आए व्यवधान से परेशान समिति प्रबंधक द्वारा विभागीय अधिकारियों से अनुनय विनय कर ऑफलाइन धान जमा कराने का निवेदन किया गया लेकिन वह टालमटोल में लगे रहे। परेशान होकर समिति प्रबंधक द्वारा जिले के मुखिया से वस्तु स्थिति अवगत कराते हुए ऑफलाइन धान जमा कराए जाने का अनुरोध किया गया जिस पर जिला प्रशासन द्वारा संबंधित विभागीय अधिकारियों को ऑफलाइन धान जमा कराकर संबंधित किसानों को उनकी उपज की राशि का भुगतान करने के निर्देश जारी किए गए। विभाग द्वारा ऑफलाइन धान जमा कराने के बाद किसानों को राशि का भुगतान भी करा दिया गया लेकिन पोर्टल में ऑनलाइन धान जमा कराने की कार्यवाही पूर्ण नहीं की जिसके कारण खरीदी और जमा में अंतर दिखने लगा। आपूर्ति विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों से बार-बार अनुनय विनय किए जाने के बावजूद अपनी गलती में सुधार नहीं गया जिसके कारण हर वर्ष खरीफ और रबी फसल की खरीदी के दौरान छतवई समिति की खरीदी की पात्रता पर संकट मंडराने लगता है।
फिर वही तमाशा शुरू
वर्ष 2000 20 21 के रबी फसल की खरीदी हेतु किसानो के पंजीयन की कार्यवाही आरंभ हो चुकी है लेकिन आदिम जाति सेवा सहकारी समिति छतवई कोख में अपात्र कर दिया गया। आपूर्ति विभाग की लापरवाही के चलते वर्ष 2018 में धान खरीदी एवं जमा मैं ऑनलाइन दिखने वाला अंतर आदिम जाति सेवा सहकारी समिति और क्षेत्रीय किसानों के लिए नासूर बनकर रह गया है। हालांकि समिति प्रबंधक द्वारा हर बार विभाग जिला प्रशासन एवं भोपाल मुख्यालय के अधिकारियों को वस्तु स्थिति से अवगत कराने के बाद समिति का नाम पुनः पात्र समितियों में जोड़ दिया जाता है लेकिन हर बार पात्रता का खतरा मंडराने के चलते समिति के कर्ताधर्ता ओं और क्षेत्रीय किसानों को हर बार बेकसूर होने के बावजूद विभागीय लापरवाही का खामियाजा तो भुगतना ही पड़ता है।
जिले के मुखिया से गुहार
आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के सदस्य एवं गैर सदस्य क्षेत्रीय किसानों जिले के संवेदनशील कलेक्टर डॉ. सत्येंद्र सिंह से मांग की है कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को अपनी त्रुटि में सुधार करने के निर्देश जारी कर उक्त समिति एवं क्षेत्रीय किसानों को हर बार होने वाली समस्याओं से निजात दिलाएं
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