मैडम नहीं मैडम से कम, ट्रैफिक बनाम आरटीओ का सिस्टम
"आशुतोष भदौरिया के लंबे कार्यकाल के दौरान बिगड़ी शहडोल जिले की परिवहन व्यवस्था में व्यापक सुधार की संभावना बलवती हुई थी जब अनपा खान ने शहडोल के अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कार्यालय की कमान संभाली लेकिन नतीजा शून्य ही रहा और लोगों में यह कहावत बड़ी तेजी के साथ कही सुनी जाने लगी कि वही नागनाथ वही सांपनाथ, अधिकारी कोई भी आए व्यवस्था तो यूं ही चलती रहेगी। सुधरने के बजाय और भी ध्वस्त होते सिस्टम ने उन वाहन मालिकों, दलालों को अभयदान और स्वेच्छाचारिता की खुली छूट दे दी जो अमन की पनाह में आकर सेवा में सफल हुए। आलम यह है कि जिसने ली अमन की पनाह उसके सभी गुनाह माफ.... इसी फार्मूले पर अवैध, अमानक और जानलेवा बसों की आवाजाही बदस्तूर जारी है लेकिन कहते हैं कि सेर को सवा सेर मिल ही जाता है। हेलमेट के नाम पर सिर्फ दुपहिया वाहन चालकों के जी का जंजाल बनी ट्रैफिक वाली मैडम की वक्र दृष्टि पता नहीं कैसे विशालकाय वाहनों, बसों पर पड़ गई और परिवहन वाली मैडम के खेल का गुड़-गोबर हो गया। एक-दो बसें क्या पकड़ में आईं मैडम की कारगुजारियों का चिट्ठा ही खुलने लगा। ताजा मामला गंभीर लापरवाही का सामने आया है जबकि फेहरिश्त लंबी बताई जाती है। "
शहडोल। रीवा रोड पर यातायात टीम द्वारा बसों की चेकिंग की गई। इस दौरान दादू एंड संस की बस एमपी 17 पी 1248 को रोका गया। जांच के दौरान बस फिटनेस में फेल पाई गई। बस का इमरजेंसी एग्जिट विंडो भी खुल नहीं रहा था, जिसे ड्राइवर ने पाना (स्पैनर) की मदद से खोलने की कोशिश की। यह स्थिति यात्रियों की सुरक्षा के नाम पर गंभीर लापरवाही को दर्शाती है। मौके पर कार्रवाई करते हुए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पांच हजार का चालान बनाया गया।
इसी दौरान एक और बड़ा मामला सामने आया। कैपिटल बस क्रमांक एमपी 18 पी 0206, जिसे ब्यौहारी से प्रयागराज के लिए एक दिन का विशेष परमिट दिया गया था, वह नियमों का उल्लंघन करते हुए शहडोल बस स्टैंड से स्टेज कैरिज परमिट के रूप में संचालित की जा रही थी। बस में शहडोल से गोपारू, खानौधी, जयसिंहनगर तक जाने वाले यात्री बैठे हुए मिले, जबकि बस के पास इन मार्गों पर संचालित होने का परमिट नहीं था। बिना परमिट संचालन करते पाए जाने पर 10,हजार का चालान लगाया गया।
इन दोनों मामलों में कार्रवाई यातायात सूबेदार प्रियंका शर्मा द्वारा की गई। लगातार सामने आ रही इस तरह की लापरवाहियां इस ओर इशारा करती हैं कि बस मालिक सुरक्षा मानकों को दरकिनार कर मनमानी पर उतारू हैं। वहीं परिवहन विभाग की निगरानी को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि एक मैडम बहुत कर्तव्य निष्ठ और दूसरी मैडम अपनी ड्यूटी के प्रति लापरवाह हैं दोनों ही अपनी ड्यूटी बखूबी कर रही है बस अंदाज जुदा जुदा हैं। बसों के संचालन में नियमों की अनदेखी, कागजात और फिटनेस की उपेक्षा पर अचानक नजर फेरने वाली शर्मा मैडम ने कथित तौर पर अवैध रूप से संचालित बसों को अपने गिरफ्त में क्यों और कैसे लिया यह भी एक रहस्य हो सकता है क्योंकि अभी तक तो शहर की सीमा के बाहर किसी कोने में सिर्फ हेलमेट के नाम पर दुपहिया वाहनों तक ही अपनी ड्यूटी की सीमा समझने वाली मैडम शहर की यातायात व्यवस्था के प्रति भी गंभीर नहीं रही हैं। बहरहाल जो भी हो उन्होंने बसों की चेकिंग का साहसिक कदम उठाया और दूसरे विभाग की मैडम की पोल अपने आप खुलने लगी। बताया जाता है कि परिवहन विभाग की मैडम के अपने कानून कायदे हैं अपना अलग अघोषित दफ्तर भी चल रहा है और उस दफ्तर यानी अमन की पनाह बस मालिकों या अन्य वाहन चालको, या परिवहन विभाग की सेवा का लाभ लेने वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है।



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