गर्मी से सूख रहे कंठ, शहर में नजर नहीं आ रहे प्याऊ
" गर्मी और सूरज की तेज किरणें लोगों को झुलसा रही हैं। गर्मी से लोगों का बुरा हाल है और भीषण गर्मी के कारण घर से बाहर निकलते ही लोगों के कंठ सूखने लगते हैं। यह कोई पहली बार नहीं हुआ, हर साल होता ही है। इस बार अंतर यह है कि झुलसाती हुई गर्मी पर बेशरमी भारी पड़ रही है। हर साल तापमान बढ़ने के साथ ही न सिर्फ नगरीय निकाय बल्कि विभिन्न संगठनों द्वारा भी शहर के उन सभी स्थानों पर शीतल पेयजल की उपलब्धता के लिए पौंसरा यानी प्याऊ की व्यवस्था की जाती थी जहां लोगों का आना-जाना अधिक हो या भीड़भाड़ रहती हो लेकिन इस साल की गर्मी ने तो जैसे समाज सेवा का चश्मा धारण करने वाली आंखों का पानी ही सुखा दिया है। हम भले ही जलस्रोतों, जलसंरचनाओं के संरक्षण, संवर्धन और स्वच्छता के कितने भी प्रयास कर लें यदि गरीबों का गला तर नहीं होगा तो इंसानियत....। "
(अनिल द्विवेदी 7000295641)
शहडोल। गर्मी और सूरज की तेज किरणें लोगों को झुलसा रही हैं। गर्मी से लोगों का बुरा हाल है और भीषण गर्मी के कारण घर से बाहर निकलते ही लोगों के कंठ सूखने लगते हैं। घर से बाहर निकलने पर गर्मी के मार से बचने के लिए लोग शुद्ध पेयजल की तलाश करते हैं, लेकिन इस वर्ष गर्मी के मौसम में शहर में प्याऊ नजर नहीं आ रहे हैं। नगरपालिका हो या समाजसेवी संस्थाओं ने इस ओर अब तक पहल नहीं की है। जिससे लोगों को ठंडा पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है।
संभाग मुख्यालय होने के कारण रोजाना हजारों की संख्या में लोग जिला व संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से शहर में पहुंचते हैं। कुछ शासकीय कार्यालयों में अपने कामकाज को लेकर आते हैं, तो कुछ व्यवासयिक व व्यापारिक उद्देश्य से यहां पहुंचते हैं। महाविद्यालयीन परीक्षाओं के प्रारंभ होने के कारण बड़ी संख्या में छात्र भी इन दिनों जिला मुख्यालय में आ रहे हैं। दूसरी ओर गर्मी अपने चरम पर पहुंच गई और आसमान से आग बरस रही है, ऐसी स्थिति में गर्मी में घर से बाहर निकलते ही गला सूखने लगता और प्यास लगने लगती है। जिसके बाद लोग शुद्ध पेयजल की तलाश करने लगते हैं, जो शहडोल शहर में फिलहाल उपलब्ध नहीं है।
शहर में हर वर्ष गर्मी के दिनों में विभिन्न समाज सेवी संगठनों, सामाजिक संगठनों और नगरपालिका की ओर से प्याउ खोला जाता था। जिससे गर्मी में घर से बाहर आने वाले लोगों को शुद्ध पेयजल मिले सके। लेकिन इस वर्ष शहर में समाजसेवी संगठनों, सामाजिक संगठनाओं द्वारा (अपवादों को छोड़कर) प्याउ नहीं खोला गया है और न ही नगरपालिका और जिला प्रशासन इस ओर ध्यान दे रही है। पूरे शहर में केवल एक-दो स्थानों ही समाजसेवी संगठनों की ओर से प्याउ खोले गये हैं। इसके अलावा पूरे शहर में कही भी प्याउ नजर नहीं आता है।
शहर में कई स्थानों पर जरूरत
शहर पहुंचने पर लोगों को जब प्यास लगती है तो वे पानी ढूंढते हैं। जिला मुख्यालय में प्याऊ घर नहीं खुल सके हैं। प्रमुख चौराहों या आम स्थान पर भी ठंडे पानी के लिए प्याउ नहीं खोला गया है। समाजसेवा का दंभ भरने वाले सामाजिक संस्थाओं का भी अब तक इस ओर ध्यान नहीं गया है। हालांकि हर साल गर्मी में कई सामाजिक संस्थान इस काम में भागीदारी देती रही हैं, लेकिन भीषण गर्मी पड़ने के बाद भी इस साल अभी तक किसी ने पहल नहीं की है। शहर में गांधी चौक, बुढ़ार चौक, कलेक्टोरेट परिसर, नया बस स्टैंड, पुराना बस स्टैंड, जयस्तंभ चौक, पुराना गांधी चौक, रेलवे-स्टेशन, रेलवे फाटक चौक, डेवलपमेंट एरिया, घरौला मोहल्ला, सब्जी मंडी-गंज, लल्लू सिंह चौक, भूसा तिराहा, बाणगंगा तिराहा सहित अन्य कई सार्वजनिक स्थानों पर ठंडे पानी के प्याउ घर की आवश्यकता है। जिससे इस भीषण गर्मी में पानी पीने के लिए आम लोगों व राहगीरों को भटकना न पड़े और प्यासे लोगों को पानी मिल सके।
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