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मंगलवार, 12 मार्च 2024

सिस्टम सहकार का हो या सरकारी, रौंद रहे रेत के अवैध कारोबारी

 थाना-थाना रेत माफियाओं का ताना-बाना

 समूचे जिले में रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन जोर-जोर से जारी

" गौंड खनिज की श्रेणी में आने वाले रेत के खदानों की नीलामी शहडोल जिले में निर्धारित समय से लगभग तीन महीने की देरी से हो पाई, इस दौरान बड़े छोटे रेत माफियाओं ने जमकर रेत खदानों का अवैध रूप से दोहन किया और रेत के कारोबार से अच्छी खासी कमाई की। जनवरी के महीने में महाराष्ट्र की ठेकेदार कंपनी सहकार ग्लोबल लिमिटेड को खदानें आवंटित कर दिए जाने के बाद ठेकेदार कंपनी अभी तक अपनी खदानों में सही ढंग से कार्य भी शुरू नहीं कर पाई है लेकिन पूरे जिले में रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन जोर-जोर से जारी है। हालांकि ठेकेदार कंपनी सहकार ग्लोबल लिमिटेड द्वारा अपना सिस्टम जमाने का प्रयास किया जा रहा है सरकार के निर्देश पर शासन प्रशासन भी अवैध कारोबार पर नियंत्रण और वैध खदानों से कार्य आरंभ का सिस्टम बनाने में लगे हुए हैं लेकिन रेत माफिया का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि वह सिस्टम को रौंदने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिले का ऐसा कोई थाना क्षेत्र नहीं है जहां रेत माफिया का डंका नहीं बज रहा है। "
(अनिल द्विवेदी 7000295641)
शहडोल। जिले के सोन नदी सहित विभिन्न नदी नालों व रेत खदानों से रेत का अवैध खनन और परिवहन बड़े पैमाने पर जारी है। खनिज विभाग राजस्व एवं पुलिस विभाग द्वारा आए दिन जिले के विभिन्न स्थानों पर रेत का अवैध परिवहन करने वाले वाहनों की जप्ती की कार्यवाही इस बात का स्पष्ट प्रमाण है की रेत के अवैध कारोबार पर कारगर अंकुश नहीं लग सका है। आए दिन इस प्रकार की खबरें मिलती रही हैं कि अमुक थाना क्षेत्र में रेत का अवैध खनन एवं परिवहन किया जा रहा है जिसमें थाने में पदस्थ मैदानी कर्मचारियों की सहभागिता है। जब भी कोई वरिष्ठ अधिकारी भ्रमण पर निकलते हैं और रेत का परिवहन करने वाले वाहन दिख जाए तो उन पर कार्यवाही की जाती है लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के पीठ पीछे जो गोरख धंधा चल रहा है वह इन दिनों आम लोगों की जुबान पर छाया हुआ है।
सूत्रों की माने तो संभाग मुख्यालय सहित जिले का कोई भी ऐसा थाना क्षेत्र नहीं है जहां रेत के अवैध कारोबारी सक्रिय न हों और रात के अंधेरे में ही नहीं दिनदहाड़े रेत से भरी गाड़ियां पार ना हो रही हों। जानकारों का कहना है कि लगभग सभी थानों में कुछेक ऐसे कर्मचारी तैनात हैं जिनका अवैध कारोबारियों से न सिर्फ सीधा संपर्क है बल्कि कथित सेवा सुश्रूषा के बदले वह रेत माफियाओं के दो नंबर रेत की गाड़ियों को थाने की सीमा पार कराने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
हर गाड़ी का रेट फिक्स
जिला मुख्यालय में यह चर्चा आम है कि जिले के थाना क्षेत्रों में चल रहे रेत के अवैध कारोबार को थाना पुलिस कर्मचारियों द्वारा कथित तौर पर संरक्षण दिया जा रहा है और बदले में हर गाड़ी का रेट फिक्स कर थाना में पदस्थ अमले की कथित तौर पर सेवा की जा रही है। इतना ही नहीं यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि थानों में तैनात सेटिंग बाज कर्मचारियों को कहीं ना कहीं थाना प्रभारी का भी वरद हस्त प्राप्त है और इस वरद हस्त के एवज में थाना प्रभारी की बिना कुछ किये ही सेवा हो जाती है।
साख पर लग रहा बट्टा
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डीसी सागर एवं पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक जैसे कर्तव्य निश्चित अधिकारियों के होते हुए थानों में तैनात सेटिंग बाज कर्मचारियों की गतिविधियां कहीं ना कहीं विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की साख पर बट्टा लगाने का कार्य कर रही हैं हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा समय-समय पर अधीनस्थ अमले को कर्तव्य बोध जरूर कराया जाता है लेकिन कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जो वर्षों से यही करते आ रहे हैं और तमाम कोशिशें के बाद भी उनकी गतिविधियां नहीं सुधार पा रही हैं।
जानकर भी अनजान 
किस थाना क्षेत्र में कौन-कौन व्यक्ति रेत के अवैध कारोबार में शामिल है किनकी गाड़ियां रेत का अवैध परिवहन कर रही है यह सब कुछ थाना पुलिस से छिपा हुआ नहीं है बावजूद इसके रेत का अवैध कारोबार जारी रहना पुलिस एवं जिला जिला प्रशासन की छवि को प्रभावित करता है। यदि यही आलम रहा तो न सिर्फ पुलिस विभाग की साख खतरे में पड़ जाएगी बल्कि सारा सिस्टम चाहे वह सहकार ग्लोबल लिमिटेड नामक रेत ठेकेदार कंपनी का बनाया हुआ हो अथवा सरकार का रेत माफिया उसे ध्वस्त कर डालेंगे और खामियां जा शासन प्रशासन हुआ जिले की जनता को भुगतना पड़ेगा।
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