सख्ती नहीं बरती श्रीमान, तो सच में चली जाएगी जान
शराब दुकान ठेकेदार के गुर्गों ने फिर की मारपीट, वीडियो वायरलकार्यवाही से बचने के लिए रंगदारी वसूली का फैलाया जा रहा प्रपंच
विभागीय अधिकारी और अमले की नहीं टूट रही नींद, हो सकता है कोई हादसा
"ऋग्वेद के अनुसार ब्रम्हा के नाती कश्यप ऋषि सप्त ऋषियों में प्रधान थे और उनकी संतान दैत्य-दानव समाज में अन्याय, आतंक और अत्याचार का पर्याय बन कर लोगों की जिंदगी और सुख-चैन के दुश्मन साबित होते थे। मौजूदा समय में शहडोल जिले में भी दो जिस्म एक जान टाइप के कश्यप ऋषि और उनके संतानों की उपस्थिति का अहसास होने लगा है। मदिरा के नाम पर आए दिन हो रही मारपीट, अवैध कारोबार और पैकारियों के जाल ने शहडोल शहर व जिले में कश्यप-ऋषि की प्रभुता का लोहा मनवा दिया है। जिले के जैतपुर में शराब ठेकेदार के गुर्गों द्वारा ग्राहक के साथ मारपीट का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि संभाग मुख्यालय स्थित शराब दुकान में कार्यरत कथित गुर्गों द्वारा ग्राहक की पिटाई का मामला सुर्खियों में है जिसका वीडियो वायरल होने के साथ ही आबकारी विभाग के अधिकारियों के कर्तव्य और निष्ठा पर सवालिया निशान लग रहे हैं। इसके अलावा शराब ठेकेदारों पर कार्रवाई के संबंध में आबकारी अधिकारी की वह शर्त भी पूरी होने की आशंका बलवती हो उठी है जिसके मुताबिक जनहानि होना जरूरी है। "
(अनिल द्विवेदी 7000295641)
शहडोल। बीती रात्रि सम्भाग मुख्यालय के कल्याणपुर रोड में अंडर ब्रिज के पास स्थित मदिरा दुकान के सामने कुछ लोगों द्वार एक व्यक्ति को बेरहामी के साथ पाइप, लाठी, हाकी आदि के साथ ही लात-घूसों से पीटे जाने का वीडियो वायरल हुआ जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। वीडियो वायरल करने वालों का दावा है कि उक्त वीडियो में शराब दुकान में कार्यरत ठेकेदार के तथाकथित गुर्गों द्वारा उस ग्राहक के साथ मारपीट की गई है जो प्रिंट रेट से अधिक दाम पर शराब बेचे जाने का विरोध करते हुए प्रिंट रेट पर ही शराब की मांग कर रहा था। ऐसी ही एक घटना बीते सप्ताह जैतपुर तहसील मुख्यालय की शराब दुकान के सामने भी हो चुकी है जो आबकारी विभाग और उसके ठेकेदारों की मनमानी और आतंक पूर्ण गतिविधियों को प्रमाणित करती है।
हाथी का दांत बना विभाग
शहडोल जिले में देसी विदेशी मदिरा दुकानों का संचालन कर रहे लाइसेंसी ठेकेदार और उनके कथित गुर्गों की गुंडागर्दी और मनमानी जैसी गतिविधियां लगातार बढ़ती ही जा रहे हैं। अवैध शराब बिक्री और पैकारियों का जाल तो पुरानी बात हो चुकी है, अब एक्सपायरी डेट की शराब भी सरे आम लाइसेंसी दुकानों से परोसी जाने लगी है। इस मामले की शिकायत जब विभागीय अधिकारी के पास पहुंची और उनसे जानकारी चाही गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास किया कि जब जनहानि होगी तब ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। ऐसा लगता है कि आबकारी अधिकारी कि यह मंशा शीघ्र ही पूरी होने वाली है। जिस प्रकार शराब दुकान में कार्यरत कथित गुर्गों द्वारा ग्राहकों के साथ मारपीट और अभद्रता का व्यवहार किया जा रहा है उसे देखते हुए वह दिन दूर नजर नहीं आता जब जन हानि की स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है। जनहानि होने पर आबकारी अधिकारी कार्यवाही तो जरूर करेंगे लेकिन पता नहीं किसका घर और परिवार उजड़ चुका होगा। ऐसा इसलिए माना जा सकता है क्योंकि आबकारी विभाग हाथी के उस दांत की भूमिका निभा रहा है जो दिखाने के ही काम आ सकता है खाने के नहीं। क्या आबकारी विभाग के भारी भरकम अमले की तैनाती शहडोल जिले में सिर्फ ठेकेदारों और अवैध कारोबारियों से सुविधा शुल्क वसूलने और उनकी जी हजूरी करने मात्र के लिए की गई है? यह सवाल आम जुबान पर है।
शहडोल जिले में देसी विदेशी मदिरा दुकानों का संचालन कर रहे लाइसेंसी ठेकेदार और उनके कथित गुर्गों की गुंडागर्दी और मनमानी जैसी गतिविधियां लगातार बढ़ती ही जा रहे हैं। अवैध शराब बिक्री और पैकारियों का जाल तो पुरानी बात हो चुकी है, अब एक्सपायरी डेट की शराब भी सरे आम लाइसेंसी दुकानों से परोसी जाने लगी है। इस मामले की शिकायत जब विभागीय अधिकारी के पास पहुंची और उनसे जानकारी चाही गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास किया कि जब जनहानि होगी तब ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। ऐसा लगता है कि आबकारी अधिकारी कि यह मंशा शीघ्र ही पूरी होने वाली है। जिस प्रकार शराब दुकान में कार्यरत कथित गुर्गों द्वारा ग्राहकों के साथ मारपीट और अभद्रता का व्यवहार किया जा रहा है उसे देखते हुए वह दिन दूर नजर नहीं आता जब जन हानि की स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है। जनहानि होने पर आबकारी अधिकारी कार्यवाही तो जरूर करेंगे लेकिन पता नहीं किसका घर और परिवार उजड़ चुका होगा। ऐसा इसलिए माना जा सकता है क्योंकि आबकारी विभाग हाथी के उस दांत की भूमिका निभा रहा है जो दिखाने के ही काम आ सकता है खाने के नहीं। क्या आबकारी विभाग के भारी भरकम अमले की तैनाती शहडोल जिले में सिर्फ ठेकेदारों और अवैध कारोबारियों से सुविधा शुल्क वसूलने और उनकी जी हजूरी करने मात्र के लिए की गई है? यह सवाल आम जुबान पर है।
क्यों नहीं हुई रिपोर्ट
कल्याणपुर रोड स्थित शराब दुकान के पास बीती रात्रि हुई मारपीट की वारदात के संबंध में पीड़ित पक्ष द्वारा शहडोल कोतवाली में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है जिसके कारण पुलिस द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही में स्वयं को असमर्थ बताया जा रहा है। रिपोर्ट के अभाव में कार्यवाही के प्रति असमर्थता की बात तो कुछ हद तक समझ में आती भी है लेकिन सवाल यह उठता है कि सरे आम मारपीट का शिकार हुए कथित ग्राहक जो प्रिंट रेट पर शराब की मांग कर रहा था उसके द्वारा थाने में रिपोर्ट क्यों नहीं लिखाई गई। कहीं ऐसा तो नहीं है कि मारपीट की घटना के बाद वीडियो वायरल होने की स्थिति में ठेकेदार और उनके गुर्गों द्वारा पीड़ित व्यक्ति को रात के अंधेरे में बहला फुसला लिया गया अथवा उसे इस कदर मजबूर कर दिया गया कि वह यदि रिपोर्ट करता है तो किसी बड़ी हानि का सामना करना पड़ सकता है। सामान्य से विवाद पर भी थाने में रिपोर्ट लिखने की की आम प्रवृत्ति होने के बावजूद पीड़ित द्वारा रिपोर्ट का न लिखाया जाना अनेक शंकाओं को जन्म देता है, उनमें से एक यह भी है कि शराब ठेकेदार द्वारा जिस प्रकार यह प्रचारित किया जा रहा है कि उक्त व्यक्ति रंगदारी वसूलने आया था कहीं उनकी बात तो सच नहीं है? वजह जो भी हो क्योंकि वायरल वीडियो, घटना की पुष्टि करता है इसलिए पुलिस को अज्ञात व्यक्ति के नाम पर भी रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही करनी चाहिए थी जैसा कि अन्य किसी मामले में होता है।
पुलिस वेरीफिकेशन नहीं
लाइसेंसी शराब दुकानों में कथित तौर पर गुंडे पाले जाने की बात सामान्य रूप से चर्चा में रही है। इन दुकानों में आमतौर पर बाहरी व्यक्ति ही कार्य करते देखे जाते हैं। इन बाहरी व्यक्तियों या तत्वों में से कौन देश या प्रदेश के किस हिस्से से आया है वहां उसका पुलिस रिकॉर्ड क्या था, कहीं ऐसा तो नहीं कि वह कोई अपराध करके आया हो और यहां समय व्यतीत कर रहा हो, स्थानीय पुलिस थाने में क्या उनकी जानकारी दी गई है यदि नहीं दी गई है तो पुलिस इस मामले में मौन क्यों है। क्या बाहर से आया कोई व्यक्ति जब कोई बड़ी वारदात करेगा या किसी प्रकार की जनधन हानि का कारण बनेगा तब पुलिस या आबकारी विभाग की आंख खुलेगी? ऐसी बहुत सी फर्म और कंपनियां शहर सहित जिले में कार्यरत हैं जहां बड़े पैमाने पर बाहरी व्यक्ति कार्यरत हैं उनके बारे में संबंधित फर्म या कंपनी द्वारा पुलिस को कभी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती है। जब कोई वारदात हो जाती है या किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया जाता है तब उसका ठीकरा पुलिस के सर पर फोड़ने से भी लोग पीछे नहीं हटते हैं। जिले के शराब दुकानों में कार्यरत बाहरी तत्वों की भी जांच पड़ताल और उनके पुराने रिकॉर्ड को खंगाला जाना जरूरी है अन्यथा जिले में कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है, या किसी की जान भी जा सकती है।
अवैध कारोबार को छूट
आबकारी विभाग द्वारा लाइसेंसी ठेकेदारों को एक दुकान के संचालन का लाइसेंस जारी किया जाता है लेकिन उक्त ठेकेदार विभागीय अधिकारी और अमले की कथित सेवा के बल पर पूरे शहर और शहर से लगे ग्रामीण अंचलों तक उक्त शराब का अवैध कारोबार डंके की चोट पर करता है। संभाग मुख्यालय के समीपवर्ती गांवों ही नहीं जिले के किसी भी गांव, यहां तक कि दूरांचल में भी अगर कोई व्यक्ति चाहे तो उसे बड़ी सहजता के साथ देसी विदेशी शराब उपलब्ध हो जाती है। आखिर यह शराब आती कहां से है? जाहिर है कि एक दुकान का ठेका लेकर पूरे जिले में शराब का साम्राज्य फैलाने वाले इन शराब ठेकेदारों को आबकारी विभाग का खुला संरक्षण प्राप्त हो रहा है। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी परिवारों द्वारा बनाए जाने वाली कच्ची शराब के अलावा विभागीय अमल को कभी भी शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में देसी या विदेशी शराब की मौजूदगी का एहसास भी नहीं हो पता है जबकि जिले का प्रत्येक व्यक्ति यह जानता है कि कहां-कहां किसकी शराब बिक रही है कौन गाड़ियों में देसी विदेशी बधिरा के खेत पहुंचना है और वसूली करता है यदि किसी को पता नहीं है तो वह सिर्फ आबकारी विभाग है। लोगों का मानना है कि जिसका नमक खाओ उसका बजाना भी जरूरी है लेकिन इतना भी अंधभक्त नहीं होना चाहिए कि अपना मूल कर्तव्य और जिम्मेदारी ही भूल जाएं।
कल्याणपुर रोड स्थित शराब दुकान के पास बीती रात्रि हुई मारपीट की वारदात के संबंध में पीड़ित पक्ष द्वारा शहडोल कोतवाली में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है जिसके कारण पुलिस द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही में स्वयं को असमर्थ बताया जा रहा है। रिपोर्ट के अभाव में कार्यवाही के प्रति असमर्थता की बात तो कुछ हद तक समझ में आती भी है लेकिन सवाल यह उठता है कि सरे आम मारपीट का शिकार हुए कथित ग्राहक जो प्रिंट रेट पर शराब की मांग कर रहा था उसके द्वारा थाने में रिपोर्ट क्यों नहीं लिखाई गई। कहीं ऐसा तो नहीं है कि मारपीट की घटना के बाद वीडियो वायरल होने की स्थिति में ठेकेदार और उनके गुर्गों द्वारा पीड़ित व्यक्ति को रात के अंधेरे में बहला फुसला लिया गया अथवा उसे इस कदर मजबूर कर दिया गया कि वह यदि रिपोर्ट करता है तो किसी बड़ी हानि का सामना करना पड़ सकता है। सामान्य से विवाद पर भी थाने में रिपोर्ट लिखने की की आम प्रवृत्ति होने के बावजूद पीड़ित द्वारा रिपोर्ट का न लिखाया जाना अनेक शंकाओं को जन्म देता है, उनमें से एक यह भी है कि शराब ठेकेदार द्वारा जिस प्रकार यह प्रचारित किया जा रहा है कि उक्त व्यक्ति रंगदारी वसूलने आया था कहीं उनकी बात तो सच नहीं है? वजह जो भी हो क्योंकि वायरल वीडियो, घटना की पुष्टि करता है इसलिए पुलिस को अज्ञात व्यक्ति के नाम पर भी रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही करनी चाहिए थी जैसा कि अन्य किसी मामले में होता है।
पुलिस वेरीफिकेशन नहीं
लाइसेंसी शराब दुकानों में कथित तौर पर गुंडे पाले जाने की बात सामान्य रूप से चर्चा में रही है। इन दुकानों में आमतौर पर बाहरी व्यक्ति ही कार्य करते देखे जाते हैं। इन बाहरी व्यक्तियों या तत्वों में से कौन देश या प्रदेश के किस हिस्से से आया है वहां उसका पुलिस रिकॉर्ड क्या था, कहीं ऐसा तो नहीं कि वह कोई अपराध करके आया हो और यहां समय व्यतीत कर रहा हो, स्थानीय पुलिस थाने में क्या उनकी जानकारी दी गई है यदि नहीं दी गई है तो पुलिस इस मामले में मौन क्यों है। क्या बाहर से आया कोई व्यक्ति जब कोई बड़ी वारदात करेगा या किसी प्रकार की जनधन हानि का कारण बनेगा तब पुलिस या आबकारी विभाग की आंख खुलेगी? ऐसी बहुत सी फर्म और कंपनियां शहर सहित जिले में कार्यरत हैं जहां बड़े पैमाने पर बाहरी व्यक्ति कार्यरत हैं उनके बारे में संबंधित फर्म या कंपनी द्वारा पुलिस को कभी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती है। जब कोई वारदात हो जाती है या किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया जाता है तब उसका ठीकरा पुलिस के सर पर फोड़ने से भी लोग पीछे नहीं हटते हैं। जिले के शराब दुकानों में कार्यरत बाहरी तत्वों की भी जांच पड़ताल और उनके पुराने रिकॉर्ड को खंगाला जाना जरूरी है अन्यथा जिले में कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है, या किसी की जान भी जा सकती है।
अवैध कारोबार को छूट
आबकारी विभाग द्वारा लाइसेंसी ठेकेदारों को एक दुकान के संचालन का लाइसेंस जारी किया जाता है लेकिन उक्त ठेकेदार विभागीय अधिकारी और अमले की कथित सेवा के बल पर पूरे शहर और शहर से लगे ग्रामीण अंचलों तक उक्त शराब का अवैध कारोबार डंके की चोट पर करता है। संभाग मुख्यालय के समीपवर्ती गांवों ही नहीं जिले के किसी भी गांव, यहां तक कि दूरांचल में भी अगर कोई व्यक्ति चाहे तो उसे बड़ी सहजता के साथ देसी विदेशी शराब उपलब्ध हो जाती है। आखिर यह शराब आती कहां से है? जाहिर है कि एक दुकान का ठेका लेकर पूरे जिले में शराब का साम्राज्य फैलाने वाले इन शराब ठेकेदारों को आबकारी विभाग का खुला संरक्षण प्राप्त हो रहा है। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी परिवारों द्वारा बनाए जाने वाली कच्ची शराब के अलावा विभागीय अमल को कभी भी शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में देसी या विदेशी शराब की मौजूदगी का एहसास भी नहीं हो पता है जबकि जिले का प्रत्येक व्यक्ति यह जानता है कि कहां-कहां किसकी शराब बिक रही है कौन गाड़ियों में देसी विदेशी बधिरा के खेत पहुंचना है और वसूली करता है यदि किसी को पता नहीं है तो वह सिर्फ आबकारी विभाग है। लोगों का मानना है कि जिसका नमक खाओ उसका बजाना भी जरूरी है लेकिन इतना भी अंधभक्त नहीं होना चाहिए कि अपना मूल कर्तव्य और जिम्मेदारी ही भूल जाएं।
रंगदारी वसूली का प्रपंच
संभाग मुख्यालय में शराब ठेकेदार के गुर्गों द्वारा ग्राहक के साथ मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद दूसरे दिन रविवार को ठेकेदार द्वारा कुछ खास व्यक्तियों एवं मीडिया के साथियों को विश्वास में लेकर यह प्रचारित करने का प्रयास शुरू किया गया कि उक्त व्यक्ति कल्याणपुर मार्ग स्थित शराब दुकान में रंगदारी वसूलने के लिए आया था और उसने विक्रय कर्ता को खिड़की से हाथ पकड़ कर बाहर खींचने की कोशिश की तब उसके साथ मारपीट की गई। सवाल यह उठता है कि क्या कोई व्यक्ति अकेले दम पर लूट अथवा रंगदारी वसूलने की वारदात को अंजाम दे सकता है, दूसरी बात यह कि यदि उक्त व्यक्ति अथवा उसके कथित साथी रंगदारी वसूलने के लिए आए थे तो उन्हें मारपीट कर भाग क्यों दिया गया, क्यों नहीं पुलिस के हवाले किया गया? जब अपनी पोल खुल गई तो मामले पर लीपापोती करने के लिए कथित तौर पर झूठी कहानी गढ़ने का औचित्य क्या है। शराब ठेकेदार द्वारा या उनके गुर्गों द्वारा इस प्रकार की कहानी बनाकर विभाग, शासन, प्रशासन और जिले के लोगों को गुमराह करने का प्रयास नहीं तो और क्या किया जा रहा है?
हस्तक्षेप आवश्यक
आबकारी अधीक्षक सतीश कश्यप के कार्यकाल में जिस प्रकार ठेकेदार और उनके कथित गुर्गों की गतिविधियां असंयमित और असंतुलित हो रही है उसे देखते हुए जिला व पुलिस प्रशासन का हस्तक्षेप अब आवश्यक हो गया है। शराब ठेकेदारों और उनके कथित कर्मचारी अथवा गुर्गों की गतिविधियों पर यदि समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया तो निकट भविष्य में किसी बड़ी वारदात की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। जिला व संभाग के पुलिस व प्रशासनिक मुखिया कहे जाने वाले वरिष्ठ अधिकारियों से जिला वासियों को यह अपेक्षा है कि मामले को संज्ञान में लेते हुए आबकारी विभाग और उसके ठेकेदारों को जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करने और नियम की धज्जियां उड़ाने से रोकने की हिदायत दी जाए साथ ही जिले के बाहर से आकर कार्य कर रहे व्यक्तियों के पुलिस वेरीफिकेशन पर जोर दिया जाना भी नितांत आवश्यक है।
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संभाग मुख्यालय में शराब ठेकेदार के गुर्गों द्वारा ग्राहक के साथ मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद दूसरे दिन रविवार को ठेकेदार द्वारा कुछ खास व्यक्तियों एवं मीडिया के साथियों को विश्वास में लेकर यह प्रचारित करने का प्रयास शुरू किया गया कि उक्त व्यक्ति कल्याणपुर मार्ग स्थित शराब दुकान में रंगदारी वसूलने के लिए आया था और उसने विक्रय कर्ता को खिड़की से हाथ पकड़ कर बाहर खींचने की कोशिश की तब उसके साथ मारपीट की गई। सवाल यह उठता है कि क्या कोई व्यक्ति अकेले दम पर लूट अथवा रंगदारी वसूलने की वारदात को अंजाम दे सकता है, दूसरी बात यह कि यदि उक्त व्यक्ति अथवा उसके कथित साथी रंगदारी वसूलने के लिए आए थे तो उन्हें मारपीट कर भाग क्यों दिया गया, क्यों नहीं पुलिस के हवाले किया गया? जब अपनी पोल खुल गई तो मामले पर लीपापोती करने के लिए कथित तौर पर झूठी कहानी गढ़ने का औचित्य क्या है। शराब ठेकेदार द्वारा या उनके गुर्गों द्वारा इस प्रकार की कहानी बनाकर विभाग, शासन, प्रशासन और जिले के लोगों को गुमराह करने का प्रयास नहीं तो और क्या किया जा रहा है?
हस्तक्षेप आवश्यक
आबकारी अधीक्षक सतीश कश्यप के कार्यकाल में जिस प्रकार ठेकेदार और उनके कथित गुर्गों की गतिविधियां असंयमित और असंतुलित हो रही है उसे देखते हुए जिला व पुलिस प्रशासन का हस्तक्षेप अब आवश्यक हो गया है। शराब ठेकेदारों और उनके कथित कर्मचारी अथवा गुर्गों की गतिविधियों पर यदि समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया तो निकट भविष्य में किसी बड़ी वारदात की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। जिला व संभाग के पुलिस व प्रशासनिक मुखिया कहे जाने वाले वरिष्ठ अधिकारियों से जिला वासियों को यह अपेक्षा है कि मामले को संज्ञान में लेते हुए आबकारी विभाग और उसके ठेकेदारों को जिम्मेदारी पूर्वक कार्य करने और नियम की धज्जियां उड़ाने से रोकने की हिदायत दी जाए साथ ही जिले के बाहर से आकर कार्य कर रहे व्यक्तियों के पुलिस वेरीफिकेशन पर जोर दिया जाना भी नितांत आवश्यक है।
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