प्रबंधन की लापरवाही बनी मौत का कारण
परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप,
क्या प्रबंधन पर दर्ज होगा मौत का मामला ?
"रामपुर कोयला खदान में मनोहर पाव नामक मजदूर की ट्रक के नीचे आकर कुचल जाने से दर्दनाक मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने जहां एक ओर हत्या का आरोप लगाया है तो वहीं दूसरी ओर इस घटना ने कई सवालों को जन्म दिया है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि मनोहर पाव खदान में पहुंच कैसे, क्या वह एसईसीएल का कर्मचारी है यदि नहीं तो उसे किसने प्रवेश दिया? दूसरा सवाल यह कि अनधिकृत रूप से कोयले की छंटाई और लोडिंग करने के लिए मजदूरों को खदान में लाने और उन्हें प्रवेश देने वाले कालरी के टेक्निकल इंस्पेक्टर, खान प्रबंधक और उपक्षेत्रीय प्रबंधक क्या इस दर्दनाक मौत के जिम्मेदार नहीं है? नियम तो यह कहता है कि यदि खदान के अंदर किसी भी व्यक्ति की मौत होती है तो इसका जिम्मेदार कॉलरी प्रबंधन ही होगा, वजह यह है कि एसईसीएल के कर्मचारियों के अलावा अन्य किसी को खदान के भीतर प्रवेश की अनुमति ही नहीं है। ऐसे हालत में बाहरी व्यक्ति का वहां होना यह दर्शाता है कि इसमें स्थानीय कलारी प्रबंधन की सांठ गांठ है और अवैध कमाई के उद्देश्य से अनधिकृत तौर पर निजी मजदूरों का दुरुपयोग किया जाता रहा है। यदि यह सच है तो तकनीकी निरीक्षक, खान प्रबंधक और उप क्षेत्रीय प्रबंधक को इस घटना का सबसे बड़ा जिम्मेदार माना जाना चाहिए और उनके खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।"
अनिल द्विवेदी (7000295641)
शहडोल। एसईसीएल सोहागपुर कोयलांचल के मेगा प्रोजेक्ट के रूप में ख्यातिलब्ध रामपुर खुली खदान में शुक्रवार को मनोहर पाव नामक एक मजदूर की ट्रक की चपेट में आ जाने से कुचल कर दर्दनाक मौत हो गई। मनोहर की मौत पर जहां मृतक के परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया है वहीं दूसरी ओर तरह-तरह की चर्चाएं भी व्याप्त हैं। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कलारी प्रबंधन की भूमिका और उसकी चुप्पी को लेकर तरह तरह के सवाल भी दागे जा रहे हैं और सही मायने में देखा जाए तो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष तौर पर इस हादसे के लिए काॅलरी प्रबंधन के अधिकारी कर्मचारियों को ही जिम्मेदार माना जा रहा है,और अब यह मांग भी की जाने लगी है कि मृतक के परिजनों को मुआवजा और एक व्यक्ति को कालरी में नौकरी दी जानी चाहिए।
क्या है मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार अनूपपुर जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम भोलगढ़ निवासी मनोहर पाव रोजाना की भांति गुरुवार की रात्रि भी ट्रकों में कोयला लोड करने के लिए मजदूरी करने रामपुर खदान गया था,जहां कोयला की छंटाई और लोडिंग करते समय अचानक ट्रक चल पड़ा और वह ट्रक की चपेट में आ गया,जिससे उसके शरीर का अधिकांश हिस्सा ट्रक के पहिए के नीचे दबकर कुचल गया। मनोहर पाव के ट्रक से कुचल जाने की जानकारी मिलते ही वहां मौजूद मजदूर एवं अन्य लोगों ने एंबुलेंस को फोन किया और तत्काल उसे एंबुलेंस में जिला अस्पताल अनूपपुर ले जाया गया, जहां उसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। शुक्रवार की सुबह मृतक के परिजनों ने कोतवाली थाना अनूपपुर पहुंच कर हत्या की सूचना देते हुए रपट दिखाई जिसकी पुलिस द्वारा जांच की जा रही है।अनूपपुर कोतवाली पुलिस द्वारा शव का पंचनामा और पोस्टमार्टम करने के बाद मृतक के परिजनों को सौंप दिया गया है और यह बताया जा रहा है कि मामले की जांच की जा रही है।
लालच की बलि चढ़ा मनोहर
जानकार सूत्रों की माने तो मनोहर पाव की मौत हालांकि ट्रक की चपेट में आने से हुई है, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह कोयला खदान के अधिकारी कर्मचारियों के लालच और अवैध कारनामों की भेंट चढ़ गया। बताया जाता है कि खदान के अंदर कोयला परिवहन करने वाले वाहनों में लोडिंग की व्यवस्था कालरी प्रबंधन द्वारा की जाती है और इसके शुल्क की वसूली कोयले के डीओ के साथ ही कर ली जाती है,लेकिन मैदानी हकीकत यह है कि स्थानीय स्तर पर टेक्निकल इंस्पेक्टर, खान प्रबंधक एवं उप क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा स्थानीय मजदूरों को बुलाकर कोयले की छंटनी और लोडिंग कराई जाती है। इसके एवज मेंकोयले की खरीदी करने वाले फर्म से एक हजार रुपये प्रति तन की वसूली की जाती है। गांव से भोले भाले निरीह मजदूरों को अवैध तौर पर बुलाकर और खदान के भीतर प्रवेश देकर उनसे कोयले की छंटनी कराई जाती है और ट्रैकों में कोयला लोड करवाया जाता है। इसके बदले में इन मजदूरों को प्रति ट्रक कोयले की लोडिंग पर 300 रुपये काभुगतान किए जाने की चर्चा है।
यह चल रहा गोरख धंधा
आरोपित तो यह भी किया गया है कि टेक्निकल इंस्पेक्टरों द्वारा खदान के भीतर कोयले की छंटाई के नाम पर ट्रक वालों से या कोयले के खरीददार फर्म से अलग से पैसा लिया जाता है और सामान्य से कहीं अधिक उच्च क्वालिटी का कोयला छांट कर ट्रकों में लोड करवाया जाता है। उच्च क्वालिटी का कोयला मुहैया कराने के नाम पर उनसे 1000 रुपये प्रति टन की वसूली कर टेक्निकल इंस्पेक्टर द्वारा खान प्रबंधक एवं उप क्षेत्रीय प्रबंधक जैसे अधिकारियों को उपकृत किया जाता है, साथ ही प्रतिदिनहजारों लाखों रुपए की अवैध कमाई की जाती है। इस अवैध कमाई के लालच में ग्रामीण मजदूरों का उपयोग बिना किसी सुरक्षा उपाय के किया जाता है जिसका खामियाजा मनोहर पाव जैसे लोगों को आए दिन भुगतना पड़ता है।
नियम तो यह है
जानकार सूत्रों की माने तो एसईसीएल द्वारा जो प्रावधान किए गए हैं उनके तहत कोयला खदानों में एसईसीएल के कर्मचारी के अलावा बिना अनुमति के किसी भी व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जा सकता है। जहां तक ट्रकों में कोयला लोडिंग का सवाल है एसईसीएल द्वारा कोयला खरीदने वाली कंपनियों और फर्मो से डीओ के साथ ही लोडिंग का शुल्क भी वसूल लिया जाता है, और उसके बाद ट्रकों में कोयले के लोडिंग की जिम्मेदारी एसईसीएल यानी कालरी प्रबंधन की हो जाती है जिसका कार्य कालरी मैनेजमेंट द्वारा मशीनों के माध्यम से किया जाता है।बावजूद इसके अंधाधुंध अवैध कमाई के चक्कर में टेक्निकल इंस्पेक्टर एवं उनके कुछ सहयोगी कर्मचारी जिसमें कांटा बाबू भी शामिल होता है, स्थानीय गरीब, ग्रामीण मजदूरों को न्यूनतम से भी नीचे की मजदूरी में बुलाकर कोयले की छंटाई और लोडिंग का कार्य कराया जाता है। इसके बदले में वह कोयला खरीदने वाली फर्म से अच्छी खासी अवैध वसूली करते हैं और नाम मात्र की राशि मजदूरों को देकर वरिष्ठ अधिकारियों को कुछ हद तक उपकृत करते हुए सारी कमाई टेक्निकल इंस्पेक्टर निगल जाता है। नियमों का पालन न होने के कारण ही इस प्रकार के हादसों का सामना कर्ली प्रबंधन को करना पड़ रहा है।
मुआवजा नौकरी की मांग
रामपुर खुली खदान में कालरी प्रबंधन की कथित लापरवाही के कारण मौत का शिकार हुए मनोहर लाल पाव के परिजनों के साथ ही क्षेत्रीय ग्रामीणों ने यह मांग की है कि इस घटना के लिए जिम्मेदारी तय की जाए। परिजनों की मांग है कि नियम विरुद्ध खदान में प्रवेश देकर कार्य कराने वाले तकनीकी निरीक्षक खान प्रबंधकऔर उप क्षेत्रीय प्रबंधक को इस घटना का दोषी मानते हुए उनके विरुद्धअपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए और पीड़ित परिवार को मुआवजातथा कालरी में नौकरी एसईसीएल प्रबंधन द्वारा दी जाए।
**************
शहडोल। एसईसीएल सोहागपुर कोयलांचल के मेगा प्रोजेक्ट के रूप में ख्यातिलब्ध रामपुर खुली खदान में शुक्रवार को मनोहर पाव नामक एक मजदूर की ट्रक की चपेट में आ जाने से कुचल कर दर्दनाक मौत हो गई। मनोहर की मौत पर जहां मृतक के परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया है वहीं दूसरी ओर तरह-तरह की चर्चाएं भी व्याप्त हैं। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कलारी प्रबंधन की भूमिका और उसकी चुप्पी को लेकर तरह तरह के सवाल भी दागे जा रहे हैं और सही मायने में देखा जाए तो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष तौर पर इस हादसे के लिए काॅलरी प्रबंधन के अधिकारी कर्मचारियों को ही जिम्मेदार माना जा रहा है,और अब यह मांग भी की जाने लगी है कि मृतक के परिजनों को मुआवजा और एक व्यक्ति को कालरी में नौकरी दी जानी चाहिए।
क्या है मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार अनूपपुर जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम भोलगढ़ निवासी मनोहर पाव रोजाना की भांति गुरुवार की रात्रि भी ट्रकों में कोयला लोड करने के लिए मजदूरी करने रामपुर खदान गया था,जहां कोयला की छंटाई और लोडिंग करते समय अचानक ट्रक चल पड़ा और वह ट्रक की चपेट में आ गया,जिससे उसके शरीर का अधिकांश हिस्सा ट्रक के पहिए के नीचे दबकर कुचल गया। मनोहर पाव के ट्रक से कुचल जाने की जानकारी मिलते ही वहां मौजूद मजदूर एवं अन्य लोगों ने एंबुलेंस को फोन किया और तत्काल उसे एंबुलेंस में जिला अस्पताल अनूपपुर ले जाया गया, जहां उसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। शुक्रवार की सुबह मृतक के परिजनों ने कोतवाली थाना अनूपपुर पहुंच कर हत्या की सूचना देते हुए रपट दिखाई जिसकी पुलिस द्वारा जांच की जा रही है।अनूपपुर कोतवाली पुलिस द्वारा शव का पंचनामा और पोस्टमार्टम करने के बाद मृतक के परिजनों को सौंप दिया गया है और यह बताया जा रहा है कि मामले की जांच की जा रही है।
लालच की बलि चढ़ा मनोहर
जानकार सूत्रों की माने तो मनोहर पाव की मौत हालांकि ट्रक की चपेट में आने से हुई है, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह कोयला खदान के अधिकारी कर्मचारियों के लालच और अवैध कारनामों की भेंट चढ़ गया। बताया जाता है कि खदान के अंदर कोयला परिवहन करने वाले वाहनों में लोडिंग की व्यवस्था कालरी प्रबंधन द्वारा की जाती है और इसके शुल्क की वसूली कोयले के डीओ के साथ ही कर ली जाती है,लेकिन मैदानी हकीकत यह है कि स्थानीय स्तर पर टेक्निकल इंस्पेक्टर, खान प्रबंधक एवं उप क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा स्थानीय मजदूरों को बुलाकर कोयले की छंटनी और लोडिंग कराई जाती है। इसके एवज मेंकोयले की खरीदी करने वाले फर्म से एक हजार रुपये प्रति तन की वसूली की जाती है। गांव से भोले भाले निरीह मजदूरों को अवैध तौर पर बुलाकर और खदान के भीतर प्रवेश देकर उनसे कोयले की छंटनी कराई जाती है और ट्रैकों में कोयला लोड करवाया जाता है। इसके बदले में इन मजदूरों को प्रति ट्रक कोयले की लोडिंग पर 300 रुपये काभुगतान किए जाने की चर्चा है।
यह चल रहा गोरख धंधा
आरोपित तो यह भी किया गया है कि टेक्निकल इंस्पेक्टरों द्वारा खदान के भीतर कोयले की छंटाई के नाम पर ट्रक वालों से या कोयले के खरीददार फर्म से अलग से पैसा लिया जाता है और सामान्य से कहीं अधिक उच्च क्वालिटी का कोयला छांट कर ट्रकों में लोड करवाया जाता है। उच्च क्वालिटी का कोयला मुहैया कराने के नाम पर उनसे 1000 रुपये प्रति टन की वसूली कर टेक्निकल इंस्पेक्टर द्वारा खान प्रबंधक एवं उप क्षेत्रीय प्रबंधक जैसे अधिकारियों को उपकृत किया जाता है, साथ ही प्रतिदिनहजारों लाखों रुपए की अवैध कमाई की जाती है। इस अवैध कमाई के लालच में ग्रामीण मजदूरों का उपयोग बिना किसी सुरक्षा उपाय के किया जाता है जिसका खामियाजा मनोहर पाव जैसे लोगों को आए दिन भुगतना पड़ता है।
नियम तो यह है
जानकार सूत्रों की माने तो एसईसीएल द्वारा जो प्रावधान किए गए हैं उनके तहत कोयला खदानों में एसईसीएल के कर्मचारी के अलावा बिना अनुमति के किसी भी व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जा सकता है। जहां तक ट्रकों में कोयला लोडिंग का सवाल है एसईसीएल द्वारा कोयला खरीदने वाली कंपनियों और फर्मो से डीओ के साथ ही लोडिंग का शुल्क भी वसूल लिया जाता है, और उसके बाद ट्रकों में कोयले के लोडिंग की जिम्मेदारी एसईसीएल यानी कालरी प्रबंधन की हो जाती है जिसका कार्य कालरी मैनेजमेंट द्वारा मशीनों के माध्यम से किया जाता है।बावजूद इसके अंधाधुंध अवैध कमाई के चक्कर में टेक्निकल इंस्पेक्टर एवं उनके कुछ सहयोगी कर्मचारी जिसमें कांटा बाबू भी शामिल होता है, स्थानीय गरीब, ग्रामीण मजदूरों को न्यूनतम से भी नीचे की मजदूरी में बुलाकर कोयले की छंटाई और लोडिंग का कार्य कराया जाता है। इसके बदले में वह कोयला खरीदने वाली फर्म से अच्छी खासी अवैध वसूली करते हैं और नाम मात्र की राशि मजदूरों को देकर वरिष्ठ अधिकारियों को कुछ हद तक उपकृत करते हुए सारी कमाई टेक्निकल इंस्पेक्टर निगल जाता है। नियमों का पालन न होने के कारण ही इस प्रकार के हादसों का सामना कर्ली प्रबंधन को करना पड़ रहा है।
मुआवजा नौकरी की मांग
रामपुर खुली खदान में कालरी प्रबंधन की कथित लापरवाही के कारण मौत का शिकार हुए मनोहर लाल पाव के परिजनों के साथ ही क्षेत्रीय ग्रामीणों ने यह मांग की है कि इस घटना के लिए जिम्मेदारी तय की जाए। परिजनों की मांग है कि नियम विरुद्ध खदान में प्रवेश देकर कार्य कराने वाले तकनीकी निरीक्षक खान प्रबंधकऔर उप क्षेत्रीय प्रबंधक को इस घटना का दोषी मानते हुए उनके विरुद्धअपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए और पीड़ित परिवार को मुआवजातथा कालरी में नौकरी एसईसीएल प्रबंधन द्वारा दी जाए।
**************



कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें