विकास के नाम पर सड़कों का सत्यानाश
ठेकेदार की धींगा मस्ती और जिम्मेदारों की लापरवाही लोगों को पड़ रही भारी"विद्वानों, संतों का यह कहना है कि स्वर्ग भी यही है और नरक भी, क्या आपने नरक देखा है यदि नहीं देखा तो हम आपको दिखा सकते हैं। ज्यादा कुछ नहीं करना है, आपको जय स्तंभ से लेकर गढ़ी तक की यात्रा करनी होगी नरक के साक्षात दर्शन ही नहीं उसकी त्रासदी का एहसास भी हो जाएगा और यह सब संभव हुआ है सड़क निर्माण का ठेका लेने वाली कथित ठेका कंपनी की मनमौजी और नगर पालिका के जिम्मेदार पदाधिकारियों की लापरवाही के दम पर। शायद कमीशन का वजन इतना ज्यादा है कि जिम्मेदार चाह कर भी मुंह खोलने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।"
(अनिल द्विवेदी 7000295641)
शहडोल। संभाग मुख्यालय का दर्जा प्राप्त शहडोल शहर केअधिकांश हिस्सों के रहवासी विभिन्न प्रकार की समस्याओं से वर्षों से जूझते आ रहे हैं। शहर के मुख्य मार्ग और तथाकथित मॉडल रोड को अपवाद मान लिया जाए तो शहर की जितनी भी सड़कें और गालियां है उनके किनारे रहने वाले लोगों को नारकीय त्रासदी झेलना पड़ता रहा है। कहीं सफाई का अभाव, कहीं गंदगी, कहीं नाली से बहने वाला गंदा निस्तार पानी सड़कों पर फैलने की समस्या तो कहीं स्ट्रीट लाइट का अभाव और नहीं तो पीने के पानी का संकट जैसी तमाम समस्याओं ने लोगों को काफी हद तक परेशान किया है अब एक नई समस्या सीवर लाइन के ठेकेदार ने पैदा की जिसकी वजह से पूरे शहर में लोग त्राहिमाम करते नजर आ रहे हैं, उसके बाद दाद पर खुजली का काम नगर पालिका के उस ठेकेदार ने कर दिखाया जिसे जय स्तंभ से गढ़ी तक मात्र पौन किलोमीटर यानी लगभग 700 मीटर लंबीसड़क और नाली के निर्माण का ठेका दिया गया है।
नरक वास और यात्रा
शहर में ड्रेनेज सिस्टम डेवलप करने के उद्देश्य से शासन द्वारा सीवर लाइन बिछाए जाने और गंदे निस्तारी पानी का उपचार कर उसे नदी में छोड़े जाने का प्लान लागू किया गया और इसके तहत पूरे शहर में सीवर लाइन बिछाने-खोदने का ठेका दे दिया गया। ठेकेदार ने शहर भर में तमाम सड़कों गलियों को बेतरतीब ढंग से खोदना शुरू किया, किसी गली में आधी तो किसी में पूरी खुदाई कर लोगों के आवागमन को बुरी तरह से प्रभावित किया, न सिर्फ आवागमन प्रभावित किया बल्कि लोगों को नित नई दुर्घटनाओं का शिकार भी बनाया। आज भी कई गलियों में सीवर लाइन पूरी नहीं हुई और ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। इन्हीं सड़कों में से एक जय स्तंभ गढ़ी मार्ग है जहां रहने वाले और आवागमन करने वाले लोग नारकीय यातनाएं भोगने को मजबूर हैं।
निर्माण के नाम पर खिलवाड़
ठेकेदारों द्वारा निर्माण कार्य में लापरवाही किया जाना या अनियमितताएं बरता जाना सामान्य बात हो सकती है, लेकिन मौजूदा समय में सत्ता पर काबिज नगर पालिका अध्यक्ष के गृह वार्ड में इस प्रकार की लापरवाही और मनमानीअपने आप में कम आश्चर्य जनक नहीं है। इस बात पर कोई शंका नहीं हैकि इस सड़क का निर्माण नगर पालिका अध्यक्ष घनश्याम जायसवाल के प्रयास से ही हो रहा है लेकिन उनके इस प्रयास पर ठेकेदार द्वारा इस प्रकार पानी फेरा जाएगा और उनके वार्ड ही नहीं नगर की जनता को नारकीय त्रासदी भोगने के लिए विवश किया जाएगा यह तो शायद अध्यक्ष ने भी नहीं सोचा होगा। ठेकेदारी का आलम यह है कि तकरीबन 6 महीने से अधिक की अवधि बीत जाने के बाद भी सड़क या नाली का निर्माण तो दूर नाली की खुदाई तक पूरी नहीं हो पाई है। कुछ हिस्से में नाली की ढलाई का काम जरूर हुआ है लेकिन इसके बदले में गंदी नाली का पूरा पानी और मलवा सड़क पर सौगात के रूप में बहा दिया गया है। ठेकेदार निर्माण के नाम पर यह खिलवाड़ कब तक जारी रखेगा इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।
गिरते फिसलते निकल रहे लोग
सीवर लाइन ठेकेदार द्वारा सीवर लाइन बिछाने के लिए किए गए गड्ढे और उसकी पटाई के बाद लोगों को सिर्फ खराब सड़क का हीसामना करना पड़ता था लेकिन नए निर्माण की आस में लोगों को जिस त्रासदी का सामना करना पड़ रहा है वह अब दर्दनाक होती जा रही है। बेमौसम की बरसात ने आग में घी का काम किया है और अब आलम यह है कि जहां नाली का पानी नहीं पहुंच रहा था वहां भी बरसाती पानी के साथ पहुंच गया और बड़ी मस्जिद से लेकर कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तकके हिस्से में सिर्फ कीचड़ गंदगी फिसलन और गड्ढे ही लोगों को मिल पा रहे हैं। कीचड़ सड़ने से अब दुर्गंध भी उठने लगी है जो सड़क किनारे रह रहे परिवारों का जीना दूभर कर रही है। लोग किसी तरह इस कीचड़ में फिसल कर गिरते पड़ते रास्ता पार करते देखे जाते हैं, वाहन में सवार लोग तो फिर भी ठीक है पैदल चलने वालों का तो भगवान ही मालिक है।
दो टुकड़ों में बांट दी सड़क
गौर तलब है कि यह सड़क जस्तंभ चौक से लेकर भूसा तिराहा तक जाकर रीवा रोड में मिलती है। पूरी की पूरी सड़क खराब है, सड़क किनारे की नालियां ध्वस्त हो चुकी हैं और सीवर लाइन का काम होने के बाद से चलने लायक भी नहीं रह गई हैं जिसका नव निर्माण पूर्व से प्रस्तावित है। उक्त सड़क का निर्माण कार्य बाहर के किसी ठेकेदार को न मिलने पाए उसकी लागत ज्यादा न हो इस उद्देश्य से इस लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी सड़क को दो भागों में नगर पालिका के कर्ताधर्ताओं द्वारा बांट दिया गया। दो बार में इस सड़क के निर्माण का टेंडर हुआ पहला भाग जय स्तंभ चौक से गढ़ी तक और दूसरा भाग गढ़ी से भूसा तिराहा तक का निर्माण कार्य अलग-अलग स्वीकृत किया गया। एक हिस्से के निर्माण कार्य का भूमि पूजन तकरीबन 6 माह पूर्व और दूसरे हिस्से का भूमि पूजन लगभग दो माह पूर्व कराया गया था लेकिन निर्माण कार्य आरंभ नहीं हुआ। नगर पालिका के कर्ता धर्ताओं की इस मंशा को सही मान भी लिया जाए कि बाहरी ठेकेदारों से काम कराने के बजाय स्थानीय लोगों को अवसर मिले तो कम से कम स्थानीय ठेकेदार को इस प्रकार गैर जिम्मेदाराना ढंग से खिलवाड़ तो नहीं करना चाहिये था।
यह तो शुरुआत है
नगर पालिका के ठेकेदार जिसे इस सड़क के निर्माण की जिम्मेदारी सौंप गई है वह सड़क निर्माण कार्य पूरा करने तक कितने खिलवाड़ करेगा कितनी अनियमितताएं करेगा, लोगों से विवाद करेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा बहरहाल नागरिकों की समस्याएं दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है और ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार ठेकेदार द्वारा कार्य किया जा रहा है, यह तो समस्याओं की शुरुआत मात्र है अभी आगे और भी बहुत कुछ झेलना पड़ेगा, नागरिकों को जो झेलना पड़ेगा उसे समय-समय पर उजागर भी किया जाता रहेगा।
डोली, उठ पाना मुश्किल
उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इसी मार्ग पर कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से थोड़ी आगे नगर पालिका अध्यक्ष घनश्याम जायसवाल का एक बाड़ा है जिसमें लोग शादी विवाह के आयोजन करते हैं। मौजूदा समय में सड़क की जो स्थिति है उसे देखते हुए यह तो तय है कि नगर पालिका अध्यक्ष के बाड़े से किसी कन्या की डोली उठ पाना मुश्किल ही है, यदि समय रहते इस सड़क का निर्माण हो सका तो नगर पालिका अध्यक्ष का कथित बारात घर शादी के सीजन का फायदा उठा पाएगा और डोलियां भी उठेंगी विपरीत परिस्थितियों में अर्थी उठने की आशंका को भी नहीं नकारा जा सकता है।


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