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मंगलवार, 8 जून 2021

रेत में खिलते कमल का खेल निराला

 खादी के कुर्ते में चढ़ा प्रशासकीय कलफ, क्यों ना हो वंशिका का राज हर तरफ


 मिलीभगत कर कारोबारियों ने ताक पर रखे सारे नियम...


शहडोल। जिले में सत्ता और संगठन की शह पर रेत का अवैध कारोबार चरम पर पहुंच गया है। यहां सत्तारूढ़ संगठन के नेता खुद ही इस कारोबार में संलिप्त हो गए हैं। कुल मिलाकर जिला अंतर्गत रेत में खिल रहे कमल का निराला खेल देखकर भी प्रशासनिक अधिकारी आंख बंद किये बैठे हैं। चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि रेत कारोबार में एक उच्च प्रशासनिक अधिकारी का पुत्र भी शामिल है। शायद यही वजह हो सकती है कि अन्य विभाग के अधिकारी भी अपने हाथ बांधे बैठे हैं। खदानों में सारे नियमों को ताक पर रख दिए गए हैं। रेत के कथित कारोबार का यह हाल जिले की ज्यादातर खदानों का है। जिम्मेदारों की मिलीभगत से जहां कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं वहीं रेत के लिए लोगों को मनमानी कीमत देनी पड़ रही है। राजस्व को लाखों की चपत लग रही है सो अलग। रेत कारोबारी पूरी तरह मनमानी पर उतारू हैं। कागज पर तो सब ठीक चल रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि निर्धारित मात्रा से कई गुना अधिक रेत अवैध तरीके से निकाली जा रही है। कहीं रात में तो कहीं दिनदहाड़े रेत का मशीनों से अवैध खनन व परिवहन किया जा रहा है। हर रोज सैकड़ों की संख्या में हाइवा व डंपर रेत लेकर प्रदेश की सीमा पार कर रहे हैं।

पुलिस की मिलीभगत

रेत कारोबारियों की मनमानी की मूल वजह पुलिस की मिलीभगत और खनिज अधिकारियों की चुप्पी है। राजनीतिक शह के बीच पुलिस की मिलीभगत से कारोबारियों की चांदी है। लगभग सभी खदानों में अवैध खनन व परिवहन कर रहे कारोबारियों को राजनीतिक शह मिल रही है। कारोबारियों की पकड़ स्थानीय नेताओं से लेकर भोपाल तक नेताओं व मंत्रियों से है।

किसी का ध्यान नहीं

गौरतलब है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने नदियों के संरक्षण के लिए नारा दे रखा है कि नदी नही ये जननी है रक्षा इसकी करनी है। प्रदेश के खनिज मंत्री ने भी रेत के कामों मे स्थानीय श्रमिको का नियोजन अनिवार्य किया है लेकिन जिले की स्थिति पूरी तरह से विपरीत है l वर्तमान समय में जिले के पुलिस अधीक्षक भी माफियाराज खत्म करने के लिए कमर कसे हुए हैं लेकिन ना जाने क्यों ठेका कम्पनी द्वारा शहडोल जिले की जीवन दायनी सोन नदी मे किये जा रहे वैध की आड़ मे अवैध उत्खनन और परिवहन पर उनका ध्यान नही जा रहा है। यदि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब यहां की धरती रेत विहीन हो जाएगी और नदियां अपना अस्तित्व खो बैठेंगी।

आसमान पर कीमत

जिले में जब से रेत खदानों का ठेका हुआ है तभी से रेत की कीमतें आसमान पर चढ़ गई हैं। जिले के जरूरतमंद लोग या तो चोरी की रेत खरीद रहे हैं या फिर महंगी कीमत चुकाकर अपना काम चला रहे हैं। इससे एक बात और स्पष्ट हो जाती है कि रेत चोरी का कारोबार भी यहां निर्बाध गति से जारी है। खासकर सोहागपुर थाना क्षेत्र में पुलिस के संरक्षण में ही यह कारोबार पनप रहा है।

गजब का समन्वय

सत्तारूढ़ दल के एक नेता ने जब से रेत कारोबार में कदम बढ़ाया है तभी से यहां धरपकड़ और कार्यवाही में विराम लग गया है। अधिकारियों को केवल अपनी नौकरी बचाये रखने की चिन्ता है। इसीलिए अधिकारी भी कारोबारियों से समन्वय बनाकर चल रहे हैं। जिला खनिज अधिकारी भी कुछ समय पहले तक तेज तर्रार तेवर दिखाती रहीं लेकिन अब वह भी रेत कारोबारियों के सुर में सुर मिलाकर चलने लगी हैं।

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