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बुधवार, 27 जनवरी 2021

सावधान! अब शहरी गरीबों के नहीं बन पाएंगे मकान

 

प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा जारी निर्देशों के तहत जिले के मुखिया डॉ. सत्येंद्र सिंह द्वारा रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन रोकने के लिए शहर के सभी मार्गों पर नाकेबंदी याने चेक पोस्ट स्थापित करने की जो नई व्यवस्था लागू की गई है वह वास्तव में काबिले तारीफ है, लेकिन इस नई व्यवस्था ने शहर में रह रहे गरीबों के खुद के मकान के सपने को पूरा होने में व्यवधान उत्पन्न कर दिया है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद अब शहर में रह रहे गरीब परिवारों को न तो मकान बनाने के लिए ईटें मिल पाएंगी और ना ही मिट्टी या मुरुम क्योंकि जिला प्रशासन द्वारा स्थापित चेकपोस्ट से वही गाडिय़ां पार हो सकेंगी जिनके पास रॉयल्टी और टीपी होगी। इस व्यवस्था से चेक पोस्ट पर ड्यूटी करने वाले विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की अतिरिक्त आय जरूर सुनिश्चित हो जाएगी।


शहडोल। जिले में एक लंबे समय से चल रहे रेत के अवैध कारोबार को रोकने और माफियाओं के नाक पर नकेल कसने के लिए जिला प्रशासन द्वारा शहर के सभी प्रमुख मार्गों पर खनिज जांच नाका स्थापित किए गए हैं और उन जांच नाकों में बहु विभागीय टीम तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि किसी भी स्थिति में रेत माफिया अपने मंसूबों को पूरा करने में सफल ना हो पाए। नई व्यवस्था से निश्चित रूप से रेत व खनिज माफियाओं की अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगेगा लेकिन इसका साइड इफेक्ट यह होगा कि शहरी क्षेत्र में निवासरत गरीब परिवारों का स्वयं का मकान बनाने का सपना ध्वस्त हो जाएगा।
सस्ती मिलती थी अवैध सामग्री
गौरतलब है कि संभाग मुख्यालय ही नहीं अन्य सभी नगरों और कस्बों में निर्माण सामग्री की आपूर्ति समीपस्थ ग्रामीण क्षेत्रों से ही होती रही है चाहे वह लाल रंग की अवैध भ_े में पक्की हुई आइटम मिट्टी हो मुरूम हो या बेस गिट्टी। इन सभी सामग्रियों की आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्रों के ट्रैक्टर व डग्गी संचालित करने वाले लोग ही करते रहे हैं जाहिर है कि लाल ईंट, मिट्टी और मुरुम का कारोबार शुरू से ही बिना किसी शासकीय अथवा विभागीय अनुमति या लाइसेंस के ही होता रहा है। शहर के अंदर आने वाले सभी मार्गों पर नाकेबंदी कर दिए जाने के बाद उक्त अवैध किस्म की निर्माण सामग्री लाने वाले वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित हो जाएगा जिससे न सिर्फ शहरी गरीब परिवारों के मकान नहीं बन पाएंगे बल्कि हजारों की तादाद में ईट मिट्टी मुरूम आदि की बिक्री कर पेट पालने वाले ट्रैक्टर-डग्गी संचालकों का जीना भी दूभर हो जाएगा। गौर तलब है कि अवैध रूप से लाई जाने वाली यह निर्माण सामग्री वैध निर्माण सामग्री की अपेक्षा सस्ती मिल जाती थी जिससे गरीब परिवार भी किसी तरह अपना मकान निर्माण या मरम्मत का कार्य करा लेता था जो अब संभव नहीं दिख रहा है।


भर्राशाही पर लगाम
अभी तक होता यह रहा है कि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब तबके के लोग ट्रैक्टर वालों से सस्ते दर पर लाल इंटर मिट्टी मुरूम आदि खरीद कर किसी तरह कच्चा पक्का मकान बना लेते थे। ट्रैक्टर और डिग्गी वाले भी शहर से लगे हुए विभिन्न गांवों में धंधा कर रहे अवैध ईंट भट्टों से ईट किसी के भी निजी अथवा सरकारी जमीन से खुद कर मिट्टी और नदी अथवा किसी के खेत से तोड़े गए पत्थर की बेस्बिट्टी लाकर आपूर्ति करते थे जिससे अपेक्षाकृत सस्ते दर पर गरीबों का मकान बन जाता था लेकिन अब शायद ऐसा नहीं हो पाएगा क्योंकि संभाग मुख्यालय सहित लगभग सभी ब्लाक मुख्यालयों के मुख्य मार्गों में खनिज जांच नाका स्थापित कर जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न विभागों के अधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है ताकि अवैध रूप से उत्खनन खनिज का परिवहन ना हो सके। खनिज जांच नाकों के कारण अब किसी भी गांव से ट्रैक्टर अथवा डग्गी में न तो लाल ईंटें आ पाएंगी और ना ही मिट्टी, मुरूम अथवा हैंड ब्रोकेन बेस गिट्टी। ऐसा नहीं है कि अवैध निर्माण सामग्री की आपूर्ति बंद हो जाने से लोगों को सामग्री मिलेगी ही नहीं। मिलेगी तो जरूर लेकिन इतनी महंगी हो जाएगी कि लोगों का मकान बनाने का सपना पूरा नहीं हो पाएगा।
यह भी होंगे हलाकान
नगरीय सीमा पर स्थापित खनिज जांच नाकों के कारण निर्माण सामग्री की आपूर्ति में व्यवधान होने से निर्माणकर्ता शहरी गरीब तो परेशान होंगे ही उनसे भी ज्यादा परेशान ट्रैक्टर और डग्गी संचालित करने वाले निर्माण सामग्री आपूर्तिकर्ता होंगे। कृषि कार्य के नाम पर ट्रैक्टर खरीदने वाले ग्रामीण बेरोजगार युवकों द्वारा निर्माण सामग्री आपूर्ति का कार्य ट्रैक्टर के माध्यम से किया जाता रहा है बाद में जब जिला प्रशासन और खनिज विभाग सख्त हुआ तो उक्त ट्रैक्टर संचालक द्वारा अपनी ट्रैक्टर का पंजीयन माल ढुलाई के लिए कराया गया तब उन्होंने निर्धारित कर जमा किया अब जब उनका पंजीयन खनिज परिवहन और सामग्री आपूर्ति के लिए हो चुका है तब एक नया फरमान जारी हो गया कि बिना रायल्टी पर्ची, टीपीके कोई भी वाहन शहर के अंदर न आ सके ऐसे हालात में इन गरीब ट्रैक्टर वालों का व्यवसाय तो ठप हुआ ही जीवन भी दुश्वार होता नजर आ रहा है।
रेत में डूबे दादा भूल गए वादा
न सिर्फ शहडोल जिला व संभाग मुख्यालय बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में दो ही राजनीतिक दल सक्रिय एवं प्रभावशील हैं जिन से गरीब किसान व अन्य सभी वर्गों के लोग कोई उम्मीद कर सकते हैं।किसी भी प्रकार की आपत्ति आने पर यह समस्या उत्पन्न होने पर उनसे फरियाद करते हैं लेकिन शहडोल जिले में परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं। दोनों ही दलों के शीर्ष नेता रेत के कारोबार में डूबे हुए उन्हें अपनी कमाई और माफिया गिरी से फुर्सत नहीं है ऐसे में गरीब मजदूर ट्रैक्टर के संचालक जाएं भी तो कहां किस से फरियाद करें।

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