पेट्रोल दामों का शतक समारोह - Blitztoday

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शनिवार, 30 जनवरी 2021

पेट्रोल दामों का शतक समारोह

 

अपना वाहन दुश्मन लगने लगा और पेट्रोल पंप खौफनाक


अनिल द्विवेदी

शहडोल। पेट्रोल की कीमतें शतक से मात्र चार कदम पीछे हैं, शतक पूरा होते ही पूरे देश में शताब्दी समारोह मनाया जाएगा। एक और जहां भक्तगण आतिशबाजी कर मिठाइयां और फल वितरण करेंगे वहीं दूसरी ओर आम आदमी अपने ही घर के भीतर खुदकुशी की तैयारी करता नजर आएगा। संपन्न वर्ग तथा उच्च मध्यमवर्गीय परिवारों के लोग तो किसी तरह पेट्रोल की आग लगाती कीमतों को झेल भी जाएंगे लेकिन उन गरीब मजदूरों या निम्न आय वर्गीय परिवारों के लोगों का क्या होगा जिन्होंने स्व सहायता समूह अथवा तमाम फाइनेंस कंपनियों से लोन लेकर दुपहिया वाहन खरीद रखा है। किसी तरह दिहाड़ी मजदूरी कर पेट भरने के साथ ही वाहन की किस्त की व्यवस्था में लगे इन गरीब वाहन धारकों के पास अब कुछ भी बचा हुआ नजर नहीं आ रहा है, आलम यह है कि ना खुदा ही मिला न विसाले सनम इधर के रहे ना उधर के रहे।

पेट्रोल एवं डीजल के दाम में लगातार बेतहाशा वृद्धि के मामले में जहां एक और सत्ता पक्ष विकास की दुहाई देकर अपनी मजबूरी बयां कर रहा है वहीं दूसरी ओर विपक्ष का विरोधी स्वर भी अत्यंत क्षीण नजर आ रहा है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेताओं द्वारा पेट्रोल डीजल के दामों में वृद्धि के प्रति विरोध तो दर्ज कराया गया लेकिन उसकी आवाज नक्कारखाने में तूती जैसे साबित हो रही है ना दमखम लगा कर कांग्रेश ने विरोध किया और नहीं भाजपा किस सरकार ने उसे कोई तवज्जो ही दिया है कुल मिलाकर स्थिति यह है कि मरण आम आदमी का है जो अन्य आवश्यक वस्तुओं के साथ ही पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के चलते अपने ही घर के भीतर भूखों मरने की कगार पर आ खड़ा हुआ है। पेट्रोल की कीमत ने जेब के साथ-साथ लोगों के दिलों को भी आग लगा दी है। एक किलोमीटर चलने के लिए अब वाहन का ऑयल मीटर चेक करना पड़ेगा। खाने-पीने के बाद अब चलने-फिरने के लिए भी जेब टटोलनी पड़ेगी। हर किसी को अपना वाहन दुश्मन और पेट्रोल पंप खौफनाक लगने लगा है। 


मध्यप्रदेश में सबसे महंगा 

आम उपभोक्ता के जेहन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि जब तेल की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक जैसी कीमत होती है तो देश के अलग-अलग राज्यों में कीमतें अलग-अलग क्यों होती हैं। जानकारों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल पर केंद्र के अलावा राज्य सरकारें कई तरह के टैक्स लगाती हैं। टैक्स जितना ज्यादा होगा डीजल-पेट्रोल के दाम उतने ही ज्यादा होंगे। मप्र में लगभग 50 रुपए विभिन्न टैक्स के रूप में वसूल किए जा रहे हैं। जिसके कारण प्रदेश में इनकी कीमत सबसे ज्यादा है। 


यूं बढ़ता है रेट


पेट्रोल व डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजें जोडऩे के बाद इसका दाम लगभग दोगुना हो जाता है। अगर केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारों का वैट हटा दें तो डीजल और पेट्रोल का रेट लगभग 27 रुपये लीटर रहता, लेकिन चाहे केंद्र हो या राज्य सरकार, दोनों किसी भी कीमत पर टैक्स नहीं हटा सकती। क्योंकि राजस्व का एक बड़ा हिस्सा यहीं से आता है। इस पैसे से विकास होता है।

हर सुबह होती तय होती हैं कीमतें

दरअसल विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत के आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियां कीमतों की समीक्षा के बाद रोज़ाना पेट्रोल और डीजल के रेट तय करती हैं। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम रोज़ाना सुबह 6 बजे पेट्रोल और डीजल की दरों में संशोधन कर जारी करती हैं। 

अब तो पैदल चलना पड़ेगा 

पेट्रोल के लगातार बढ़ रहें दामों ने प्रदेश की जनता का सब्र अब टूटता दिख रहा है।. जनता मांग कर रही है कि सरकार पेट्रोल की लगातार बढ़ रही कीमतों पर रोक लगाए। अब और कीमतों की बढ़ती मार सह नहीं सकते इसलिए सरकार राहत दें। वहीं पेट्रोल पंप पहुंच रहे लोगों का कहना है कि ऐसे ही रेट बढ़ते गए तो पैदल चलने पर मजबूर होना पड़ेगा, आय बढ़ नहीं रही है ओर पेट्रोल के दाम बढऩे से बजट गड़बड़ा गया है।


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