कौन देगा जवाब, अस्पताल से क्यों नहीं हटा हिजाब ?
कब तक पर्दे में रहेंगे भाजपा के पितृ पुरुषभारतीय जनता पार्टी की सत्ता वाली मध्य प्रदेश सरकार में भाजपा के ही नेताओं की खुले आम अवमानना का दौर जारी है। इसका ताज उदाहरण शहडोल जिला अस्पताल है जिसका नामकरण भाजपा के पित्र पुरुष स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर किया गया है। इस अस्पताल के प्रवेश द्वार का निर्माण तत्कालीन भाजपा विधायक छोटेलाल सरावगी द्वारा कराया गया था। उक्त प्रवेश द्वार में कुशाभाऊ ठाकरे और छोटे लाल सरावगी दोनों का ही नाम अंकित है जिसे चुनाव आचार संहिता के दौरान हिजाब यानी कपड़े से ढक दिया गया जो आज तक ढका हुआ ही है। सवाल यह उठता है कि भाजपा के शासन वाले प्रशासन के अधिकारियों की आखिर भाजपा के पितृ पुरुष या पूर्व विधायक से क्या दुश्मनी है, क्या भाजपा की तत्कालीन गुटीय राजनीति का असर जिला अस्पताल में अब तक विद्यमान है, क्या जानबूझकर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन द्वारा इन भाजपा नेताओं के नाम को ढक कर रखा गया है और सवाल यह भी उठता है कि भाजपा के नाम पर अपनी राजनीति चमका रहे जिले के नेताओं को क्या हो गया है वह कौन सी नींद की आगोश में समाए हुए हैं, जिला अस्पताल का प्रवेश द्वार अब तक क्यों हिजाब से ढका हुआ है, इसका जवाब आखिर कौन देगा?
( अनिल द्विवेदी 7000295641)
शहडोल। जिले में चुनावी आचार संहिता लगते ही सार्वजनिक स्थलों पर राजनीतिक नाम पट्टिकाओं को ढक दिया जाता है और आचार संहिता समाप्त होते ही उसे पुनः खोल दिया जाता है। परंतु कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय शहडोल के प्रवेशद्वार में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर डाला गया पर्दा आज तक नहीं हटाया गया है। जबकि नेताओं से लेकर उच्च अधिकारियों तक का दिन में कई बार इसी मार्ग से आनाजाना लगा रहता है। जिला चिकित्सालय के अधिकारी कर्मचारी भी इसी प्रवेशद्वार आते जाते हैं लेकिन किसी ने भी कुशाभाऊ ठाकरे के नाम को हिजाब से मुक्त कराने की कोशिश तक नहीं की।
जयंती पर भी नहीं दिया ध्यान
हैरान करने वाली बात यह है कि हाल ही में 15 अगस्त को कुशाभाऊ ठाकरे की जयंती मनाई गई। भाजपा नेताओं ने बड़े आदरभाव से उन्हें याद किया। लेकिन किसी को यह नहीं दिखा कि जिला चिकित्सालय शहडोल के प्रवेशद्वार में आज भी कुशाभाऊ ठाकरे पर्दे में हैं। इससे सवाल उठना लाजिमी हो जाता है कि संगठन में क्या सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। भाजपा जिला नेतृत्व की उदासीनता और अदूरदर्शिता का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है।
प्रतिद्वंदिता का प्रभाव तो नहीं
जिला चिकित्सालय शहडोल का नामकरण कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर होने के बाद तत्कालीन सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक छोटेलाल सरावगी द्वारा यहाँ के प्रवेशद्वार का निर्माण कराया गया था। उन दिनों भाजपा में जिला स्तर पर गुटबंदी बढ़ गई थी और कहीं न कहीं आज भी इसका असर दिख जाता है। चूंकि प्रवेशद्वार में नीचे की लाईन में छोटेलाल सरावगी का नाम भी अंकित है। इसी कारण एक सवाल यह भी उठता है कि क्या गुटीय राजनीति के कारण कुशाभाऊ ठाकरे पर्दे में हैं।
किसकी है जिम्मेदारी
चूंकि जिले में चुनावी आचार संहिता लगने के बाद जिला प्रशासन द्वारा अस्पताल के प्रवेशद्वार पर अंकित नाम पट्टिका को ढक दिया गया था लिहाजा पहली जिम्मेदारी प्रशासन की ही बनती है कि आचार संहिता समाप्त होते ही उसे पुनः खोल दिया जाता। लेकिन कुशाभाऊ ठाकरे भाजपा के पितृ पुरुष माने जाते हैं इस नाते भाजपा के जिला नेतृत्व की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह समय पर नाम पट्टिका से पर्दा हटवाने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराए।
शहडोल। जिले में चुनावी आचार संहिता लगते ही सार्वजनिक स्थलों पर राजनीतिक नाम पट्टिकाओं को ढक दिया जाता है और आचार संहिता समाप्त होते ही उसे पुनः खोल दिया जाता है। परंतु कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय शहडोल के प्रवेशद्वार में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर डाला गया पर्दा आज तक नहीं हटाया गया है। जबकि नेताओं से लेकर उच्च अधिकारियों तक का दिन में कई बार इसी मार्ग से आनाजाना लगा रहता है। जिला चिकित्सालय के अधिकारी कर्मचारी भी इसी प्रवेशद्वार आते जाते हैं लेकिन किसी ने भी कुशाभाऊ ठाकरे के नाम को हिजाब से मुक्त कराने की कोशिश तक नहीं की।
जयंती पर भी नहीं दिया ध्यान
हैरान करने वाली बात यह है कि हाल ही में 15 अगस्त को कुशाभाऊ ठाकरे की जयंती मनाई गई। भाजपा नेताओं ने बड़े आदरभाव से उन्हें याद किया। लेकिन किसी को यह नहीं दिखा कि जिला चिकित्सालय शहडोल के प्रवेशद्वार में आज भी कुशाभाऊ ठाकरे पर्दे में हैं। इससे सवाल उठना लाजिमी हो जाता है कि संगठन में क्या सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। भाजपा जिला नेतृत्व की उदासीनता और अदूरदर्शिता का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है।
प्रतिद्वंदिता का प्रभाव तो नहीं
जिला चिकित्सालय शहडोल का नामकरण कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर होने के बाद तत्कालीन सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक छोटेलाल सरावगी द्वारा यहाँ के प्रवेशद्वार का निर्माण कराया गया था। उन दिनों भाजपा में जिला स्तर पर गुटबंदी बढ़ गई थी और कहीं न कहीं आज भी इसका असर दिख जाता है। चूंकि प्रवेशद्वार में नीचे की लाईन में छोटेलाल सरावगी का नाम भी अंकित है। इसी कारण एक सवाल यह भी उठता है कि क्या गुटीय राजनीति के कारण कुशाभाऊ ठाकरे पर्दे में हैं।
किसकी है जिम्मेदारी
चूंकि जिले में चुनावी आचार संहिता लगने के बाद जिला प्रशासन द्वारा अस्पताल के प्रवेशद्वार पर अंकित नाम पट्टिका को ढक दिया गया था लिहाजा पहली जिम्मेदारी प्रशासन की ही बनती है कि आचार संहिता समाप्त होते ही उसे पुनः खोल दिया जाता। लेकिन कुशाभाऊ ठाकरे भाजपा के पितृ पुरुष माने जाते हैं इस नाते भाजपा के जिला नेतृत्व की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह समय पर नाम पट्टिका से पर्दा हटवाने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराए।
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