शासन-प्रशासन और एसईसीएल के पदाधिकारियों ने बनाई दूरी, हाथ वालों ने भी छोड़ा साथ
" शहडोल संभाग ही नहीं,आधा मध्य प्रदेश और आधे छत्तीसगढ़ के दायरे में सबसे बड़े आयोजन संबंधी भ्रम के उड़न खटोले में तकरीबन एक महीने से उड़ान भर रहे सोहागपुर कोयलांचल मुख्यालय से सटे कोयला नगरी बुढ़ार के वह कतिपय स्वनाम धन्य नेता बीती रात्रि तब चित्त ( उतान ) पड़ गए जब कार्यक्रम को भव्यता प्रदान करने के लिए उपयोग में लाए गए नाम और पदनाम धारियों में से कोई भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। हालांकि कार्यक्रम को लेकर होने वाली किरकिरी के बाद आयोजन समिति से जुड़े एक बंदे ने किसी से चंदा नहीं लेने का दम जरूर भरा लेकिन उन सैकड़ो लोगों, अधिकारी कर्मचारियों का मुंह कौन बंद कर सकता है जो चंदे के आदान-प्रदान में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहभागी थे। ऊपर से सीएसआर मद की राशि, प्रायोजक बनाने के नाम पर ठेका कंपनियों से वसूली और कालरी अधिकारियों पर दबाव बनाकर कथित तौर पर की गई वसूली के बाद भी चंदा न लेने के बड़बोलेपन ने आयोजक मंडल और इंटक नेता ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर के शीर्षस्थ कवियों के गौरवमयी कार्यक्रम को ही सफलता के लक्ष्य से दूर धकेल दिया। "
( अनिल द्विवेदी-7000295641 )
शहडोल। राष्ट्रीय स्तर के कवि डॉ. कुमार विश्वास एवं अन्य कवियों की काव्य रस वर्षा से शहडोल संभाग एवं संबद्ध क्षेत्रीय जनमानस को सराबोर करने की कथित मंशा से आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का कार्यक्रम सफलता के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया। कार्यक्रम में आमंत्रित कवि गण तो आए लेकिन उन तमाम अतिथियों ने कार्यक्रम से कन्नी काट लिया जिनके भरोसे यह कार्यक्रम आयोजित किया गया और जिनके नाम पर बड़े पैमाने पर चंदा वसूला गया। स्थानीय सांसद, विधायक, कमिश्नर, कलेक्टर, सीएमडी एसईसीएल बिलासपुर, जीएम सोहागपुर कोयलांचल एवं अन्य अधिकारीगण किसी का भी कार्यक्रम में शिरकत न करना आयोजक मंडल की लापरवाही और मंशा में खोट की कथित आशंका को पुष्टि प्रदान करता है। सत्ताधारी भाजपा के नेताओं ने तो कार्यक्रम के कांग्रेसीकरण के आरोपों के चलते दूरी बनाई, आधे से अधिक कांग्रेसी नेताओं के अलगाव को आखिर क्या माना जा सकता है? किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि साहित्य के सितारों के कार्यक्रम की ऐसी दुर्दशा भी देखनी पड़ेगी।
कैसा रहा आयोजन
कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों सांसद विधायक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों संभागायुक्त, जिला कलेक्टर, एडीजीपी, पुलिस अधीक्षक, एसईसीएल के सीएमडी सोहागपुर एरिया के जीएम आदि किसी के भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचने पर आयोजकों के चेहरे पर हवाइयां उड़ते देखी गई। यूं समझ लें कि कार्यक्रम का शुभारंभ करने वाले अतिथि के लाले पड़ गए, वह तो भला हो जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष गुप्ता का जो ऐन वक्त पर पहुंच गए और कार्यक्रम का शुभारंभ कर आयोजकों की नाक बचा ली। कार्यक्रम शुरू हुआ तो साउण्ड सिस्टम और माइक रोने लगे। माइक सुधारने साउण्ड सिस्टम वाला मैकेनिक आया तो माइक पर फैले करंट ने उसे ता-ता-थैया करा दिया। करंट ने भी रहमदिली दिखाई और जल्दी ही छोड़ दिया वरना राम कथा में राम नाम सत्य की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती थी।
आसमानी फुहार मे बह गई, काव्य रस की फुहार
बताया जाता है कि हजारों लोग कार्यक्रम लिये लाखों रुपये खर्च कर लगाए गए उस मंहगे डोम तले तब तक बैठे रहे जब तक कि पानी नहीं आया और पानी आते ही लोगों ने डोम छोड़ दिया और बाहर आ गये जबकि डोम को इसीलिये लगवाया गया होगा कि मौसम बिगड़ने पर भी आयोजन में खलल न पड़े । इसमें गलती आयोजकों की ही है, दरसल माइक से एनाउंस होना चाहिये था कि डोम के नीचे आप भींगेंगे नहीं आयोजकों का उद्देश्य भी यही होगा । मगर उसका उपयोग नहीं हो पाया और आयोजकों की मेहनत पर पानी फिर गया। लाखों रुपए के बिग बजट वाले इस काव्य रस फुहार के कार्यक्रम में बारिश ने ऐसा पानी फेरा कि आसमानी फुहारों की बाढ़ में काव्य रस की फुहार कहां बह गई पता ही नहीं चला।
अतिथियों ने क्यों बनाई दूरी
जानकार लोगों का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर के कवि डॉक्टर कुमार विश्वास का अपना एक बहुचर्चित कार्यक्रम है "अपने-अपने राम" जिसमें राम को लेकर वह विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। इस कार्यक्रम मेंअपने-अपने राम की जगह आयोजकों के बीच अपने-अपने राग का दौर चल पड़ने की भी चर्चा आम है। सूत्रों की माने तो आयोजन समिति की एक मजबूत कड़ी कहे जाने वाले बलमीत सिंह खनूजा उर्फ चिंटू ने मंच से दूरी बना रखी थी।सभी आयोजक मंच पर गए स्वागत किया लेकिन बलमीत सिंह खनूजा नहीं गए वह नीचे ही घूमते देखें गए। ऐसा माना जाता है कि श्रमिक संगठन का पदाधिकारी होने के चलते सीएसआर का फंड और कालरी की ठेका कंपनियों व अधिकारियों से अधिकाधिक चंदा वसूल कर लाने वाले कमलेश के एकाधिकार के चलते चिंटू खनूजा से कुछ अनबन हो गई और चिंटू को उपेक्षा का दंश झेलना पड़ा है।
क्या है चंदे का राज?
समूचे सोहागपुर कोयलांचल और जिले में यह चर्चा आम है कि कवि सम्मेलन और डॉक्टर कुमार विश्वास के नाम पर आयोजन समिति द्वारा बड़े पैमाने पर कालरी क्षेत्र में चंदा की वसूली की गई है। इसके लिए कोल इंडिया से सीएसआर फंड की राशि भी प्राप्त की गई है, साथ ही एसईसीएल की विभिन्न कोयला खदानों में कार्यरत ठेका कंपनियों, सिविल विभाग के इंजीनियरों, अधिकारियों, तथा रोड सेल में कार्यरत टेक्निकल इंस्पेक्टर्स से अच्छी खासी वसूली सीएमडी सर के आने के नाम पर की गई है। हालांकि आयोजन समिति के अध्यक्ष और एसईसीएल सुहागपुर एरिया के इंटक अध्यक्ष कमलेश शर्मा का यह कहना है कि उनके द्वारा किसी से कोई चंदा वसूली नहीं की गई, यदि चंदा वसूली नहीं की गई तो इतना बड़ा आयोजन किस बूते पर किसके द्वारा किया जा रहा है यह सवाल उठाने लाजमी है। साथ ही यह भी जानना आवश्यक है कि आयोजन के लिए इतनी बड़ी राशि कहां से आई तथा सीएसआर मद से प्राप्त की गई राशि का किस हद तक कितना सदुपयोग अथवा दुरुपयोग किया गया। क्या सीएसआर मद की राशि इस प्रकार के आयोजनों के लिए रखी जाती है या फिर जन कल्याण के कार्यों के लिए? इन सवालों का जवाब लगभग हर आदमी जानना चाहता है। देखना यह है कि जिला प्रशासन, कोल इंडिया, एसईसीएल और सोहागपुर कोयलांचल मैनेजमेंट इसकी जांच करता है या नहीं और यदि जांच होती है तो उक्त राशि के दुरुपयोग की स्थिति में किस व्यक्ति पर कौन सी कार्यवाही होती है।
शहडोल। राष्ट्रीय स्तर के कवि डॉ. कुमार विश्वास एवं अन्य कवियों की काव्य रस वर्षा से शहडोल संभाग एवं संबद्ध क्षेत्रीय जनमानस को सराबोर करने की कथित मंशा से आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का कार्यक्रम सफलता के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया। कार्यक्रम में आमंत्रित कवि गण तो आए लेकिन उन तमाम अतिथियों ने कार्यक्रम से कन्नी काट लिया जिनके भरोसे यह कार्यक्रम आयोजित किया गया और जिनके नाम पर बड़े पैमाने पर चंदा वसूला गया। स्थानीय सांसद, विधायक, कमिश्नर, कलेक्टर, सीएमडी एसईसीएल बिलासपुर, जीएम सोहागपुर कोयलांचल एवं अन्य अधिकारीगण किसी का भी कार्यक्रम में शिरकत न करना आयोजक मंडल की लापरवाही और मंशा में खोट की कथित आशंका को पुष्टि प्रदान करता है। सत्ताधारी भाजपा के नेताओं ने तो कार्यक्रम के कांग्रेसीकरण के आरोपों के चलते दूरी बनाई, आधे से अधिक कांग्रेसी नेताओं के अलगाव को आखिर क्या माना जा सकता है? किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि साहित्य के सितारों के कार्यक्रम की ऐसी दुर्दशा भी देखनी पड़ेगी।
कैसा रहा आयोजन
कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों सांसद विधायक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों संभागायुक्त, जिला कलेक्टर, एडीजीपी, पुलिस अधीक्षक, एसईसीएल के सीएमडी सोहागपुर एरिया के जीएम आदि किसी के भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचने पर आयोजकों के चेहरे पर हवाइयां उड़ते देखी गई। यूं समझ लें कि कार्यक्रम का शुभारंभ करने वाले अतिथि के लाले पड़ गए, वह तो भला हो जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष गुप्ता का जो ऐन वक्त पर पहुंच गए और कार्यक्रम का शुभारंभ कर आयोजकों की नाक बचा ली। कार्यक्रम शुरू हुआ तो साउण्ड सिस्टम और माइक रोने लगे। माइक सुधारने साउण्ड सिस्टम वाला मैकेनिक आया तो माइक पर फैले करंट ने उसे ता-ता-थैया करा दिया। करंट ने भी रहमदिली दिखाई और जल्दी ही छोड़ दिया वरना राम कथा में राम नाम सत्य की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती थी।
आसमानी फुहार मे बह गई, काव्य रस की फुहार
बताया जाता है कि हजारों लोग कार्यक्रम लिये लाखों रुपये खर्च कर लगाए गए उस मंहगे डोम तले तब तक बैठे रहे जब तक कि पानी नहीं आया और पानी आते ही लोगों ने डोम छोड़ दिया और बाहर आ गये जबकि डोम को इसीलिये लगवाया गया होगा कि मौसम बिगड़ने पर भी आयोजन में खलल न पड़े । इसमें गलती आयोजकों की ही है, दरसल माइक से एनाउंस होना चाहिये था कि डोम के नीचे आप भींगेंगे नहीं आयोजकों का उद्देश्य भी यही होगा । मगर उसका उपयोग नहीं हो पाया और आयोजकों की मेहनत पर पानी फिर गया। लाखों रुपए के बिग बजट वाले इस काव्य रस फुहार के कार्यक्रम में बारिश ने ऐसा पानी फेरा कि आसमानी फुहारों की बाढ़ में काव्य रस की फुहार कहां बह गई पता ही नहीं चला।
अतिथियों ने क्यों बनाई दूरी
जानकार सूत्रों की मानें तो आयोजन समिति द्वारा शहडोल संसदीय क्षेत्र की सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह, स्थानीय विधायक जय सिंह मरावी, जिले के अन्य विधायकों श्रीमती मनीषा सिंह और शरद जुगलाल कोल सहित संभाग आयुक्त शहडोल, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक शहडोल जोन, कलेक्टर शहडोल पुलिस अधीक्षक शहडोल, एसईसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक प्रेम सागर मिश्रा, सोहागपुर कोयलांचल के महाप्रबंधक, उपक्षेत्रीय प्रबंधकों तक को आमंत्रित किया गया था और उन्होंने आने पर सहमति भी दी थी लेकिन आए नहीं। उक्त अतिथि गण कार्यक्रम में क्यों नहीं पहुंचे यह तो वही बता सकते हैं लेकिनआम जन-चर्चा यह है कि समाचार पत्रों में आयोजन को लेकर उठाए गए सवालों से संबंधित समाचार के चलते अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम से दूरी बना ली। दूसरी बात कार्यक्रम के आयोजकों ने इस कार्यक्रम का कथित तौर पर कांग्रेसी करण भी कर दिया जिसके कारण भाजपा से जुड़े लोग भी कट गए तथा कवि सम्मेलन में राम कथा जुड़ जाने से मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी कथित तौर पर दूरी बना ली। इन लोगों के दूरी बनाने का असर यह हुआ कि जहां भारी भरकम जन उपस्थित होनी थी वह कुछ हजार में ही सीमित होकर रह गई।
अपने-अपने रागजानकार लोगों का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर के कवि डॉक्टर कुमार विश्वास का अपना एक बहुचर्चित कार्यक्रम है "अपने-अपने राम" जिसमें राम को लेकर वह विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। इस कार्यक्रम मेंअपने-अपने राम की जगह आयोजकों के बीच अपने-अपने राग का दौर चल पड़ने की भी चर्चा आम है। सूत्रों की माने तो आयोजन समिति की एक मजबूत कड़ी कहे जाने वाले बलमीत सिंह खनूजा उर्फ चिंटू ने मंच से दूरी बना रखी थी।सभी आयोजक मंच पर गए स्वागत किया लेकिन बलमीत सिंह खनूजा नहीं गए वह नीचे ही घूमते देखें गए। ऐसा माना जाता है कि श्रमिक संगठन का पदाधिकारी होने के चलते सीएसआर का फंड और कालरी की ठेका कंपनियों व अधिकारियों से अधिकाधिक चंदा वसूल कर लाने वाले कमलेश के एकाधिकार के चलते चिंटू खनूजा से कुछ अनबन हो गई और चिंटू को उपेक्षा का दंश झेलना पड़ा है।
क्या है चंदे का राज?
समूचे सोहागपुर कोयलांचल और जिले में यह चर्चा आम है कि कवि सम्मेलन और डॉक्टर कुमार विश्वास के नाम पर आयोजन समिति द्वारा बड़े पैमाने पर कालरी क्षेत्र में चंदा की वसूली की गई है। इसके लिए कोल इंडिया से सीएसआर फंड की राशि भी प्राप्त की गई है, साथ ही एसईसीएल की विभिन्न कोयला खदानों में कार्यरत ठेका कंपनियों, सिविल विभाग के इंजीनियरों, अधिकारियों, तथा रोड सेल में कार्यरत टेक्निकल इंस्पेक्टर्स से अच्छी खासी वसूली सीएमडी सर के आने के नाम पर की गई है। हालांकि आयोजन समिति के अध्यक्ष और एसईसीएल सुहागपुर एरिया के इंटक अध्यक्ष कमलेश शर्मा का यह कहना है कि उनके द्वारा किसी से कोई चंदा वसूली नहीं की गई, यदि चंदा वसूली नहीं की गई तो इतना बड़ा आयोजन किस बूते पर किसके द्वारा किया जा रहा है यह सवाल उठाने लाजमी है। साथ ही यह भी जानना आवश्यक है कि आयोजन के लिए इतनी बड़ी राशि कहां से आई तथा सीएसआर मद से प्राप्त की गई राशि का किस हद तक कितना सदुपयोग अथवा दुरुपयोग किया गया। क्या सीएसआर मद की राशि इस प्रकार के आयोजनों के लिए रखी जाती है या फिर जन कल्याण के कार्यों के लिए? इन सवालों का जवाब लगभग हर आदमी जानना चाहता है। देखना यह है कि जिला प्रशासन, कोल इंडिया, एसईसीएल और सोहागपुर कोयलांचल मैनेजमेंट इसकी जांच करता है या नहीं और यदि जांच होती है तो उक्त राशि के दुरुपयोग की स्थिति में किस व्यक्ति पर कौन सी कार्यवाही होती है।
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