ट्रेन बिना संडास, संडास बिना पानी.. यह है रेल्वे अधिकारियों की मनमानी
दपूमरे की लापरवाही और उपेक्षा का दंश झेल रहे संभागवासी" शहडोल स्टेशन से बिलासपुर कटनी मेमू ट्रेन में सवार हुई तकरीबन 19-20 वर्ष की एक युवती अचानक चलती ट्रेन में गायब हो गई। तकरीबन 1 घंटे तक जब वह अपनी सीट पर नहीं लौटी तो उसके सहयात्री परिजनों ने उसे ढूंढना शुरू किया किसी को भी यह समझ नहीं आ रहा था कि युवती आखिर अचानक कहां चली गई। ट्रेन की बोगी में अफरा-तफरी मचने लगी तब एक यात्री ने कहा कि टाॅयलेट में देखिये, क्योंकि टाॅयलेट में पानी नहीं है। मुझे लगता है कि बिना पानी चेक किये उसने टाॅयलेट का उपयोग किया और पानी नहीं होने की वजह से वह नहीं आ पा रही होगी। पानी यदि किसी के पास हो, तो दे दीजिये जिससे बाहर आ सके। वास्तव में उक्त यात्री की बात सच साबित हुई, थोड़ी देर युवती आकर अपनी सीट पर बैठ गई लेकिन पूरे सफर में वह सिर नहीं उठा पाई। "
(अनिल द्विवेदी 7000295641)
शहडोल। कोविड के रूप में आई महामारी तो लगभग समाप्त ही हो गई, साथ ही लाकडाउन का दौर भी देश और प्रदेश में खत्म हो चुका है, लेकिन शहडोल संभाग में रेलवे का लॉकडाउन लगातार जारी है। बड़ी मुश्किल से लॉकडाउन के बाद ट्रेनों की शुरुआत हुई तो तीसरी लाइन ने हजारों रेलयात्रियों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी और यात्रियों के आवागमन पर जब तब रोक लगाना शुरू कर दिया। गत फरवरी महीने से एक बार फिर ट्रेनों की आवाजाही लगभग बंद है, नाम के लिए एक ट्रेन की सुविधा बिलासपुर से कटनी के बीच दी गई है वह भी सुविधा कम दुविधा का कारण ज्यादा बनी हुई है। ट्रेन भी ऐसी दी गई जो कभी भी किसी व्यक्ति के मान सम्मान को तार तार कर दे। ऐसी ही स्थिति विगत दिनों बिलासपुर कटनी मेमू ट्रेन में देखने को मिली जिसमें एक युवती को बेहद शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है।
साउथ ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे (दपूमरे) पर मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग के स्टेशनों और यात्री सुविधाओं को लेकर लगातार उपेक्षा के आरोप लगते रहे हैं। ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों में यात्री सुविधाओं की लचर व्यवस्था को सुधारने के संबंध में कई बार डीआरएम यहां तक कि महाप्रबंधक रेलवे तक को ज्ञापन सौंप गए लेकिन रेलवे की मनमानी और इस क्षेत्र की उपेक्षा कम नहीं हुई, इसी का एक ताजा प्रमाण बिलासपुर कटनी मेमू ट्रेन है,जो यात्रियों के लिए सुविधा तो है लेकिन सुविधा से भी कहीं अधिक लोगों, यात्रियों की दुविधा का कारण भी बनी हुई है।
क्या है मामला
बिलासपुर सेकटनी के बीच चलने वाली मेमू ट्रेन नंबर 08747 में एक 19-20 वर्षीय युवती कटनी मुड़वारा जाने के लिए सवार हुई। शहडोल स्टेशन से ट्रेन निकलने के साथ ही वह अपनी सीट से उठी और गायब हो गई। बीरसिंह पुर रेलवे स्टेशन निकलने के बादअगल-बगल की सीट में बैठे यात्रियों में चर्चा होने लगी कि बगल की इस सीट पर बैठी युवती का सामान तो रखा हुआ है लेकिन वह कहां चली गई, ऐसा तो नहीं की किसी स्टेशन में वह ट्रेन से उतर गई और सामान रखा रह गया हो, आशंका होने परअगल-बगल बैठे यात्रियों ने उसकी खोजबीन भी शुरू की लेकिन पूरी ट्रेन में ढूंढने के बाद भी उक्त युवती कहीं नजर नहीं आई। स्वाभाविक रूप से लोगों को चिंता हुई कि उक्त युवती अपना सामान छोड़कर आखिर कहां जा सकती है, कहीं ऐसा तो नहीं कि उसके साथ कोई हादसा हो गया हो। यह चर्चा चल ही रही थी इस दौरान सामने की सीट पर बैठे मोहम्मद शमीम खान वरिष्ठ पत्रकार धनपुरी ने सामने बैठे सहयात्रियों से चर्चा करते हुए आशंका जताई कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि वह टॉयलेट गई हो और पानी न मिल पाने के कारण वहीं रुकी हो, क्योंकि वह स्वयं ट्रेन के टॉयलेट में गए थे तो वहां किसी भी नल से पानी नहीं आ रहा था। यदि किसी के पास पानी हो तो ले जाकर उसे दे दे हो सकता है कि इसी वजह से वह नहीं आ पा रही हो। महिला सह यात्रियों में से एक ने पानी की बोतल लेकर टॉयलेट में जाकर देखा तो उक्त युवती टॉयलेट के अंदर मिली। कुछ देर के बाद युवती आई और अपनी सीट पर बैठ गई लेकिन पूरी यात्रा के दौरान शर्मिंदगी के कारण उसने अपना सिर नहीं उठाया।
यह कैसी ट्रेन सुविधा
दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे जोन व मंडल बिलासपुर द्वारा बिलासपुर से कटनी के बीच ऐसी ट्रेन का संचालन किया जा रहा है जिसमें बोगियों की संख्या काफी कम है। ऐसे समय में जबकि इस रूट की अन्य यात्री ट्रेनों का परिचालन बंद है,8-10 बोगियों की ट्रेन चलाकर रेलवे द्वारा शहडोल संभाग के विभिन्न रेलवे स्टेशनों से सफर करने वाले यात्रियों के साथ क्या भद्दा मजाक नहीं किया गया है। ट्रेन भी ऐसी कि जिसमें संडास यानी टॉयलेट नहीं है। पूरी ट्रेन में सिर्फ दो या तीन टॉयलेट हैं, जो या तो इतने गंदे रहते हैं कि वहां कोई जा नहीं सकता,या फिर उक्त ट्रेन के टॉयलेट में पानी भी उपलब्ध नहीं रहता है। यदि किसी यात्री का पेट खराब हो जाए या अन्य कोई परेशानी हो और वह टॉयलेट का उपयोग करना चाहे तो उसके पास और कोई विकल्प ही नहीं रह जाता है या तो वह यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन में स्वयं को अपमानित करा ले या शर्म हया के चक्कर में अपनी जान ही गंवा बैठे। ऐसी ट्रेन चलाने से यात्रियों को क्या फायदा है, अथवा रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों को क्या मिलने वाला है इन सवालों का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। ऊपर से लोगों द्वारा यह सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि आखिर ऐसी ट्रेन का संचालन कर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन बिलासपुर एवं रेल मंडल बिलासपुर के अधिकारी अपनी कौन सी योग्यता और कर्तव्य परायणता का प्रदर्शन कर रहे हैं।
खतरे में मान और जान
बिलासपुर रेल मंडल की यह ट्रेन क्षेत्रीय स्टेशनों से यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है। रेलवे के अधिकारियों द्वारा यदि समय रहते ट्रेन की बोगियां की संख्या में बढ़ोतरी और आवश्यक यात्री सुविधाओं में विस्तार नहीं किया जाता तो इस ट्रेन में यात्रा के दौरान किसी भी यात्री विशेष कर महिला यात्री के मान सम्मान के तार तार होने अथवा जबरदस्ती की स्थिति में किसी की जान जाने की आशंका को भी नहीं नकारा जा सकता है।
तत्काल कार्यवाही की दरकार
बिलासपुर कटनी रेल खंड के बीच चलने वाली यह एकमात्र ऐसी ट्रेन है जिसमें कम दूरी और अधिक दूरी की यात्रा करने वाले लोग सवारी करते हैं। लोगों की सुविधा और उनके मान सम्मान के साथ ही जान की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक हो गया है कि रेलवे के अधिकारी इस ट्रेन की यात्रा के दौरान होने वाली समस्याओं पर विचारकर आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराएं। स्थानीय नागरिकों विशेष कर दैनिक रेल यात्रियों ने रेलवे के मंडल एवं जोन स्तर के अधिकारियों से यह मांग की है की ट्रेन में बोगियों की संख्या बढ़ाने के साथ ही उक्त बिना टॉयलेट वाले ट्रेन की बजाय ऐसी ट्रेन का संचालन किया जाए जिसमें टॉयलेट, स्वच्छता और पानी की सुविधा उपलब्ध हो ताकि भविष्य में किसी युवती, मां, बहन अथवा अन्य यात्रियों को इस प्रकार की शर्मनाक स्थिति का सामना न करना पड़े और यात्री खुशी-खुशी अपनी यात्रा पूर्ण कर गंतव्य तक पहुंच सकें।
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